MSMEs को सरकार से अपना भुगतान पाने के लिए अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा

मोदी सरकार का MSME को तोहफा!

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम यानी MSME रीढ़ की हड्डी के समान है जो GDP का लगभग 30 प्रतिशत है। MSME क्षेत्र कृषि के बाद देश में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है। पिछले कुछ वर्षों में, MSME क्षेत्र को एक के बाद एक संकट का सामना करना पड़ा, और मोदी सरकार लगातार उनके संकटों को समाप्त करने के लिए कदम उठा रही है।

 अब MSME क्षेत्र की जिस बड़ी समस्या के लिए मोदी सरकार ने कदम उठाए हैं वह है समय पर भुगतान। बता दें कि छोटी कंपनियों को मंत्रालयों से चाहे वो केंद्र सरकार को हो या राज्य सरकार की, समय पर भुगतान नहीं मिल पाता था। MSMEs ने बार-बार यह चिंता जताई कि उनके भुगतान सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा समय पर जारी नहीं किए जा रहे हैं।

 कुछ महीने पहले, MSME क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री गडकरी को स्पष्ट रूप से बताया था कि समय पर भुगतान ना मिलना इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है। 

विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में MSME के हजारों करोड़ रुपये बाकी हैं। मंत्रालयों में नौकरशाह अपने फायदे के लिए छोटी कंपनियों के भुगतान को दबाए रहते हैं। बाजार से पूंजी की कमी और समय पर भुगतान ना मिल पाने के कारण कई MSMEs ऋण की किश्तों का भुगतान नहीं कर पाते और दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाते हैं।

इसलिए, केंद्र सरकार ने अपने सभी विभागों को अनिवार्य रूप से ट्रेड रिसीवेबल डिस्काउंटिंग सिस्टम या TReDS को अपनाने के लिए कहा है। TReDS, सरल शब्दों में, एक ऐसा सिस्टम है जो यह सुनिश्चित करेगा कि MSME को उनके आपूर्ति के लिए तुरंत एक थर्ड पार्टी द्वारा भुगतान किया जाए और फिर सरकार तीसरे पक्ष को एक छोटे से शुल्क के साथ भुगतान करेगी। यह तीसरी पार्टी या तो बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां होंगी।

 अब तक, केवल निजी पार्टियां TReDS पर सक्रिय थीं, जो RBI द्वारा संचालित होती है, लेकिन अब केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार के सभी विभाग इस प्लेटफॉर्म पर होंगे। यह बदलाव बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संसदीय समिति द्वारा Factoring Regulation (Amendment) Bill, 2020 की कमेटी रिपोर्ट में सुझाए बदलावों के बाद ही आया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि,  “केंद्र और राज्य सरकारों से आने वाली प्राप्तियों को अनिवार्य रूप से इस कानून के माध्यम से TReDS के दायरे में लाया जाना चाहिए, ताकि विभिन्न MSMEs के लिए पहले से ही स्वीकृत भुगतान लंबित हो, उन्हें समय पर उपलब्ध कराया जाए।”

कुछ महीने पहले, 21 प्रमुख मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों से मिलने के बाद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, “ किसी भी मंत्रालय के पास कोई भी ओवर ड्यू पेमेंट नहीं होना चाहिए… मेरा इरादा यह सुनिश्चित करना है कि सरकार उन भुगतानों को ना रोके जो बकाया है। सरकार Capital expenditures को नहीं रोकती है।”

 इसके अलावा, वित्त मंत्री ने पिछले कुछ वर्षों में MSMEs में फंड की कमी के मुद्दे को हल करने के लिए CBDT को GST refunds के ऊपर इसी तरह के निर्देश दिए हैं। समय पर भुगतान करने के सरकारी प्रयासों से MSME यूनिट्स को अधिक सुचारु रूप से काम करने में मदद मिलेगी। साथ ही लोन के किश्तों को और अधिक आराम से भुगतान किया जा सकेगा, और उन्हें अपने व्यवसायों के विस्तार के लिए अवसर भी मिलेगा।

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