जापान के संबंध में चीनी विदेश नीति अब तक की एक बड़ी विफलता है। जापान के आक्रामक तेवर ने चीन को टोक्यो पर दबाव बनाने के लिए एक बार फिर से मजबूर किया है लेकिन ऐसा लगता है कि यह दबाव की रणनीति भी पूरी तरह से फेल हो गई है। जापान ने हाल ही में चीनी तटरक्षक कानून पर संज्ञान लेते हुए अपने तटरक्षक को अधिकार दिया है कि वह पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप किसी भी विदेशी जहाजों के खिलाफ सीधे फायर कर सकता है।
सरकारी अधिकारियों ने सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के एक पैनल को बताया कि उन्होंने मौजूदा कानूनों की अपनी इंटरप्रिटेशन यानी व्याख्या बदल दी है। ध्यान रहे कि चीन ने इस महीने की शुरुआत में एक नया कानून बनाया था जिसमें उसके तटरक्षक को चीनी जल क्षेत्र में आने वाले विदेशी जहाजों के खिलाफ हथियारों का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। अब जापान ने भी इसी तरह की अनुमति दी है। पहले की व्याख्या जापान के तट रक्षकों को केवल आत्मरक्षा और आपातकालीन पलायन के मामलों में ही विदेशी जहाजों पर सीधे फायर की अनुमति थी।
हालांकि, हालिया घटनाक्रम के कारण, अधिकारियों ने गुरुवार को पैनल की बैठक में जापानी तट रक्षकों के लिए नियमों की नई व्याख्या दी। यानी जापान के तटरक्षक सेनकाकू द्वीप पर उतरने वाले विदेशी जहाजों के खिलाफ कानून के तहत फायर कर सकते हैं।
2012 में शी जिनपिंग के आने के बाद से ही चीन पूर्वी चीन सागर में लगातार धमकी और सैन्य युद्धाभ्यास में वृद्धि हुई है। 2020 के दौरान, पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप समूह के पास चीनी जहाज अक्सर जापानी पानी में घुस रहे थे। यहां तक कि हाल ही में कुछ दिनों पहले, स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप समूह के निकट जापानी तटीय जल में चीनी जहाजों के घुसने के बाद जापान ने चीन के साथ विरोध दर्ज कराया था। स्पुतनिक की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष चीनी जहाजों ने जापानी समुद्री सीमा का आठ बार उल्लंघन किया है।
इससे पहले, चीन ने अपने तटरक्षक को स्पष्ट रूप से अपने “अधिकार क्षेत्र” के तहत पानी में घुसने वाले विदेशी जहाजों पर फायरिंग की अनुमति दी थी। यह एक ऐसा कदम था जिससे वह पूरा क्षेत्र अस्थिर हो गया था। चीन के इस कदम से यह माना जा रहा है कि नए चीनी कानून का उद्देश्य जापान के सेनकाकू द्वीप समूह को कब्जे में करने का है, जिस पर बीजिंग दावा करता है। चीन द्वारा तट रक्षकों को फायरिंग के अनुमति देने के बाद फिलीपींस और वियतनाम ने भी चीनी निर्णय का विरोध किया था। चीन अपनी गुंडागर्दी दिखाने के लिए अपने बेसलाइन से बहुत दूर द्वीपों और पानी तक अपना दावा करता है, और इसके समुद्री दावों को अक्सर अंतरराष्ट्रीय कानून का कोई समर्थन नहीं मिलता है।
अब, टोक्यो चीन के मकसद को समझते हुए उसे उसी की भाषा में जवाब देने की दिशा में कदम उठा चुका है। जापान सरकार ने चीन के साथ अपनी जटिल निर्भरता से बाहर निकलने के बारे में अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं, टोक्यो अब समझौता करने और चीनी आक्रामकता को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। जापानी सरकार और जापानी लोगों को समान रूप से लगता है कि चीन अब हद से आगे बढ़ रहा है।
एलडीपी सदस्य Taku Otsuka के अनुसार यह पहली बार है जब सरकारी अधिकारियों ने जापानी क्षेत्र पर उतरने वाले विदेशी आधिकारिक जहाजों पर तटरक्षक को फायरिंग की अनुमति दी है। जापान ने चीनी गुंडागर्दी के खिलाफ एक कदम उठाया है और भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर वह एशिया में शांति लाने के लिए काम कर रहा है।