Senkaku को लेकर चीन जापान पर हमला करने को आतुर है, इधर अमेरिका जापान से अपने सैनिक निकालने चला है

Senkaku

अमेरिका में बाइडन प्रशासन आने के बाद से ही चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपनी आक्रामकता को कई गुना बढ़ा दिया है। एक तरफ जहां चीन ने ताइवान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तो वहीं दूसरी तरफ चीन ने तेजी से जापान के Senkaku islands पर भी अपने दावों को और मजबूत किया है। ऐसे में अब अमेरिका ने जापान को एक बड़ा झटका देते हुए Indo-Pacific में अपनी सेना की तैनाती पर पुनर्विचार करने का फैसला लिया है।

बीते सोमवार को अमेरिकी Indo Pacific कमांड के अध्यक्ष Navy Adm. Philip Davidson ने एक बयान में कहा “पिछले 50 सालों में हमने क्षेत्र में अपनी नौसेना के केंद्र में पूर्वी एशिया को रखा है, क्योंकि हम धीरे-धीरे वियतनाम, थाइलैंड, ताइवान और फिलीपींस से बाहर आ गए। अब हम अपने साथी देशों के साथ मिलकर अमेरिकी नौसेना को अधिक इलाका कवर करने के अनुसार तैनात करेंगे।”

बता दें कि अभी अमेरिकी नौसेना के अधिकतर संसाधन जापान और दक्षिण कोरिया में तैनात हैं। अकेले जापान में ही अमेरिका की Indo-Pacific कमांड के 50 हज़ार सैनिक तैनात हैं, जिनमें से आधे तो जापान के ओकिनावा बेस पर तैनात हैं। इसके साथ ही अकेले Yokosuka बेस पर अमेरिका के 12 बड़े-बड़े जंगी जहाज़ तैनात हैं। अब अमेरिका की नई Indo-pacific नीति के तहत इन सभी संसाधनों को “ज़्यादा बेहतर सुरक्षा कवच” के लिए ज़्यादा क्षेत्र में तैनात किया जाएगा, जो कि आखिर में जापान से अमेरिकी सैनिकों और अमेरिकी जंगी जहाजों को बाहर निकालने का सबसे बड़ा कारण बनके उभरेगा!

अमेरिका की नई Indo-Pacific पॉलिसी के तहत जापान की सुरक्षा के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता के साथ समझौता किया जाएगा, जो इस वक्त जापान की पीठ में छुरा घोंपने के समान होगा। वर्ष 1960 में जापान-अमेरिका के बीच हुए सुरक्षा समझौते के तहत अगर कोई भी देश जापान पर आक्रमण करता है, तो अमेरिका को उसकी सहायता के लिए आगे आना ही पड़ेगा। हालांकि, पिछले दिनों ही अमेरिकी सुरक्षा विभाग के प्रवक्ता John Kirby ने जापान को एक बड़ा झटका देते हुए कहा था कि अमेरिका Senkaku Islands पर जापान के दावों का समर्थन नहीं करता है। वह भी तब जब कुछ दिनों पहले ही चीन ने दक्षिण चीन सागर और पूर्वी सागर में आक्रामकता दिखाते हुए अपनी कोस्ट गार्ड को विदेशी घुसपैठियों पर ओपन फायर करने का फैसला सुनाया था।

चीन ने पिछले कुछ समय में जिस प्रकार से Senkaku द्वीपों को लेकर आक्रामकता दिखाई है, उसने जापान की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। पिछले सप्ताह चीनी कोस्ट गार्ड के दो जहाज़ जापान के Senkaku द्वीपों की जल सीमा में घुस गए थे, जिसके बाद जापान ने चीन की कड़ी आलोचना की थी। इसके साथ ही जापान ने भी अपनी कोस्ट गार्ड को विदेशी घुसपैठियों पर पहले गोली चलाने की अनुमति दे दी है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि चीनी आक्रामकता से लोहा लेने के लिए एक तरफ जहां जापान अपनी दृढ़ता दिखा रहा है, तो वहीं अमेरिका जापान का साथ छोड़ता नज़र आ रहा है। शायद यही कारण है कि अब जापान Indo-Pacific में भारत और ऑस्ट्रेलिया की और ज़्यादा सक्रिय भूमिका की मांग कर रहा है और इसके साथ ही रूस के साथ भी अपने रिश्ते बेहतर करने के प्रयास कर रहा है।

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