तांडव को लेकर अमेज़न ने मांगी माफ़ी, ये OTT प्लेटफॉर्म पर एंटी-हिन्दू कंटेंट के अंत की शुरुआत है

एमेजॉन

लगता है केंद्र सरकार ‘भय बिनु प्रीत न होई’ की नीति को आत्मसात कर चुकी है। तभी उनके एक कदम ने OTT प्लेटफ़ॉर्म पर चल रही नौटंकी को खत्म करने की शुरुआत कर दी है। अभी हाल ही में एमेजॉन इंडिया ने तांडव के भड़काऊ दृश्यों को लेकर माफी मांगी है और विवादित दृश्यों को हटाने का निर्णय भी लिया है।

एमेजॉन प्राइम इंडिया ने तांडव को लेकर अपने बयान में कहा, “एमेजॉन प्राइम वीडियो को फिर से गहरा अफसोस है कि दर्शकों को हाल ही में रिलीज हुई सीरीज तांडव के कुछ काल्पनिक सीन आपत्तिजनक लगे। यह हमारा उद्देश्य कभी नहीं था और जिन दृश्यों पर आपत्ति जताई गई थी, उन्हें हटा दिया गया या फिर एडिट कर दिया गया”।

एमेजॉन इंडिया ने अपने बयान में आगे कहा, “हम अपने दर्शकों की विविध मान्यताओं का सम्मान करते हैं और उन लोगों से बिना शर्त माफी मांगते हैं, जो इन दृश्यों के कारण आहत हुए हैं। हमारी टीम कंपनी के कंटेंट के मूल्यांकर का पालन करती है, जो कि हमें यह बताता है कि हम दर्शकों को अपनी बेहतर सेवा दें। हम भारत के कानूनों का अनुपालन करते हुए और अपने दर्शकों की संस्कृति और मान्यताओं का सम्मान करते हुए अपने पार्टनर्स के साथ आपके लिए मनोरंजक कंटेंट परोसने की कोशिश करते रहेंगे”।

लेकिन तांडव में ऐसा भी क्या दिखाया जो इतना बवाल मचा था? दरअसल, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ लोगों ने सनातन संस्कृति को अपशब्द सुनाना फैशन बना दिया, और तांडव में भी यही देखने को मिला। जातिवाद का विष हो, या राष्ट्रवादियों को तानाशाही के रूप में दिखाना हो, या फिर भगवान शिव और भगवान राम को अपमानित करना हो, तांडव में ऐसे कई आपत्तिजनक दृश्य देखने को मिले।

सेक्रेड गेम्स के द्वितीय संस्करण, पाताल लोक इत्यादि में भी ऐसे ही दृश्यों की भरमार थी, इसलिए जनता के सब्र का बांध टूट गया और जनता ने तांडव को प्रतिबंधित करने की मांग की। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में तो इस वेब सीरीज के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज हुआ। अभी हाल ही में एमेजॉन इंडिया की कॉन्टेन्ट हेड अपर्णा पुरोहित ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका भी दायर की, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया।

इसके साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपर्णा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इन दिनों तो मानो सनातन धर्म को जानबूझकर अपमानित करना फ़िल्मकारों के लिए आम बात हो गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए भविष्य में इस तरह के कंटेंट से बचने के लिए भी कहा था।

अपने निर्णय में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ये भी कहा था कि, “ऐसे लोग बहुसंख्यक समुदाय के आराध्य देवी देवताओं को गलत तरह से दिखाकर इसके जरिए पैसा कमाना चाहते हैं और देश की उदार और सहिष्णु परंपरा का फायदा उठाना चाहते हैं। संविधान का आधारभूत विचार यह है कि लोग दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना पूरी आजादी के साथ अपने धर्म का पालन कर सकें और उसका प्रचार कर सकें। इसलिए यह सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि जबकि वह एक काल्पनिक कहानियां भी बना रहे हों तो भी दूसरे धर्म की भावनाओं का सम्मान करें”।

ऐसे में जिस प्रकार से एमेजॉन इंडिया ने बिना शर्त माफी मांगी है, वो अपने आप में इस बात का सूचक है कि अब पहले की तरह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर वे सनातन धर्म को अपशब्द कहकर बचकर नहीं निकल सकते। इसके अलावा भी कई हिन्दू विरोधी और भारत विरोधी प्रोजेक्ट्स पर लगाम लगने की खबर आ रही है, जिससे संदेश स्पष्ट है – सनातन धर्म से अब कोई समझौता नहीं।

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