इस समय खालिस्तानियों की हालत ऐसी हो चुकी है – आसमान से गिरे और खजूर पर अटके। किसान आंदोलन के नाम पर भारत को तोड़ने के लिए जो जुगत खालिस्तानियों ने भिड़ाई थी, वो अब बिखरती दिखाई दे रही है, और यहाँ तक कि धीर-धीरे करके उसके विदेशी आका भी उसका साथ छोड़ते दिखाई दे रहे हैं।
भारत सरकार ने हाल ही में कनाडा की सरकार को लेकर इस विषय पर चिंता जताई है। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, “खालिस्तानी संगठनों में बौखलाहट की स्थिति है। यही नहीं कनाडा में शह पाए खालिस्तानी अब वहां रह रहे अन्य भारतीयों को भी धमकी दे रहे हैं। ऐसी कई रिपोर्ट्स हैं, जिनमें भारतीय-कनाडा समुदाय के लोगों को धमकी देने की बात सामने आई है। इन रिपोर्ट्स के बाद भारत सरकार ने कैनेडियन पीएम जस्टिन ट्रूडो से भारतीयों को सुरक्षा देने को कहा है।
कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने लिखा है, ‘हम इन रिपोर्ट्स से चिंतित हैं, जिनमें कहा गया है कि भारत में कृषि सुधारों के कानूनों का समर्थन करने वाले भारत के नागरिकों और मित्रों को टारगेट किया जा रहा है और उन्हें धमकियां दी जा रही हैं। उन्हें हिंसा की धमकी दी जा रही है और उनके बिजनेस को बायकॉट और प्रभावित करने की धमकी भी जा रही है।’ हिंसा और रेप जैसी धमकियां मिलने की बात भी कनाडा के ग्रेटर टोरंटो एरिया, मेट्रो वैंकोवर और वैंकोवर जैसे इलाकों से सामने आई हैं”।
परंतु ये नौबत क्यों आई? दरअसल, जब से ग्रेटा थनबर्ग द्वारा टूलकिट लीक हुई, जिसमें भारत को बर्बाद करने का ब्लूप्रिंट शामिल था, तब से खालिस्तानियों का पूरा आंदोलन बैकफ़ुट पर आ चुका है। बता दें कि भारतीय एजेंसियों की ओर से टूलकिट की जांच वाले मामले में खालिस्तानी समर्थक मो धालीवाल का नाम सामने आया है, जो कनाडा के वैंकूवर में ही रहता है। यही नहीं 26 जनवरी के मौके पर भारतीय दूतावास के सामने हुए प्रदर्शन में भी वह शामिल था और भड़काऊ नारे भी लगाए थे।
ये गुंडई केवल कनाडा तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका, यूके और न्यूज़ीलैंड जैसे देशों में भी देखी जा रही है। न्यूज़ीलैंड में तो एक सिख रेडियो संचालक हरनेक सिंह ने कृषि कानूनों के समर्थन में बोल क्या दिया, उनपर घातक हमला किया गया, और कई बार उन्हें चाकुओं से गोदा गया। परंतु शायद वाहेगुरु की कृपा थी कि उन्हे अपनी जान से हाथ नहीं धोना पड़ा।
इस बीच भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने भारतीय समुदाय को सुरक्षा देने का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा, “यदि किसी भी भारतीय नागरिक को किसी तरह की धमकी मिलती है तो उन्हें तुरंत ही इसके बारे में जानकारी देनी चाहिए। पुलिस को तत्काल मामले की सूचना देने के साथ ही हमें भी इस बारे में बताना चाहिए”।
ऐसे में ये स्पष्ट हो चुका है कि अब खालिस्तानियों के पास अपनी बात को सिद्ध करने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। लाल किले पर उपद्रव के कारण वे पहले ही नैतिक समर्थन खो चुके हैं, और अब तो कनाडा के प्रधानमंत्री भी उनसे मुंह मोड़ रहे हैं। ऐसे में धमकियाँ देकर वह अपनी मानसिक कुंठा को जगजाहिर करने में लगे हुए हैं।