निकिता जैकब अभी हिरासत में नहीं है, लेकिन इससे पहले ही उसने ‘टूलकिट गिरोह’ की पोल खोलनी शुरू कर दी है। दिल्ली पुलिस की इंवेस्टिगेशन के अनुसार जो टूलकिट ग्रेटा थनबर्ग ने अनजाने में लीक की थी, वो इकलौती नहीं थी। खालिस्तानियों के साथ जुड़े निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और दिशा रवि जैसे कथित एक्टिविस्ट पहले से ही इस टूलकिट का सीक्वल तैयार कर रहे थे, परंतु ग्रेटा के एक गलत कदम ने पूरा सत्यानाश कर दिया।
ये हम नहीं कह रहे, बल्कि दिल्ली पुलिस ने अपने जांच पड़ताल में पता लगाया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के नाम पर लाल किला परिसर में हुए उपद्रव के पीछे एक नया टूलकिट ईजाद किया गया था, जिसके जरिए 4 और 5 फरवरी को ताबड़तोड़ ट्वीट कर दिल्ली में अराजकता और हिंसा फैलानी थी। यह दूसरा डॉक्यूमेंट भी निकिता जैकब, शांतनु मुलुक, और यूके में बसी एक्टिविस्ट मरीना पैटर्सन ने तैयार किया था”
इस रिपोर्ट के निर्माताओं से संबंधित लोग और इसे वित्तीय सहायता देने वालों से संबंधित जानकारी का पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस ने गूगल को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने इस दूसरे डॉक्यूमेंट से संबंधित सभी जानकारी साझा करने को कहा है। उनके अनुसार, “दूसरे टूलकिट का प्लान अमल में नहीं ला पाया गया। यह इसलिए भी हो सकता है क्योंकि 3 फरवरी को गलती से ग्रेटा थनबर्ग ने मुख्य टूलकिट को अपने ट्वीट के माध्यम से शेयर कर दिया। इसीलिए दिशा रवि घबरा गई और ग्रेटा को ट्वीट डिलीट करने को कहा, और अपना टूलकिट से नाम हटाने का प्रयास किया”।
TFI ने अपनी रिपोर्ट में पहले ही बताया कि कैसे निकिता जैकब, दिशा रवि जैसे कथित एक्टिविस्ट खालिस्तानी संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) के सह संस्थापक मो धालीवाल के साथ संपर्क में थे, और उसके साथ एक ज़ूम मीटिंग भी कंडक्ट की थी। ऐसे में ये अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि ये लोग प्रत्यक्ष तौर पर खालिस्तानी संगठन, विशेषकर Sikhs for Justice के साथ भी जुड़े थे
यदि ऐसा न होता तो Sikhs for Justice इन लोगों के अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सरकारों पर भारत पे आर्थिक प्रतिबंध लगाने की भीख क्यों माँगता? यदि हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट शत प्रतिशत सत्य है तो एक प्रकार से ग्रेटा थनबर्ग ने अनजाने में ही देश को एक बड़ी विपदा से ‘बचा लिया’, और जिस प्रकार से निकिता जैकब बिना हिरासत में आए ही टूलकिट गिरोह की पोल खुलवा रही है, कल्पना कीजिए, जब वह पुलिस की गिरफ्त में होगी तब क्या हाल होगा।