आज के दौर में सोशल मीडिया पर एक माहौल बनाने के लिए तथा चुनाव में एक प्लस पॉइंट हासिल करने के लिए मोदी विरोधी पार्टियाँ हर वो तिकड़म लगाती हैं जिससे उन्हें चुनाव मे शिकस्त दिया जा सकें पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले TMC भी ऐसे कई तिकड़म लगा चुकी है जिसमें से PK यानी प्रशांत किशोर का अपने एक पूर्व सहयोगी से TMC नेताओं का ट्विटर हैंडल का वेरिफिकेशन कराना भी शामिल है। बता दें कि ट्विटर पब्लिक वेरिफिकेशन 2017 से ही बंद है।
यह हैरान होने वाली बात नहीं है, प्रशांत किशोर कोई जादूगर नहीं है बल्कि वो चुनाव जीतने के लिए ऐसे ही तिकड़म लगाते रहते हैं। बंगाल विधानसभा के लिए मामला बनर्जी ने उनकी टीम I-PAC को हायर किया था और वे सोशल मीडिया पर TMC और उनके नेताओं की छवि सुधारने के लिए ऐसी कई तिकड़म लगा चुके हैं। आज के दौर में Perception War सोशल मीडिया पर ही लड़ा जाता जिसमें ट्विटर सबसे प्रमुख है। ऐसे में वेरीफाईड अकाउंट कारगर साबित होते हैं।
बता दें कि I-PAC द्वारा तृणमूल के चुनाव प्रचार की कमान संभालने के बाद, सांसदों और विधायक सहित TMC नेता, 2019 के अंत में, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म में शामिल हुए।
Sunday Guardian की रिपोर्ट के अनुसार पहले तो प्रशांत किशोर की I-PAC की टीम ने कई नेताओं का ट्विटर हैंडल बनाया और फिर कुछ बड़े नेताओं के साथ उनके नाम को Verified कराया। यह वेरिफिकेशन हुआ कैसे जब ट्विटर ने 2017 में इसे रोक दिया है?
दरअसल, इन अभी नेताओं के नाम की लिस्ट अभिषेक बनर्जी के कार्यालय द्वारा पायल कामत को भेजी गई जो ट्विटर पर “public policy and government” को संभालती हैं। यहाँ यह बताना महत्वपूर्ण है कि पायल कामत ने अगस्त 2015 से अप्रैल 2018 तक प्रशांत किशोर की I-PACके लिए संचार प्रबंधक के रूप में काम किया था। अब यह समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि कैसे उन सभी नेताओं का अकाउंट Verified हो गया।
हैरानी की बात तो यह भी है कि पहले ही कई TMC के नेता यह कहते पाए गए हैं कि उन्हें यह भी पता नहीं था कि उनके नाम पर ट्विटर अकाउंट है। यह तो सिर्फ ट्रेलर था। उसके बाद भी उन अकाउंट को I-PAC की ही टीम चलाती है न कि वे नेता।
संडे गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, TMC नेताओं के अधिकांश सोशल मीडिया हैंडल अब प्रशांत किशोर की I-PAC द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। मंत्रियों, सांसदों और विधायकों सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने सोशल मीडिया खातों को I-PAC सदस्यों को सौंप दिया है।
हालांकि, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के कुछ चुनिंदा “बड़े” नेताओं ने अपने निजी सोशल मीडिया स्टाफ को इस काम पर लगाया है, जो बाकी सांसदों और विधायकों अलग है जिनके पासवर्ड I-PAC की सोशल मीडिया टीम को दिए गए हैं।
इसी तरह PK द्वारा नेताओं की प्राइवेसी में दखल देने के कारण ही कई नेताओं से अनबन हो चुकी है। कुछ दिनों पहले TMC छोड़ने वाले दिनेश त्रिवेदी ने भी इसी तरह के आरोप लगाये थे। दिनेश त्रिवेदी ने बताया था कि कैसे प्रशांत किशोर पार्टी के नेताओं पर जरूरत से ज्यादा शक करते हैं और उनके सोशल मीडिया हैंडल तक चेक करते है और उनकी निजता का सरेआम नीतियों के नाम पर हनन करते थे। दिनेश त्रिवेदी ने कहा, “जो पार्टी संघर्ष से बनी है, उसे चुनाव जिताने के लिए एक कॉरपोरेट इंसान को हायर किया जाता है। यह अपमानजनक है।” त्रिवेदी ने आरोप लगाए कि, “टीएमसी के सभी बड़े नेताओं के ट्विटर हैंडल पीके की टीम द्वारा मैनेज किए जाते थे और उस हैंडल से पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री को अपशब्द कहे जाते थे।”
यानि PK ममता बनर्जी के साथ मिल कर हर वो चाल चल रहे हैं जिससे बीजेपी की बढती लहर को काटा जा सके, चाहे वो अपने ही नेताओं की प्राइवेसी भंग करना हो या अपने कॉन्टेक्ट्स से उनके अकाउंट ही क्यों न वेरीफाई कराना हो। अब यह देखना है कि जनता क्या फैसला सुनाती है।