संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अमेरिकी डॉलर वैश्विक आरक्षित मुद्रा है। अगर यह कहा जाए कि अमेरिका का सेंट्रल बैंक केवल पैसा छापता है, और दुनिया भर के देश इसे खरीदते हैं तो गलत नहीं होगा।
हालांकि, अपनी पूर्व-प्रतिष्ठित स्थिति को देखते हुए, अमेरिका की सरकारें कर्ज की आदी हो गई हैं। चूंकि कोरोनावायरस महामारी ने इस देश की अर्थव्यवस्था की तहस नहस कर दिया था इसलिए, उसे पुनर्जीवित करने के लिए खर्च में तेजी से वृद्धि हुई है और यह सब खर्च ऋण द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है।
अमेरिकी कांग्रेसमैन Alex Mooney द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका का राष्ट्रीय ऋण 29 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ गया है, जो 2020 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10 गुना है। इसके अलावा, इस ऋण का अधिकांश हिस्सा उन देशों पर बकाया है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के मित्र नहीं हैं, जैसे चीन जिसका 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक अमेरिकी सरकार पर कर्ज है।
भारत ने अमेरिका को लगभग 216 बिलियन डॉलर का ऋण भी दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक के पास 500 बिलियन डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है और इसका अधिकांश हिस्सा अमेरिकी ऋण में निवेशित है।
अमेरिकी कांग्रेसमैन Alex Mooney ने बताया कि, “जो लोग हमें उधार दे रहे हैं, जरूरी नहीं कि वो ऐसे लोग हैं ,जो हमारे अच्छे हित के बारे में सोचते हैं। ब्राजील का हम पर 258 बिलियन अमरीकी डालर बकाया है। भारत का हम पर 216 बिलियन अमरीकी डालर का बकाया है। और यह सूची लंबी है”।
Mooney जो बाइडन प्रशासन द्वारा प्रस्तावित 2 ट्रिलियन डॉलर प्रोत्साहन पैकेज का विरोध कर रहे थे, उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस में अपने भाषण के दौरान ऋण के लिए अमेरिकी आदत को एक्सपोज किया।
उन्होंने कहा कि, “हमारा ऋण 29 ट्रिलियन अमरीकी डालर तक बढ़ता जा रहा है। प्रति नागरिक पर और भी अधिक ऋण बकाया है। कर्ज कहां जा रहा है, इस बारे में लोगों को गलत जानकारी है। Mooney ने कहा कि अमेरिका जिन देशों का कर्ज लेकर बैठा है उसमें शीर्ष दो देश चीन और जापान हैं, वास्तव में वो हमारे दोस्त नहीं हैं”।
उन्होंने कहा कि, “हम हर समय चीन के साथ वैश्विक प्रतिस्पर्धा में रहते हैं। हमारे ऊपर उनका ऋण बढ़ता जा रहा है और यह 1 ट्रिलियन USD से अधिक तक पहुंच चुका है। जापान पर भी हमारा 1 ट्रिलियन USD से अधिक बकाया हैं”।
Mooney ने इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति ओबामा को भी दोषी ठहराया, जिनके कार्यकाल से सार्वजनिक ऋण में तेजी देखने को मिली थी। उन्होंने बताया कि, “ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद से हमने अपने राष्ट्रीय ऋण को दोगुना कर दिया है। और अब यहां पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर ऋण-से-जीडीपी अनुपात होने जा रहा है।”
पिछले कुछ वर्षों में कर्ज पर प्रकाश डालते हुए, Mooney ने कहा कि, “हमने वास्तव में एक वर्ष में प्रति व्यक्ति 10,000 अमेरिकी डॉलर तक के उधार लिए हैं। मेरा मतलब है, यह नियंत्रण से बाहर है।”
भारत और चीन जैसे देश, जो ट्रेजरी बिलों में निवेश के माध्यम से अमेरिकी सरकार को अरबों डॉलर का ऋण देते हैं, अब उन्हें अपने निवेश में विविधता लानी चाहिए जिससे कर्ज डूबे ना।
इसके अलावा, दुनिया भर के देशों, विशेष रूप से विकासशील देशों को वैश्विक व्यापारों से पश्चिमी देशों और उनकी मुद्राओं जैसे अमेरिकी डॉलर और यूरो की कीमत कम करने के लिए डिजिटल मुद्राओं और क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।