पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने सभी ऐलान कर दिए हैं। आठ चरणों के चुनावों को लेकर ये कहा जा रहा है कि सीएम ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ रही हैं। बीजेपी के बढ़ते जनसमर्थन को लेकर ममता काफी डरी हुई है। ऐसे में ममता ने अब चुनाव आयोग के ऐलान से ठीक पहले मुफ्त की मलाई देने की नीति अपनाई है।
ममता के इस कदम से साबित होता है कि वो बीजेपी से डर गई हैं। इसीलिए मजदूरों के लिए ममता बनर्जी न्यूनतम मजदूरी का नया शिगूफा लेकर आईं हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले कई बड़े नेता ममता बनर्जी का साथ छोड़ चुके हैं, इसके चलते राज्य में बीजेपी के लिए चुनाव काफी आसान हो गया है। शुभेंदु अधिकारी से लेकर राजीव बनर्जी सभी ममता के लिए बागी होकर मुसीबत बन गए हैं।
एक तरफ बीजेपी के हमले झेल रहीं TMC के लिए सबसे बड़ी बात ये है कि उसकी सबसे बड़ी मुसीबत बागी नेता हैं। ऐसे में ममता जान चुकी हैं कि वो राज्य की सत्ता गंवाने वाली हैं। इसलिए वो राज्य में जनता को मुफ्त की सौगात देने की योजना बना रही हैं।
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ममता का चुनावी डर इस बात से दिख रहा है कि वो चुनाव आयोग की प्रेस वार्ता से पहले एक लोक लुभावन स्कीम लेकर सामने आई हैं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कहा, “मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि राज्य में में न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाने का फैसला लिया गया है। पश्चिम बंगाल सरकार की शहरी रोजगार स्कीम के तहत ये फैसला लिया गया है।”
ममता ने कहा, “अकुशल श्रमिक जिसकी अभी तक न्यूनतम मजदूरी 144 रुपए थी, बढ़ाकर 202 कर दी गई है। अर्ध कुशल मजदूर जिसकी न्यूनतम मजदूरी अभी तक 172 थी, अब उसकी दैनिक न्यूनतम मजदूरी 303 रुपए होगी। वहीं स्कीम में कुशल श्रमिकों की नई कैटेगरी जोड़ी गई है। इस वर्ग के मजदूर के लिए एक दिन की कम से कम मजदूरी 404 रुपए तय की गई है।”
I am pleased to announce a HIKE in the wages of daily wage workers under WB Urban Employment Scheme:
> To ₹202 per day from ₹144 earlier for unskilled labour
> To ₹303 from ₹172 earlier for semi-skilled
> ₹404 for skilled labour (new category introduced)
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— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) February 26, 2021
ममता बनर्जी ने कहा, “कुल 56,500 श्रमिकों को इस फैसले से फायदा होगा। जिसमें 40,500 अकुशल, 8000 अर्ध-कुशल और 8000 कुशल मजदूर हैं। इसके लिए वितवर्ष 2021 और 2022 दोनों में बजट का प्रावधान किया गया है।” पर सवाल ये उठता है कि राज्य के चुनावों के ऐलान के ठीक एक घंटे पहले ही ममता ने ये सारे एलान क्यों किए?
इसका सबसे बड़ा जवाब उनके डर में छिपा है। उन्हें बीजेपी का जनाधार बंगाल में बढ़ता दिख रहा है। दूसरी ओर बागी नेताओं के जाने से पार्टी की हालत और ज्यादा खराब हो चुकी है। उन्हें साफ पता चल चुका है कि अब उनका इस स्थिति में चुनाव जीतना नामुमकिन है। ऐसे में ममता अपने आखिरी दांव के रूप में मुफ्त की स्कीम लेकर आईं हैं जिससे गरीब तबके के लोगों को पैसे के दम पर लुभाया जा सके।
ममता की ये असहजता साफ बता रही है, कि मुख्यमंत्री के तौर पर उनका आखिरी फैसला है क्योंकि ममता का सियासी सूर्यअस्त हो रहा है, और बंगाल में बीजेपी का नया सूरज चुनावों के बाद उदय होगा जो अपने आप में एतिहासिक होगा।