कुछ लोगों की प्रवृत्ति को देखकर ही किसी ने सही कहा था, “चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए।” यह हालत राकेश टिकैत की भी है। पंजाब, हरियाणा उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से दुरुदुराए जाने के बावजूद जनाब के हौसले बुलंद है और अब वे दावा करते हैं कि वे गुजरात को केंद्र सरकार के चंगुल से छुड़ाएंगे।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने दावा किया कि वे देश भर में किसान महापंचायत करेंगे और तभी वापस जाएंगे जब कृषि कानून निरस्त हो जाएंगे। जनाब ने कहा, “हम पूरे देश में जाएंगे, गुजरात को आजाद करवाना है। गुजरात आजाद चाहिए। गुजरात में जाएंगे। राजनीति का कोई मतलब नही है। इस आंदोलन में कोई राजनीतिक वोट तलाश ना करे। भारत आजाद है लेकिन गुजरात के लोग केंद्र के कैदी हैं, केंद्र गुजरात को नियंत्रित कर रहा है। यदि वो लोग आंदोलन में शामिल होते हैं तो उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा। इसे लेकर में तारीख पर फैसला ले रहे हैं। जल्द ही तारीख का ऐलान किया जाएगा”
जी हां, आपने ठीक सुना। राकेश टिकैत गुजरात को ‘केंद्र सरकार’ के ‘चंगुल’ से छुड़ाने के लिए जाएंगे। इसके अलावा राकेश टिकैत ने कहा, “यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक केंद्र सरकार कमेटी से बातचीत कर किसी समझौते पर नहीं पहुंच जाती है। उन्होंने दावा किया यह आंदोलन पूरे देश में फैला हुया है और यह केवल पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश तक सीमित नही है जैसा कि कुछ लोग दावा कर रहे है।”
अब या तो राकेश टिकैत इतिहास से परिचित नहीं है, या फिर वह इतिहास को जानबूझकर अनदेखा करना चाहते हैं। ऐसी ही एक कोशिश 2015 में हार्दिक पटेल ने भी की थी, जब पाटीदार समुदाय को आरक्षण दिलाने के नाम पर उसने पूरे गुजरात को हिंसा की आग में झोंक दिया था। लेकिन हार्दिक के चोंचले ज़्यादा दिन नहीं टिक पाए और उसे जल्द ही हिरासत में ले लिया गया। आज हार्दिक पूरे गुजरात में हंसी के पात्र से ज़्यादा कुछ नहीं है।
अगर हरियाणा और पश्चिमी यूपी के क्षेत्रों के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो अब किसान आंदोलन धीरे-धीरे कुछ जाटों के शक्ति प्रदर्शन तक ही सिमट रहा है। किसान आंदोलन को भी अब अंतरराष्ट्रीय समर्थन पहले की तरह नहीं मिल पा रहा है, लेकिन राकेश टिकैत अपनी हार स्वीकारने को ही तैयार नहीं है, और उसका हश्र भी वही होगा जो सत्ता के लोभ में हठी दुर्योधन का हुआ था।