राज्य के बजट पर ध्यान देने के साथ ही CM योगी अयोध्या के खोए गौरव को भी वापिस ला रहे हैं

अयोध्या की संस्कृति पुनर्जीवित होगी

अयोध्या

जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है तब से अयोध्या को उसके सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व के अनुरूप सम्मान मिलने लगा है। जहाँ पिछली सरकारें अयोध्या को श्रीरामलाला जन्मस्थान के विवाद के कारण उपेक्षित रखती थीं वहीं योगी सरकार में, श्री अयोध्याजी के विकास के लिए बड़ी मात्रा में धन आवंटित किया जा रहा है।  उत्तर प्रदेश सरकार 5.5 लाख करोड़ का बजट लेकर आयी है जो भारतीय राज्यों में सबसे बड़ा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने आवास एवं शहरी नियोजन मंत्रालय के तहत सूरजकुंड प्रोजेक्ट को 140 करोड़ रूपये दिए हैं और अयोध्या के एयरपोर्ट के विकास के लिए 101 करोड़ रूपये आवंटित हुए हैं। एयरपोर्ट का नाम मर्यादा परुषोत्तम श्रीराम एयरपोर्ट होगा।

सरकार ने पर्यटन मंत्रालय के तहत 100 करोड़ रूपये दिए हैं जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिले, साथ ही जन्मभूमि को जाने वाली सड़कों के विकास के लिए 300 करोड़ रूपये आवंटित हुए हैं। विभिन्न प्रोजेक्ट के तहत 658.5 करोड़ रूपये श्री अयोध्याजी को मिले हैं। इसको लेकर अयोध्यावासी भी बहुत उत्साहित हैं क्योंकि स्वतन्त्र हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार योगी सरकार में अयोध्या अपने पूर्व के वैभव को पुनःप्राप्त कर रही है। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा “भगवान श्रीराम की जन्मभूमि आधुनिक काल में अपने पूर्वकालिक वैभव को पुनःप्राप्त करने के लिए तैयार हो रही है। यह देखकर अच्छा लग रहा है की सरकार इस बदलाव के लिए धन खर्च कर रही है।”

यह पहला मौका नहीं है जब योगी आदित्यनाथ ने यह दिखाया है की वह अयोध्या को उसका यश पुनःलौटने के लिए प्रतिबद्ध हैं, देखा जाए तो सरकार बनने के बाद से ही योगी इसके लिए प्रयासरत हैं। उनकी प्रतिबद्धता का अंदाजा इसी बात से लगता है की सरकार बनते ही वह श्रीरामलला के दर्शन के लिए अयोध्या गए, यह 2002 के बाद पहला मौका था जब कोई मुख्यमंत्री अयोध्या आया था।

यह महत्वपूर्ण है की उत्तर प्रदेश को वर्षों बाद ऐसा मुख्यमंत्री मिला है जो अयोध्याजी के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व को समझ रहा है। किन्तु बात केवल इतनी ही नहीं है, अयोध्या दुनियाभर के हिन्दुओं के लिए आस्था का केंद्र है, ऐसे में इसके सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व का उपयोग क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए किया जा सकता है। यह समझना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन योगी सरकार की पूर्ववर्ती सरकारों में अयोध्या का विकास करने की राजनैतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। वोटबैंक की राजनीती ने क्षेत्र को सामाजिक और सांस्कृतिक क्षति तो पहुंचाई ही, साथ ही इस शहर के आर्थिक विकास में भी बाधा उत्पन्न की।

अयोध्या का सांस्कृतिक पुनरत्थान पूरे भारत के लिए महत्वपूर्ण है। श्रीराम न सिर्फ आस्था के केंद्र हैं बल्कि वह भारत की संस्कृति के भी प्रतिक हैं। अयोध्या के मंदिर का टूटना और वहां मस्जिद बनना और उसके बाद पुनः उसी स्थान पर मंदिर का पुनर्निर्माण भारतीय इतिहास की गौरवगाथा का जीताजागता प्रमाण है। भारतवर्ष ने सैकड़ों सालों की गुलामी और अत्याचार के बाद भी अपनी सांस्कृतिक पहचान नहीं गवाई, भारत ने मुस्लिम और ईसाई आक्रांताओं का सफलतापूर्वक विरोध किया। जबकि इसी काल में दुनियाभर की सभ्यताओं का पतन हो गया, किन्तु भारत ने गिरने और पुनरुत्थान की कहानी बनाई, अयोध्या भारतीय जनमानस के उसी संघर्ष का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

हमेशा से उपेक्षित होने के कारण इस शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं हुआ। किन्तु योगी सरकार ने अयोध्या को अपनी विकास योजना का केंद्र बना लिया है जो बहुत ही अच्छा है। योगी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है की अयोध्या भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के केंद्र में आये, जो उसका अधिकार है.

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