ब्रिटेन सरकार ने चीनी सरकार को एक जोरदार झटका देते हुए अपने यहां चीनी प्रोपेगंंडा आउटलेट CGTN के प्रसारण पर रोक लगा दी है। UK मीडिया रेगुलेटर Ofcom ने CGTN से प्रसारण संबन्धित सभी लाइसेन्स वापस छीन लिए हैं, जिसके बाद इस चैनल को तुरंत प्रभाव से ऑफ एयर कर दिया गया है। चीनी न्यूज़ आउटलेट्स चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं, जिसके खिलाफ पूर्व में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देश भी सख़्त कदम उठा चुके हैं। अब UK ने CGTN के खिलाफ यह कदम उठाकर चीनी सरकार को सख़्त संदेश भेजा है।
UK मीडिया रेगुलेटर के मुताबिक CGTN के प्रसारण के लिए जिस कंपनी को लाइसेन्स मिला हुआ था, उसका नाम Star China Media Limited है, जिसके पास UK में किसी प्रकार की भी संपादकीय ज़िम्मेदारी है ही नहीं! Star China के पास सिर्फ कंटेन्ट के वितरण को लेकर अधिकार हैं, ना की चैनल की संपादकीय नीति को लेकर! ऐसे में UK के नियमों के तहत Star China Media को प्रसारण संबंधी अधिकार नहीं दिये जा सकते। इसी वजह से उसने अब इस कंपनी से प्रसारण संबंधी अधिकार छीन लिए हैं, जिसके बाद CGTN UK में ऑफ-एयर हो गया है।
Ofcom ने सूचना दी है कि उसने CGTN के खिलाफ इस कार्रवाई से इतर उसके खिलाफ तीन अन्य मामलों में जांच शुरू की हुई है। Hong-Kong में हुए लोकतन्त्र-समर्थक प्रदर्शनों पर CGTN की विवादित कवरेज पर पहले ही Ofcom और CGTN के बीच तनाव देखने को मिल चुका था। अब Ofcom ने एक झटके में इस चैनल का लाइसेन्स रद्द करने का ही मन बनाया है। Ofcom ने एक बयान देकर कहा “हमने CGTN को नियमों के तहत काम करने के लिए कई अवसर प्रदान किए, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया! अब हमने CGTN का लाइसेन्स रद्द करने का फैसला लिया है।”
UK के इस फैसले के बाद अब चीन भी UK के BBC नेटवर्क के खिलाफ एक्शन लेने के संकेत दे दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने हाल ही में BBC पर कोरोना की कवरेज को लेकर भ्रामक खबरे फैलाने का आरोप लगाया है और BBC के चीन ब्यूरो के प्रमुख को एक शिकायत दर्ज कर BBC से चैनल पर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को कहा है। यह दर्शाता है कि UK में अपने प्रोपगैंडा आउटलेट CGTN के बंद होने पर चीन कितना चिढ़ा हुआ है।
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और ट्रम्प प्रशासन ने भी चीनी मीडिया के खिलाफ सख़्त एक्शन ले चुके हैं। ट्रम्प प्रशासन ने पिछले वर्ष कम्यूनिस्ट प्रोपेगैंडे पर लगाम लगाने के लिए एक के बाद एक कई चीनी मीडिया संगठनों को “विदेशी संपत्ति” घोषित कर दिया था। उसके बाद बौखलाए चीन ने अमेरिका को धमकी भरे शब्दों में कहा था कि अमेरिका का यह कदम एक दूसरे देश के मीडिया संगठनों के काम करने के माहौल को दूषित कर देगा।
The US has gone too far. The move will further poison working environment of media outlets in each other’s country. As long as Chinese media outlets suffer actual harm, Beijing will definitely retaliate, and US media outlets' operation in HK could be included in retaliation list. pic.twitter.com/xTSDyRHpx6
— Hu Xijin 胡锡进 (@HuXijin_GT) October 21, 2020
इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में पहले ही एक US सरकारी मीडिया आउटलेट चीनी भाषा में एक news service “Decode China” लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है, जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया में चीनी भाषा समझने वाले चीनी नागरिकों तक चीनी प्रोपेगैंडे से इतर खबरें भी पहुंचाई जा सकें। पिछले वर्ष दिसंबर में ही ऑस्ट्रेलिया की टॉप खुफिया एजेंसी ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार को आगाह करते हुए कहा था कि देश में ऑपरेट कर रही अधिकतर चीनी मीडिया पर सीधे-सीधे CCP का प्रभाव है, जिसका मुक़ाबला करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार को प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
अब UK के रेगुलेटर्स द्वारा CGTN के खिलाफ लिए गए इस फैसले के बाद UK भी चीनी प्रोपेगैंडे के खिलाफ कदम उठाने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है। UK और चीन पहले ही Hong-Kong और British National Overseas (BNO) पासपोर्ट जैसे मुद्दों पर एक दूसरे के साथ सींग उलझाए हुए हैं। चीन ने पिछले हफ्ते ऐलान किया था कि वह 31 जनवरी के बाद से BNO पासपोर्ट धारकों को विदेशी यात्रा करने की अनुमति प्रदान नहीं करेगा, जबकि ब्रिटेन सरकार BNO पासपोर्ट धारकों को अपने यहाँ शरण प्रदान करने की योजना तैयार कर चुकी थी। इसी बीच UK सरकार के CGTN को बैन करने के फैसले के बाद दोनों देशों में और तनाव देखने को मिल सकता है।