चुनावी राज्य में आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य सरकारें अकसर ही विपक्षी पार्टियों के नेताओं की रैलियों और कार्यक्रमों को रोकने के लिए पुलिस की ताकत का बेजा इस्तेमाल करती रही हैं। वहीं जब सत्ता से जाने का डर हो तो ये स्वाभाविक हो जाता है। पश्चिम बंगाल में भी अब यही हो रहा है। वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अंतर्गत काम कर रही पुलिस बीजेपी के चुनावी अभियान को रोकने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद सभी तरीकों का इस्तेमाल कर रही है। कुछ ऐसा ही वाकया बीजेपी की परिवर्तन रथयात्रा को लेकर भी है। ममता वकीलों से लेकर अपनी पुलिस तक का इस्तेमाल कर रही हैं जिसके जरिए बीजेपी और अमित शाह की रैलियों को बंगाल में रोकने की नीति अपना रही हैं क्योंकि अमित शाह ममता के लिए एक सबसे बड़ा सियासी खतरा बनकर उभरे हैं।
पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी की परिवर्तन रैलियों में गृहमंत्री अमित शाह ने अपना खूब जादू चलाया था। इसके चलते राज्य में बीजेपी ने 18 लोकसभा सीटें जीतीं थीं। ममता दीदी को उन चुनावों से अब तक का सबसे बड़ा सियासी झटका मिला था। ऐसे में एक बार फिर बीजेपी बंगाल में 5 परिवर्तन रथयात्रा निकालने की प्लानिंग कर रही है और पहली रथयात्रा 6 फरवरी को होगी, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल होंगे। वहीं, 11 फरवरी को इस रथयात्रा में गृहमंत्री अमित शाह के शामिल होने को लेकर ममता दीदी काफी डरी हुई हैं।
दो दिन पहले ही कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका लगाकर कहा गया था कि इन रथयात्राओं को रोका जाए। इसके अलावा मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय भी इसको लेकर कह चुके हैं कि बीजेपी नेताओं को स्थानीय प्रशासन से कार्यक्रमों की इजाजत लेनी चाहिए। ऐसे में अब स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के 6 फरवरी के नबाद्वीप वाले कार्यक्रम को तो परमिशन दे दी है, लेकिन अमित शाह के 11 फरवरी के कार्यक्रम को किसी भी तरह की मंजूरी नहीं दी है। इसे प्रशासन द्वारा अड़ंगा लगाने की नीति माना जा रहा है। इस मुद्दे पर कृष्णानगर के पुलिस अधीक्षक बिस्वजीत घोष ने कहा,नबद्वीप में रैली की अनुमति दी गई है। केवल बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को कार्यक्रम की अनुमति दी गई है। वह एक सभा में जनता को संबोधित करेंगे। तथाकथित रथ यात्रा के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है। रथ यात्रा को लेकर पुलिस ने बीजेपी से स्पष्टीकरण मांगा गया है।”
ममता बनर्जी का प्रशासन बीजेपी को रथयात्रा जैसे कार्यक्रमों को इजाजता नहीं दे रहा है। रथयात्रा को लेकर वहां का पूरा प्रशासन सख्त रुख अपनाए हुए हैं, जिसकी वजह वही चुनावी हार का डर माना जा रहा है। बीजेपी की रथयात्राओं के जरिए सांकेतिक रूप से बहुसंख्यक समाज का रुख बीजेपी की ओर चला जाता है, जिससे ममता दीदी को नुकसान होता है। इसका उदाहरण 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश ने देखा भी है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए ममता दीदी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी को रथयात्रा करने से रोकने के लिए अपने पूरे प्रशासनिक अधिकारों का इस्तेमाल कर रही हैं। हालांकि नड्डा को इजाजत जरूर मिली हैं, लेकिन अमित शाह को इजाजत न देना बताता है कि ममता दीदी बंगाल में अमित शाह की मौजूदगी से कितना ज्यादा डरती हैं।