पीएम नरेंद्र मोदी की सबसे खास बात यह है कि जब वे विपक्ष के प्रपंच का जवाब देते हैं, तो उनके तर्क पर विपक्षी बगलें झांकते फिरते हैं। राष्ट्रपति के सम्बोधन के जवाब में जब प्रधानमंत्री राज्य सभा में बोले तो उन्होंने न सिर्फ महीनों से चल रहे विपक्षियों के प्रपंच को धोया, बल्कि टूलकिट गैंग को भी जमकर धोया।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने किसानों को भरोसा दिलाया कि MSP है, था और रहेगा। मंडियों को मजबूत किया जा रहा है। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्तों में राशन दिया जाता वो भी जारी रहेगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने लिबरल्स पर हमला करते हुए कहा कि भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्वार्थी है, न आक्रामक है, ये सत्यम, शिवम, सुंदरम से प्रेरित है।
अपने भाषण के प्रारंभ में प्रोपेगेंडावादियों की धुलाई करते हुए पीएम मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आजाद हिन्द के प्रथम सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री के तौर पर संबोधित किया। ये तथ्य इसलिए भी सत्य है क्योंकि जब आर्जी हुकूमत ए आज़ाद हिन्द की स्थापना 1943 में की गई, और 1944 तक भारतीय क्षेत्रों को ब्रिटिश कब्जे से मुक्त कराया गया, तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही आजाद हिन्द सरकार की अगुवाई कर रहे थे।
इसके बाद पीएम मोदी ने किसान आंदोलन के नाम पर अराजकता फैला रहे अराजकतावादियों को भी आड़े हाथों लिया। प्रधानमंत्री के अनुसार, “हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं। श्रमजीवी… बुद्धिजीवी… ये सारे शब्दों से परिचित हैं। लेकिन मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वो है आंदोलनजीवी। ये जमात आप देखोगे वकीलों का आंदोलन है, वहां नजर आएंगे… स्टूडेंट का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे… मजदूरों का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे… कभी पर्दे के पीछे कभी पर्दे के आगे। ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है। वो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा”।
यहां पर पीएम मोदी का स्पष्ट इशारा योगेंद्र यादव जैसे नेताओं से था, जो किसी भी सरकार विरोधी आंदोलन में अपना मुंह उठाकर हिस्सा लेने चल देते हैं। पीएम मोदी ने ग्रेटा थनबर्ग और टूलकिट गैंग को भी आड़े हाथों लेते हुए इनके कुटिल इरादों की ओर ध्यान देने पर जोर दिया।
पीएम मोदी के अनुसार, “कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे… इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हम ये न भूलें कि पंजाब के साथ क्या हुआ। जब बंटवारा हुआ, सबसे ज्यादा पंजाब के लोगों को भुगतना पड़ा। जब 1984 के दंगे हुए, सबसे ज्यादा पंजाब के आंसू बहे। जब जम्मू कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट में अशांति हुई, लोग परेशान हुए”।
इसके अलावा पीएम मोदी ने टूलकिट गैंग के लिए एक नया टर्म प्रयोग में लाते हुए कहा, “एक नया FDI मैदान में आया है-Foreign destructive ideology (फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी)। इस FDI से हमें देश को बचाने की जरूरत है, और जागरूक रहने की जरूरत है”।
यहां पीएम मोदी का इशारा स्पष्ट रूप से उन विदेशी कार्यकर्ताओं की ओर था, जो किसान आंदोलन के समर्थन के नाम पर भारत छवि पर बट्टा लगाने के प्रयासों में जुटे हैं । रविवार को ही असम में हुई एक रैली में इन लोगों के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाते हुए पीएम मोदी ने कहा था, “जो भारत के विरुद्ध षड्यन्त्र रच रहे हैं, वे इतने नीचे गिर चुके हैं कि उन्हें भारतीय चाय से भी नफरत हो गई है। आपने तो सुना ही होगा कि ये लोग भारतीय चाय को बदनाम करने के लिए एक सुनियोजित तरह से काम कर रहे हैं”।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पीएम मोदी ने एक ही भाषण से विपक्ष, खालिस्तानियों, NGO प्रेमी और टुकड़े टुकड़े गैंग को पटक- पटक के धोया है। जिन लोगों को यह लगता है कि वे हिंसक आंदोलन कर पीएम मोदी को झुका सकते हैं, उन्हें इतिहास के पन्ने पलटकर देख लेना चाहिए, वरना फिर से मुंह की खानी पड़ेगी।