जिस बात का डर था वही होता दिखाई दे रहा है। जो बाइडन अब चीन और शी जिनपिंग को खुश करने के लिए उनके सामने घुटने टेक कर सज़दा कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार एक इंटरव्यू में बाइडन ने जिनपिंग की इतनी तारीफ की जितना कोई आशिक भी नहीं करता होगा।
दरअसल, अमेरिका में सुपर बाउल से पहले CBS की एंकर Norah O’Donnell के साथ बात करते हुए, राष्ट्रपति बाइडन का चीन के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट हुआ। इस इंटरव्यू के दौरान बाइडन ने जिनपिंग की प्रशंसा करते हुए कहा कि, “वह बहुत ब्राइट और टफ है। उनके शरीर में “डेमोक्रेसी” का डी भी नहीं है और मैं इसे आलोचना के तौर पर नहीं कह रहा हूँ बल्कि यह वास्तविकता है।”
राष्ट्रपति बाइडन ने जोर देकर कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शी जिनपिंग के शरीर में “लोकतांत्रिक हड्डी” न होने की बात “आलोचना के रूप में” नहीं कहा था। यानि बाइडन यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि वे जिनपिंग की आलोचना नहीं करना चाहते हैं चाहे वो कितने भी तानाशाह क्यों न हो जाये, चाहे वो उइगर या तिब्बतियों पर कितने भी अत्याचार क्यों न करे या फिर दक्षिण चीन सागर में चाहे कितनी भी आक्रामकता दिखा ले और छोटे देशों पर दबाव बनाये।
अमेरिका के राष्ट्रपति, जिनके बेटे हंटर बाइडन की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े व्यवसायों के साथ व्यापक वित्तीय संबंध है, उन्होंने यह भी कहा कि वह “ट्रम्प की तरह चीन के साथ पेश नहीं आयेंगे”। बाइडन वास्तव में यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बीजिंग को यह सन्देश पहुंचे जिसमें अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता को कम करने की योजना है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “सवाल यह है कि, मैंने उनसे यह सब कहा है, कि हमें संघर्ष की आवश्यकता नहीं है।” उन्होंने कहा, “लेकिन अब अत्यधिक प्रतिस्पर्धा होने वाली है। मैं ऐसा नहीं करने वाला हूं जिस तरह से ट्रम्प ने किया था। हम अंतर्राष्ट्रीय नियमों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।“
बाइडन ने शी जिनपिंग के साथ अपने संबंधों और दर्जनों बार निजी बैठकों का दिखावा करते हुए कहा कि, “मैं शी को बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ। चीन के साथ संपर्क स्थापित करने में अमेरिकी राष्ट्रपति को कोई समस्या नहीं है”। बाइडन ने यहां तक कहा, “ठीक है, हमारे पास अभी तक एक दूसरे से बात करने का अवसर नहीं मिला है।” उन्होंने कहा, “उन्हें (शी जिनपिंग) को न बुलाने का कोई कारण नहीं है।”
बाइडन ने कहा, “शायद मैंने शी जिनपिंग के साथ जितना अधिक समय बिताया है, जो किसी भी विश्व नेता ने नहीं बिताया है।”
चीनी सैन्य बल शिंजियांग और तिब्बत जैसे कब्जे वाले क्षेत्रों में मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन करते रहते हैं और कर रहे हैं, परन्तु अब बाइडन चुप रहेंगे क्योंकि वह चीन के साथ संघर्ष नहीं चाहते हैं। अब यह कहना गलत नहीं होगा कि बाइडन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने घुटने टेक दिए हैं। बाइडन के नेतृत्व में अब अमेरिका बीजिंग का मुकाबला नहीं करने जा रहा है, बल्कि गहरे संबंध स्थापित करने जा रहा है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होोगा कि बाकी लोकतांत्रिक दुनिया को अमेरिकी समर्थन के बिना ही चीन के खिलाफ एक्शन शुरू करना होगा।