भारत के लिए श्रीलंका ने पहले इमरान खान की बेइज्जती की, अब चीनी वैक्सीन को दिखाया ठेंगा

श्रीलंका ने इन दिनों एक स्पष्ट रुख अपनाया है – कुछ भी हो, पर भारत के हितों से कोई समझौता नहीं। कई वर्षों तक भारत और चीन दोनों के साथ रहने का प्रयास करने वाला श्रीलंका अब खुलकर भारतीय हितों का सम्मान करने लगा है। श्रीलंकाई संसद में इमरान खान के होने वाले भाषण को रद्द करने के बाद अब उसने खुलेआम चीनी वैक्सीन को भी ठेंगा दिखाया है।

मंगलवार को श्रीलंका सरकार के प्रवक्ता रमेश पथिराना ने ऐसा संकेत दिया कि अब श्रीलंका चीनी वैक्सीन की बजाय ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) की वैक्सीन- कोविशील्ड का इस्तेमाल करेगा। इस का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute Of India) कर रहा है। श्रीलंका ने इस वैक्सीन के 13.5 मिलियन डोज का ऑर्डर भी दिया है।

अभी हाल ही में श्रीलंका ने भारत द्वारा भेजे गए 5 लाख वैक्सीन डोज़ के लिए शुक्रिया अदा किया था। ये भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति के अंतर्गत मुफ़्त में दी गई वैक्सीन थी। इस वैक्सीन के चलते ही श्रीलंका वुहान वायरस से निपटने में सक्षम रहा है, और अब भारत पर उसका विश्वास इतना बढ़ चुका है कि श्रीलंकाई सरकार ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन के 10 लाख अतिरिक्त डोज़ के लिए तत्काल ऑर्डर दिया है।

श्रीलंका के मंत्री रमेश पथिराना के अनुसार श्रीलंका भारतीय वैक्सीन को इसलिए प्राथमिकता दे रहा है, क्योंकि चीनी वैक्सीन ने अब तक फेस थ्री के ट्रायल से संबंधित कागज नहीं सबमिट किये हैं। जिस देश ने चीन को कई मामलों में प्राथमिकता दी हो, उसके लिए खुलेआम चीनी वैक्सीन को नकारना आसान कार्य बिल्कुल नहीं था।

इस निर्णय के साथ श्रीलंका ने चीन के वैक्सीन को खुलेआम ठेंगा दिखाया है। जिन वैक्सीन पर खुद चीनी नागरिक तक को भरोसा नहीं है, उन वैक्सीन को अपने नागरिकों को देकर श्रीलंका अपनी बर्बादी की कहानी ही लिखता, जिसमें केवल पाकिस्तान जैसे देश ही गर्व महसूस करते हैं। अब जब पाकिस्तान की बात ही हो रही है, तो श्रीलंका के वर्तमान निर्णय पर भी नजर डालते हैं, जिसके कारण एक बार फिर सिद्ध हुआ कि श्रीलंका भारत के हितों को ताक पर रखकर कोई अंतर्राष्ट्रीय संबंध नहीं स्थापित करेगा।

हाल ही में इमरान खान ने श्रीलंका का दौरा किया, ताकि दक्षिण एशिया में वह पाकिस्तान की छवि को सुधार सके। लेकिन संसद में उनका प्रस्तावित भाषण रद्द कर दिया गया। हालांकि, इसके पीछे कोई कारण नहीं दिया गया, लेकिन पाकिस्तानी मीडिया का मानना है कि इमरान खान का कट्टरपंथी इस्लाम के प्रति समर्थन और भारत के साथ उनके अनुभव को देखते हुए श्रीलंका सरकार ने ये निर्णय लिया। इसके बाद जॉइंट प्रेस में कश्मीर का उल्लेख न होना भी इसी ओर इशारा था।

पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार, श्रीलंकाई रिपोर्ट्स की माने तो श्रीलंका की सरकार में कुछ ऐसे लोग हैं, जो नहीं चाहते थे कि ये भाषण हो, क्योंकि इससे भारत के साथ संबंध में पड़ जाती। कोलंबो पोर्ट में ईस्ट कन्टैनर टर्मिनल को लेकर एक डील रद्द होने से भारत पहले से ही नाराज है, और इमरान खान के भाषण से स्थिति बद से बदतर हो सकती थी” 

अब इमरान खान का श्रीलंका की संसद में भाषण देने का अर्थ होता कि श्रीलंका ने जानबूझकर अपने मंच से इमरान खान को भारत के विरुद्ध विष उगलने का अवसर दिया, और श्रीलंका ये गलती बिल्कुल नहीं करना चाहता।

दरअसल, हाल ही में भारत और जापान (India and Japan) के साथ इस्टर्न कंटेनर टर्मिनल (ECT) प्रोजेक्ट से श्रीलंका पीछे हट गया था जिसके बाद से ये दोनों देश श्रीलंका से नाराज चल रहे थे। ऐसे में श्रीलंका अब भारत को मनाने के लिए उसके दुश्मनों को कोई महत्व नहीं दे रहा है।

ऐसे में श्रीलंका ने जिस प्रकार से चीन और पाकिस्तान को ठेंगा दिखाया है, उससे स्पष्ट होता है कि वह भारत के साथ अपने संबंध किसी भी स्थिति में अब वो रिस्क में नहीं डालना चाहता, और इसीलिए वह आवश्यकता पड़ने पर भारत के लिए किसी से भी भिड़ने को तैयार दिखाई दे रहा है।

 

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