CJI बोबड़े के रिटायर होने के बाद जस्टिस NV रमन्ना बनेंगे CJI, मतलब न्यायिक प्रक्रिया में होंगे बड़े बदलाव

सभी को न्याय के लिए प्रयासरत हैं जस्टिस NV रमन्ना

जल्द ही अप्रैल खत्म होते होते मुख्य न्यायाधीश शरद अरविन्द बोबड़े के स्थान पर सुप्रीम कोर्ट की कमान न्यायाधीश एनवी रमन्ना संभालेंगे। उनका नाम स्वयं मुख्य न्यायाधीश बोबड़े ने सुझाया है, और अगर उनके विचारों पर नजर डाली जाए, तो वे अपने कार्यकाल में गरीबों और पिछड़ों को न्याय उपलब्ध कराने के लिए अपनी कमर भी कस चुके हैं।

जस्टिस एनवी रमन्ना ने हाल ही में एक व्याख्यान में कहा, “हम आज भी वह देश है, जहां लाखों लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है, जिसमें न्याय प्राप्त होना भी शामिल है। यह सत्य कड़वा अवश्य है, परंतु इससे हम हतोत्साहित नहीं हो सकते। हम स्वतंत्रता से ही गरीबी और न्याय तक पहुँच की लड़ाई में फंसे हुए हैं, और दुर्भाग्यवश 74 वर्षों बाद भी हम इस समस्या से नहीं उबर पाए हैं”

23 अप्रैल 2021 बतौर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े का अंतिम दिन, जिसके पश्चात जस्टिस एनवी रमन्ना 26 अगस्त 2022 तक मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे। आंध्र प्रदेश के पोन्नावरम ग्राम में जन्मे जस्टिस रमन्ना शोषितों और वंचित व्यक्तियों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं। 2014 में उन्हे सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

बतौर मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस रमन्ना न्यायपालिका में व्यापक बदलाव करना चाहते हैं। उनसे उम्मीद की जा रही है कि न्यायपालिका में आवश्यक बदलावों और सुधारों को वे अधिक बल देंगे, ताकि कोई भी न्याय से वंचित न हो, और उनके आदर्शों का भी शत प्रतिशत पालन हो।

इसके साथ ही जस्टिस रमन्ना को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि न्यायपालिका में ऐसे लोग न घुसने पाए, जो न्यायपालिका में हस्तक्षेप करने के साथ साथ भारत विरोधी तत्वों को भी बढ़ावा दे। जिस प्रकार से प्रशांत भूषण जैसे वकील याचिकाओं के नाम पर खोखली आरटीआई दलीलों और ऊटपटाँग तथ्यों के सहारे कोर्ट को उलझाए रखना चाहते हैं, उसके प्रति मुख्य न्यायाधीश शरद अरविन्द बोबड़े ने भी अपना विरोध जताया था, और प्रशांत भूषण के बचकाने दलीलों को आड़े हाथों भी लिया।

इसके अलावा जिस देश में 3.5 करोड़ से भी अधिक पेंडिंग मामले हो, वह देश भला कैसे उन्नति करेगा? यदि हम आज भी कई क्षेत्रों में पिछड़तें हैं, तो इसका प्रमुख कारण न्यायपालिका में व्यापक बदलाव न हो, जिसका अनुचित फायदा उठाकर कई वामपंथी अहम प्रोजेक्ट में अड़ंगे भी लगाते हैं और भारत के हित में लिए गए निर्णयों को भी चुनौती देते हैं। अब जब जस्टिस रमन्ना के रूप में ऐसे न्यायाधीश मिले हैं, जो इसी दिशा में काम करने को प्रयासरत है, तो जल्द ही हमें स्वच्छ और मजबूत न्यायपालिका भी देखने को मिल सकती है।

Exit mobile version