यदि देश में कोई सनातन धर्म की महिमा को राजनीतिक रूप से पुनर्स्थापित करने में सफलतापूर्वक लगे हुए हैं, तो वे निस्संदेह उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। कभी देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल यूपी आज के सबसे प्रगतिशील राज्यों में शामिल होने के लिए प्रयासरत है, और यहाँ उन्नति के नाम पर संस्कृति से कोई समझौता भी नहीं हुआ है। अब यही विचारधारा योगी आदित्यनाथ केरल में भी लाना चाहते हैं, जो इस समय वामपंथ और कट्टरपंथी इस्लाम की दोहरी मार से ग्रस्त है।
हाल ही में केरल दौरे पर आए योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण के प्रारंभ में भारत माता की जय और अभिवादन का अंत जय श्री राम से करके स्पष्ट कर दिया कि यहां आने के पीछे उनका उद्देश्य क्या है और वे कैसे केरल के हिंदुओं को उनका खोया हुआ गौरव लौटाना चाहते हैं। उनके बयान के अनुसार,
“सरकार ने कुछ संगठनो को अराजकता फैलाने की छूट दे रखी है, जिससे इनका दुस्साहस बढ़ गया है, लेकिन हमने इनमें से कुछ को गिरफ्तार किया है। केरल हाई कोर्ट ने लव जिहाद को लेकर यहां की सरकार को आगाह किया था, लेकिन केरल की सरकार ने कुछ नहीं किया। हमने यूपी में लव जिहाद को लेकर कड़ा कानून बनाया, और 2009 में केरल हाई कोर्ट ने कहा था कि लव जिहाद इस्लामिक स्टेट बनाने का हिस्सा है, लेकिन यहां की सरकार को इसकी चिंता नहीं है”।
योगी आदित्यनाथ ने सबरीमाला मंदिर से लेकर वुहान वायरस के विषय पर सत्ताधारी LDF और कांग्रेस समर्थित UDF दोनों को घेरा। योगी आदित्यनाथ के अनुसार, “केरल के अंदर यहां की सरकार सबरीमाल मंदिर के साथ खिलवाड़ कर रही है। प्रदेश के अंदर LDF और UDF दोनों सरकारें भ्रष्टाचार की प्रतीक रही हैं। यूपी की आबादी 24 करोड़ है, लेकिन अब वहां 2 हजार से भी कम कोविड-19 के एक्टिव केस बचे हैं, और WHO ने भी सरकार की सराहना की है। पहले केरल की सरकार उत्तर प्रदेश की जनता पर हंसती थी, लेकिन अब सब केरल सरकार पर हंस रहे हैं। यहां की सरकार को जनता को हिसाब देना चाहिए।”
इसमें कोई दो राय नहीं कि केरल में आम हिंदुओं के लिए सर उठाकर जीना मुश्किल हो चुका है। सबरीमाला के विषय पर कम्युनिस्ट सरकार ने किस प्रकार से जनता की आस्था के साथ खिलवाड़ किया था, ये किसी से नहीं छुपा है। इसके अलावा केरल के मंदिरों की संपत्ति का दुरुपयोग हो, या फिर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर PFI जैसे आतंकी संगठन की अलगाववादी और उग्रवादी रैलियों को बढ़ावा देना हो, न तो सत्ताधारी LDF और न ही विपक्षी UDF इन कुरीतियों पर लगाम लगाने में सफल रही है।
यही नहीं, केरल सरकार कट्टरपंथी इस्लाम के प्रति तो मानो आँखें मूंदकर, कानों में तेल डालकर बैठी है। लव जिहाद तो छोड़िए, केरल अपने राज्य में इस्लामिक स्टेट के लिए भारी संख्या में रिक्रूटमेंट को भी रोकने में फिसड्डी सिद्ध हुई है।
इसके अलावा जिस प्रकार से केरल की सत्ताधारी LDF गठबंधन केरल के मंदिरों के वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग करती है, वह भी किसी से छुपा नहीं है। उदाहरण के लिए गुरुवायुर मंदिर से केरल के राजकोष को भरने का विवाद हो, या फिर पद्मनाभस्वामी मंदिर के स्वामित्व का मुद्दा हो, LDF सरकार को दोनों जगह केरल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से काफी खरी खोटी भी सुन्नी पड़ी है।
ऐसे में योगी आदित्यनाथ का केरल आना इस बात का परिचायक है कि अब केरल में भी हिन्दुत्व की महिमा गाई जाएगी। योगी आदित्यनाथ की सबसे खास बात यह है कि न वे विकासशील परियोजनाओं को अनदेखा करता है, और न ही विकास के नाम पर संस्कृति से समझौता करते हैं। अपने मुखर स्वभाव के कारण ही उन्होंने अयोध्या को एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में पुनः परिवर्तित करने में सफलता पाई है।
इसके अलावा जिस प्रकार से उन्होंने असामाजिक तत्वों को नियंत्रण में रखा है, वो भी प्रशंसनीय है, जो CAA के विरोध प्रदर्शन और हाथरस कांड के विरोध के नाम पर किये गए भड़काऊ प्रदर्शन के सफल नियंत्रण से स्पष्ट दिखता है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ ने अपने दौरे से स्पष्ट संदेश भेज है – केरल के हिंदुओं, जागो, लड़ो, और तब तक मेहनत करो जब तक अपना खोया गौरव पुनः न प्राप्त कर लो।