दक्षिण चीन सागर में बढ़ती चीनी आक्रामकता के कारण वियतनाम, फिलीपींस और मलेशिया जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में चिंताएँ देखने को मिली है। चीनी आक्रामकता के कारण इन देशों को अपनी सुरक्षा नीति में बड़े बदलाव करने पड़े हैं। ऐसे में इन देशों के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने और किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इज़रायल ने सभी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों और खासकर वियतनाम की भरपूर मदद की है। ऐसे में दक्षिण चीन सागर और Indo-Pacific क्षेत्र में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच इस क्षेत्र में इज़रायल की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
South China Morning Post की एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण चीन सागर में मौजूद विवादित Spratly islands के आसपास पिछले दो सालों में वियतनाम ने अपने सुरक्षा कवच को बेहद मज़बूत किया है, जिसमें इज़रायल ने वियतनाम की भरपूर मदद की है। वियतनाम ने पिछले दो सालों में Spratly islands के West reef द्वीप पर 70 एकड़ के इलाके में सिग्नल टावर और प्रशासनिक इमारतों को खड़ा किया है। वियतनाम ने कुछ ठिकानों पर इजरायल से लिया गया Artillery rocket systems भी तैनात किया है, जो कि कम से कम समय में बेहद कम संसाधनों के साथ दुश्मनों पर हमला करने की क्षमता रखते हैं। चूंकि वियतनाम ने यह रणनीति चीन के खिलाफ बनाई है, ऐसे में इसमें इज़रायल की भागीदारी काफी अहम हो जाती है।
हालांकि, चीन के खिलाफ डटकर खड़े वियतनाम और अन्य दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों और इज़रायल के बीच सैन्य संबंध सिर्फ इतने तक ही सीमित नहीं रहे हैं। वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2018 तक वियतनाम इजरायली arms export के सबसे बड़े बाज़ारों में से एक था। Diplomat की एक रिपोर्ट के मुताबिक वियतनामी सरकार ने पिछले कुछ सालों में इजरायली उच्च तकनीक का इस्तेमाल कर अपने सुरक्षा इनफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर लिया है।
सुरक्षा साझेदारी को लेकर वर्ष 2015 में वियतनाम और इज़रायल के बीच एक MoU पर हस्ताक्षर भी हुए थे। उसके बाद से ही वियतनाम ने इजरायल से स्पाइडर और डर्बी मिसाइल, ईएलएम -2288 / ईआर, ईएलएम -2022 एयर डिफेंस रडार और पाइथन -5 एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) का आयात किया है। इससे पहले वर्ष 2014 में इज़रायल ने 100 मिलियन डॉलर के निवेश के साथ वियतनाम में एक डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी को स्थापित किया था ताकि वियतनामी सेना को Galil ACE 31 और 32 assault rifles को सप्लाई की जा सके।
इज़रायली ने अपने हथियार सिर्फ वियतनाम को ही नहीं बेचे हैं, बल्कि क्षेत्र में फिलीपींस, थाईलैंड और म्यांमार जैसे देशों ने भी इज़रायली हथियारों में अपनी दिलचस्पी दिखाई है। पिछले एक दशक के दौरान इज़रायल और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच हुए सुरक्षा समझौतों को साफ देखा जा सकता है।
वर्ष 2016 के बाद से ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान इज़रायल ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ अपने सैन्य सम्बन्धों को और बढ़ाया है, जिसके नतीजे में यह निकला है कि अब इज़रायल सीधे-सीधे इन देशों के चीन-विरोधी projects में अपनी भूमिका निभा रहा है। इज़रायली हथियार समझौते इसीलिए भी आकर्षक होते हैं, क्योंकि इज़रायल हथियार बेचने से पहले इन देशों में “मानवाधिकारों की स्थिति” को लेकर प्रश्न खड़े नहीं करता है।
रणनीतिक रूप से वियतनाम की location बेहद महत्वपूर्ण है और ऐसे में इज़रायल के साथ ही साथ अमेरिका और अन्य Quad देशों ने इस देश को चीनी चुनौती से निपटने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है। ऐसे में जिस प्रकार दक्षिण चीन सागर के मामलों में इज़रायल ने अपना योगदान दिया है, उसने क्षेत्र में चीन के लिए मुश्किलों को और बढ़ा दिया है।