मैक्रों ने बाइडन और जिनपिंग को दिया झटका: चीनी वैक्सीन को रिजेक्ट कर रुसी वैक्सीन को सराहा

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने चीनी vaccines की आलोचना करते हुए रूसी vaccines की तारीफ़ की है। अपने एक बयान में उन्होंने कहा “चीनी वैक्सीन को लेकर तो मुझे कोई जानकारी ही नहीं है। ऐसा लगता है कि चीनी वैक्सीन के मुक़ाबले हमारे पास रूसी वैक्सीन को लेकर अधिक जानकारी मौजूद है।” बता दें कि रूस की Sputnik V वैक्सीन को हाल ही में टॉप मेडिकल जर्नल Lancet ने कोरोना के खिलाफ़ प्रभावी घोषित किया था और sputnik V अब यूरोप की कई मेडिकल एजेंसियों द्वारा मंजूरी प्राप्त करने के लिए आवेदन भी कर रही है।

बता दें कि यूरोप में वैक्सीन की भारी किल्लत के चलते टीकाकरण की प्रक्रिया को गहरा झटका लगा है। Pfizer ने इस वर्ष यूरोप को 600 मिलियन डोज़ प्रदान करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन फिलहाल इस वैक्सीन के धीमे वितरण की वजह से कई यूरोपीय देश इस वैक्सीन की निर्माता कंपनी को धमकी दे चुके हैं। इसके साथ ही AstraZeneca और UK के साथ भी EU का बड़ा विवाद चल रहा है। ऐसे वक्त में यूरोप में अब रूसी वैक्सीन को लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है। रूसी वैक्सीन को अपनाकर अब Macron ना सिर्फ अमेरिका को बल्कि चीन को भी एक कड़ा संदेश दे रहे हैं।

दरअसल, Macron इन दिनों यूरोप की “रणनीतिक स्वतन्त्रता” के विचार को आगे बढ़ा रहे हैं, जिसके कारण वे लगातार रणनीतिक मामलों पर अमेरिका पर से अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिशों में जुटे हैं। एक वक्त में जब बाइडन चीन को लेकर नर्म रुख अपना रहे हैं, तो वहीं Macron ने रूस के साथ नजदीकी बढ़ाने के इशारे देकर स्पष्ट कर दिया है कि यूरोप रूस के साथ रिश्तों को आगे बढ़ाने को लेकर इच्छुक है, फिर चाहे उसपर अमेरिका का रुख कैसा भी हो!

Macron पिछले कुछ समय से NATO के खिलाफ़ भी अपनी आवाज़ उठा रहे हैं। वे पहले ही Indo-Pacific में NATO की किसी भी भूमिका को खारिज कर चुके हैं। इसके साथ ही वे सीरिया में तुर्की के हस्तक्षेप के कारण भी NATO की प्रतिबद्धताओं पर सवाल उठा चुके हैं। तुर्की ने जिस प्रकार भू-मध्य सागर से लेकर Nagorno-Karabakh तक फ्रांस और अनी साथी देशों के खिलाफ़ उग्र रवैया दिखाया है, उसने फ्रांस को चिंतित किया है। ऐसे में NATO के खिलाफ़ जाकर और अब रूसी वैक्सीन को अपनाने के इशारे देकर फ्रांस ने बाइडन को साफ़ शब्दों में कह दिया है कि बाइडन के लिए बेशक चीन सबसे बड़ा खतरा नहीं होगा, लेकिन फ्रांस अब भी अपने रणनीतिक हित साधने के लिए चीन के खिलाफ़ कदम उठाना जारी रखेगा फिर उसके लिए उसे रूस जैसे देशों के साथ ही नजदीकी क्यों ना बढ़ानी पड़े!

 

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