1 साल पहले पीयूष गोयल ने अमेज़न को लेकर जो बात कही थी वो आज सच साबित हुई है

Amazon

न्यूज़ एजेंसी Reuters के एक नए खुलासे में यह सामने आया है कि अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी Amazon ने पिछले सालों में भारतीय सरकार और भारतीय रेगुलेटर्स को भ्रमित करने के लिए कई प्रकार के प्रपंच रचे हैं। Amazon पर अक्सर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह देश के छोटे रिटेलर्स के हितों के खिलाफ जाकर भारी डिस्काउंट पर चीजों को ग्राहकों को प्रदान करती है, जिसके कारण समय-समय पर Confederation of All India Traders यानि CAIT भी Amazon पर बैन लगाने की मांग करता आया है। हालांकि, Reuters के नए खुलासे ने Amazon की सभी भ्रामक नीतियों की पोल खोल दी है जिसका उल्लेख बीते वर्ष कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने भी किया था।

न्यूज़ एजेंसी की जांच के मुताबिक Amazon एक तरफ भारत के छोटे रिटेलर्स को सशक्त करने की बात कहता है लेकिन असल में वह चुनिन्दा sellers को फायदा पहुंचाता है। वो भी ऐसे sellers जिनमें अप्रत्यक्ष रूप से Amazon कंपनी के ही हित छिपे होते हैं। जांच के मुताबिक Amazon की वेबसाइट के माध्यम से बिके कुल सामान का एक तिहाई हिस्सा सिर्फ चुनिन्दा 33 विक्रेताओं द्वारा ही बेचा गया था। कंपनी ने इस बेहद ज़रूरी आंकड़े को “संवेदनशील जानकारी” घोषित कर सार्वजनिक करने से मना किया हुआ था। यह तो कुछ भी नहीं, वर्ष 2019 की शुरुआत में Amazon India के कुल रेवेन्यू का 35 प्रतिशत हिस्सा ऐसे 2 विक्रेताओं से आ रहा था, जिनमें Amazon ने अप्रत्यक्ष तौर पर निवेश किया हुआ था। इसके साथ ही Amazon के देशभर के कुल 4 लाख विक्रेताओं में से सिर्फ 35 ने ही कंपनी की कुल sales में से दो तिहाई हिस्से का योगदान दिया।

यह आंकड़े इस बात को सिद्ध करते हैं कि Amazon भारत के छोटे-मध्यम वर्ग के रिटेलर्स के हितों की रक्षा नहीं, बल्कि देश के चुनिन्दा बड़े विक्रेताओं के हितों को आगे बढ़ाता है। शायद यही कारण है कि पिछले वर्ष जब Amazon के CEO जेफ बेजोस भारत आए थे, तो पीयूष गोयल ने उनकी आवाभगत करने से साफ़ मना कर दिया था। तब इसके लिए उन्हें विपक्षी पार्टियों की आलोचना का सामना भी करना पड़ा था, लेकिन पीयूष गोयल भलि-भांति जानते थे कि Amazon भारत में निवेश कर भारत पर कोई अहसान नहीं कर रही है। पिछले साल एक इवैंट में बोलते हुए पीयूष गोयल ने कहा था “Amazon ने बेशक करोड़ों डोलर्स का निवेश किया हो, लेकिन हर साल वे करोड़ों डोलर्स का घाटा उठा रहे हैं। भारत में निवेश कर वे भारत पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं”।

तब गोयल ने कई करोड़ छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही ने यह बयान दिया था। Amazon अपने अत्यंत ऊंचे डिस्काउंट दर के लिए विवादों के घेरे में रहा है, जिससे अन्य व्यापारियों का धंधा ही चौपट हो जाता है, और भारत के छोटे एवं मध्यम वर्ग के व्यापारियों को इससे सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है। Amazon के विरुद्ध एक और आरोप सामने आया है, और वो है कॉम्पटिशन लॉं का अंधाधुंध उल्लंघन करने का, जिसके कारण कॉम्पटिशन कमिशन ऑफ इंडिया द्वारा जांच कमेटी भी बिठाई गयी है। Amazon में विक्रेता चुनने के लिए कोई स्पष्ट criteria नहीं है। Amazon के ऊपर ये भी आरोप लगे हैं कि ये चुनिन्दा विक्रेता एमेज़ोन से affiliated भी हैं, जिससे मल्टी ब्रांड रिटेल में एफ़डीआई के अंतर्गत 49 प्रतिशत निवेश की सीमा का उल्लंघन भी होता है। Amazon ने हाल ही में जो घाटा झेला है, उससे भी कई सवाल उठते हैं। पीयूष गोयल ने इसी बात पर प्रकाश डालते हुए पूछा कि जब एक fair market place model में 10 बिलियन डॉलर का टर्नओवर हो, और उसके बाद भी कंपनी को घाटा झेलना पड़े, तो सवाल तो उठेगा ही कि आखिर घाटा किस जगह हुआ।

पीयूष गोयल ने जिस बात को आधार बना पिछले वर्ष Amazon के CEO को किनारे किया था, आज वही बात Reuters की इस जांच से भी सिद्ध होती है। अब भारत सरकार को Amazon के खिलाफ एक जांच बैठानी चाहिए जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कंपनी की इन भ्रामक नीतियों के कारण भारत के छोटे रिटेलर्स को कितना नुकसान उठाना पड़ा। अगर Amazon के खिलाफ ये आरोप सच साबित होते हैं, तो इस अमेरिकी कंपनी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

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