हाल ही में प्रोपेगैंडावादी राणा अयूब ने योगी आदित्यनाथ से बढ़ने वाले ‘खतरे’ की ओर ‘आगाह’ करते हुए कहा कि ये व्यक्ति भारत का अगला भावी प्रधानमंत्री बन सकता है। शुरू में तो इनका भय किसी को समझ में नहीं आया, लेकिन योगी आदित्यनाथ के केरल दौरे की चर्चा और उनके इरादों को देखते हुए लगता है कि राणा अभी से भांप चुकी है कि उनकी लोकप्रियता कैसी है, और वो कैसे केरल जैसे वामपंथ और कट्टरपंथी इस्लाम से ग्रस्त राज्य में परिवर्तन ला सकते हैं।
वो कैसे? दरअसल केरल में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की विजय यात्रा का शुभारंभ करने स्वयं योगी आदित्यनाथ पधारे थे। उन्होंने यात्रा को हरी झंडी दिखाने के बाद केरल में UDF और सत्ताधारी LDF गठबंधन के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया।
योगी आदित्यनाथ के अनुसार, “वर्तमान सरकार हो या पूर्ववर्ती सरकार हो, कोई भी छल से होने वाले विवाह [लव जिहाद] के विरुद्ध कोई आवश्यक कदम नहीं उठा रहा है। केरल हाई कोर्ट ने 2009 में इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये थे, लेकिन राज्य सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए ताकि इस कुरीति पर लगाम लगाई जा सके”।
बता दें कि विवाह के नाम पर जबरन धर्मांतरण कराने की प्रवृत्ति को लव जिहाद का नाम दिया गया है, जिसके चलते कई हिन्दू लड़कियों और लड़कों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है। इसके विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ने पहले ही आवश्यक कानून पारित कर लिया है, और असम, गुजरात, उत्तराखंड, कर्नाटक जैसे राज्य इसे लागू करने को इच्छुक दिखाई दे रही हैं।
लेकिन यही एक कारण नहीं है जो योगी आदित्यनाथ केरल दौरे पर आए हैं। दरअसल योगी आदित्यनाथ एक जोशीले हिंदुत्ववादी नेता हैं, जिनका प्रभाव और उनकी चुनावी सफलता का रेट बहुत बढ़िया है। उदाहरण के लिए बिहार में उन्होंने 18 जगह रैलियाँ की, जिसमें से भाजपा ने 12 सीटें अर्जित की।
योगी आदित्यनाथ का आक्रामक स्वभाव और ताबड़तोड़ निर्णय लेने की क्षमता ने उन्हे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बाद भाजपा का सबसे लोकप्रिय नेता बना दिया है, और जिस भी राज्य में वो चुनाव प्रचार के लिए गए हैं, वहाँ उनका स्ट्राइक रेट कभी भी 50 प्रतिशत से नीचे गया ही नहीं। केरल में 2016 में इतिहास रचते हुए भाजपा ने एक विधानसभा सीट अर्जित करने में कामयाबी पाई, और अब भाजपा इस कामयाबी को दुगना करना चाहती है, जिसके लिए उन्होंने अपने सफलतम प्रचारक का उपयोग किया है।
योगी आदित्यनाथ का प्रभाव कितना अधिक है, ये आप विपक्षी पार्टियों के रुख से ही समझ सकते हैं। बसपा के प्रवक्ता सुधीन्द्र भदौरिया ने कहा कि राज्य में अपराध अपने चरम पर है और मुख्यमंत्री को दूसरे राज्यों को उपदेश देने की पड़ी है। शायद इन्होंने अभी यूपी पुलिस के कारनामे नहीं देखे हैं, जिन्होंने कासगंज में एक सिपाही की हत्या के कुछ ही दिनों में उस क्षेत्र से जुड़े शराब माफिया के प्रमुख सदस्यों को या तो गिरफ्तार किया या फिर सरगना मोती सिंह की भांति यमलोक भेज दिया।
ऐसे में योगी आदित्यनाथ का केरल दौरा इस बात का परिचायक है कि यदि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बाद भाजपा को यदि किसी पर सबसे अधिक विश्वास है, तो वे योगी आदित्यनाथ है। उत्तरप्रदेश का कायाकल्प करने के साथ साथ उन्होंने अब भारत के अन्य राज्यों में भाजपा का प्रभाव बढ़ाने का भी बीड़ा उठाया है, और ये विपक्षी पार्टियों के लिए शुभ संकेत नहीं है।