वैदेशिक मामलों के जानकार बताते हैं कि जब दो राष्ट्राध्यक्षों के बीच संवाद होता है तो हर छोटी से छोटी बात भी महत्वपूर्ण होती है। विदेश नीति में बहुत कुछ संवादों से अधिक क्रियाकलापों से जाहिर किया जाता है। जैसे भारत ने जापान के प्रधानमंत्री आबे को, हाल ही में पदम् विभूषण से सम्मानित किया, जो बताता है कि भारत जापान के प्रधानमंत्री को अपना सच्चा हितैषी मानता है और दोनों देशों के संबंध केवल वर्तमान की चुनौतियों के लिए मजबूत नहीं हुए हैं, बल्कि दोनों देश लंबी साझेदारी करने को तैयार हैं।किंतु बाइडन के आने के बाद इसमें बदलाव आ रहा है। हालांकि बाइडन ने आधिकारिक रूप से ऐसा कोई बयान जारी नहीं किया अथवा ऐसा कोई आदेश नहीं दिया जो क्वाड देशों के सहयोगियों के लिए असहज हो, किंतु उनके व्यवहार से बहुत कुछ जाहिर हो रहा है।
बाइडन ने शपथग्रहण के बाद सुस्त रफ्तार से दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्षों को phone करना शुरू किया है। एशिया में जापान के प्रधानमंत्री सुगा, पहले प्रमुख नेता हैं, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति ने फोन किया। किंतु यह फोन अमेरिकी समय के अनुसार सुबह 10।47 पर किया गया था। अमेरिका और जापान के समय में 14 घण्टे का अंतर होने के कारण जापान में तब रात थी। ऐसे में यह फोन जापानी प्रधानमंत्री सुगा को 12 बजे के भी आधे घण्टे बाद मिला।
इसके विपरीत ट्रम्प के शासन में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों द्वारा अक्सर अमेरिकी समयानुसार शाम के समय बात होती थी। जिससे जापान के प्रधानमंत्री को phone जापानी समयानुसार सुबह मिलता था।वाइट हाउस का तर्क है कि फोन करने के समय में देरी का कारण वर्तमान राष्ट्रपति का स्वास्थ्य है। बाइडन 78 वर्ष के हैं इसलिए देर रात तक नहीं जाग सकते। लेकिन यह बात जापान के प्रधानमंत्री पर भी लागू होती है जो 72 वर्ष के हैं।
इसी तरह बाइडन ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को भी अनुमानतः शाम के समय ही phone किया है। दरसल इस phone के समय को लेकर अभी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं है किंतु भारतीय प्रधानमंत्री के ट्विटर पर इसकी जानकारी 8 फरवरी को रात 11 बजे दी गई। ऐसे में यही लगता है कि phone भी शाम के वक्त आया होगा।
इनके विपरीत चीनी राष्ट्रपति को फोन करते समय एक एक बात का बारीकी से ध्यान दिया गया है। स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे 78 वर्षीय बाइडन, देर रात तक नहीं जाग सकते, किंतु उन्होंने रात में ही चीनी राष्ट्रपति से पूरे 2 घण्टे बात की। यह फोन जिनपिंग को चीनी समयानुसार सुबह मिला था, इसका मतलब बाइडन ने यह फोन देर रात में किया था क्योंकि बीजिंग और वाशिंगटन डीसी के समय में 13 घण्टे का अंतर है।
साथ ही फोन करने का अवसर भी सावधान से चुना गया। फोन चीन के नववर्ष की शुरुआत के दिन पर किया गया और बाइडन ने जिनपिंग को बधाई भी दी। रिपोर्ट के अनुसार बाइडन ने जिनपिंग की बातें सुनने के बाद कहा कि चीन एक लंबे इतिहास और महान संस्कृति वाला एक महान राष्ट्र है और चीन के लोग भी महान हैं।
बाइडन ने सत्ताग्रहण करते ही कई फैसले चीन के पक्ष में लिए, उन्होंने अपनी देश की सुरक्षा को तो ताक पर रखा ही, अमेरिका की दक्षिण चीन सागर की नीति में भी बदलाव किया। उनके फैसलों के बाद जापान और ब्रिटेन ने यह साफ किया था कि वे दक्षिण चीन सागर में पूर्ववर्ती नीति का ही पालन करेंगे। अब बाइडन ने एक बार और यह साफ किया है कि चीन का विरोध उनके बस की बात नहीं। ट्रम्प जैसा साहस उनमें नहीं और अमेरिका के मित्र देश इसे भली प्रकार समझ लें।