योगी का डर: लिबरल्स चाहते हैं Biden प्रोपेगेंडा फ़ैलाने वाले वरदराजन को रामपुर के FIR से बचाएं

ये डर अच्छा है!

वरदराजन

जब से उत्तर प्रदेश पुलिस ने सिद्धार्थ वरदराजन के विरुद्ध मुकदमा दायर किया है, तब से वामपंथी ब्रिगेड के छाती पर मानो सांप लोटने लगे हैं। सिद्धार्थ वरदराजन के विरुद्ध FIR न हुआ, मानो मीडिया को नष्ट करने का आदेश दिया गया हो। इतना ही नहीं, सिद्धार्थ वरदराजन के अमेरिकी होने का फायदा उठाकर अब वामपंथी योगी सरकार को धमकाने में जुट गया है। इनका कहना है कि यदि वरदराजन को हाथ भी लगाया, तो बाइडन उन्हें ‘देख लेंगे’।

बता दें कि अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के रामपुर में यूपी पुलिस ने सिद्धार्थ के विरुद्ध द वायर के आर्टिकल के जरिए वैमनस्य फैलाने और भ्रामक खबरें प्रसारित करने के आरोप में FIR दर्ज की है। द वायर के संस्थापक और प्रमुख संपादक होने के नाते सिद्धार्थ वरदराजन ने द वायर की एक रिपोर्ट शेयर की, जिसमें ये अफवाह फैलाई जा रही थी कि ITO का जो किसान मारा गया था, उसे पुलिस की गोली से ही मारा गया, और पुलिस जानबूझकर इस बात को छुपा रही है। फलस्वरूप सिद्धार्थ वरदराजन के विरुद्ध रामपुर पुलिस ने आईपीसी की धारा 153B (imputations, assertions prejudicial to national integration) एवं 505(2) (statements creating or promoting enmity between classes) के अंतर्गत FIR दर्ज की गई

लेकिन सिद्धार्थ वरदराजन के विरुद्ध हुई से वामपंथी ऐसे बिलबिला गए मानो देश में अभी ही आपातकाल घोषित कर दिया। आतिश तासीर ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को टैग करते हुए कहा कि भारत से मित्रता करने की अब कोई आवश्यकता नहीं।

वॉल स्ट्रीट जर्नल के लिए लेख लिखने वाले पत्रकार सदानंद धूमे को भी इस प्रकरण से ऐसी मिर्ची लगी कि उनके ट्वीट में उनकी बौखलाहट साफ दिखाई दे रही थी। जनाब अपने ट्वीट में कहते हैं, “जो भी प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में ज़रा भी चिंतित है, उसे ये देखना चाहिए कि योगी आदित्यनाथ के ठग आखिर क्या कर रहें एक पत्रकार के साथ”।

चूंकि उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल में सिद्धार्थ के भाई तुनकू द्वारा लिखे गए लेख को शेयर किया, इसलिए यहाँ स्पष्ट है कि वह किससे मदद की आशा कर रहे थे। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कुछ अति उत्साही बुद्धिजीवी जो बाइडन को अपना भाग्यविधाता मानने लगे हैं, जो एक शब्द बोलेंगे और पूरी दुनिया उनके सामने नतमस्तक हो जाएगी। लेकिन शायद वह ये भूल रही है कि यह भारत है, और खासकर उत्तर प्रदेश में वामपंथियों को तो घास भी नहीं डाली जाती। ऐसे में यदि भूल से भी बाइडन हस्तक्षेप करने का निर्णय लेते हैं, तो ये उनके जीवन की सबसे बड़ी गलतियों में से एक सावित हो सकती है।

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