जब से वेदांता का स्टारलाइट कॉपर प्लांट बंद हुआ है तब से भारत को कॉपर के उत्पादन में भारी नुकसान हुआ है। कुछ महीने पहले वेदांता की याचिका को दोबारा ख़ारिज कर दिया गया और प्लांट पर से प्रतिबन्ध नहीं हटाया गया। स्टारलाइट Copper प्लांट के बंद होने से रिक्त हुए स्थान को भरने के लिए अब जाने माने कारोबारी गौतम अडानी मैदान में कुद चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार अडानी एंटरप्राइजेज ने 25 मार्च को पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, कच्छ Copper लिमिटेड (KCL) को शामिल करके कॉपर के कारोबार में प्रवेश की घोषणा की है।
कंपनी का कहना है कि, ”केसीएल को कॉपर बिजनेस से जुड़ी गतिविधियों, जैसे कि कॉपर कैथोड और Copper रॉड्स आदि के निर्माण के लिए शामिल किया गया है।“ यही नहीं कॉपर के बिजनेस में आने से ही अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी देखने को मिली।
बता दें कि अडानी समूह ने कॉपर के बिजनेस में ऐसे समय में एंट्री मारी है जब स्टारलाइट कॉपर प्लांट बंद होने से देश में कॉपर का आयात लगातार बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2019 में रिफाइंड Copper का आयात बढ़कर लगभग 93 हजार टन हो गया है, जो वित्त वर्ष 2018 में 44 हजार टन के आसपास था।
इनमें से अधिकतर आयात चीन, जापान, मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों से हो रहा है। Copper कई उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल है जैसे पैकेजिंग, इलेक्ट्रिकल, ट्रांसपोर्ट और टेलीकम्यूनिकेशन इंडस्ट्री।
केयर रेटिंग के मुताबिक तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित वेदांता के स्टरलाइट Copper प्लांट के बंद होने के चलते भारत को इसके आयात की जरूरत पड़ी थी। रेटिंग एजेंसी केयर ने बताया था कि वित्त वर्ष 2017-18 तक भारत Copper कैथोड का शुद्ध निर्यातक हुआ करता था, लेकिन स्टरलाइट प्लांट के बंद होने से स्थिति बदल गई है। भारत के कुल Copper निर्यात में स्टरलाइट कॉपर यूनिट कंपनी की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत हुआ करती थी, लेकिन इसके बंद होने के बाद अब भारत को Copper जापान, कांगो, सिंगापुर, चिली, तंजानिया, यूएई और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से आयात करना पड़ रहा है। बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान भारत के कॉपर निर्यात में 87.4 फीसद की गिरावट दर्ज की गई, वहीं इसी अवधि के दौरान आयात में 131.2 फीसदी का इजाफा हुआ। वर्ष 2013-14 से लेकर वर्ष 2017-18 तक भारत में Copper का उत्पादन लगभग 10 प्रतिशत की दर से बढ़ा था। हालांकि, वर्ष 2019 में यह उत्पादन एकदम 46 प्रतिशत गिर गया। तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट प्लांट के बंद होने के चलते लगभग 4 लाख टन कॉपर का उत्पादन खत्म हो गया। इससे पहले देशभर में कुल 10 लाख टन कॉपर का उत्पादन होता था।
संयंत्र के बंद होने से भारत तांबे का शुद्ध आयातक बन गया है, जबकि पाकिस्तान को अपने तांबे के निर्यात को 400 प्रतिशत बढ़ाने में भी मदद मिली। प्लांट के बंद होने से न सिर्फ लोगों का रोजगार गया, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान हुआ। अब अडानी समूह ने कच्छ कॉपर लिमिटेड के तहत इस बिजनेस में शुरुआत की है। अब यह देखना महत्पूर्ण होगा कि भारत को हो रहे नुकसान की भरपाई अडानी समूह कैसे करती है। हालाँकि, जिस तरह से देश में एक्टिविस्टों की फ़ौज मौके की ताक में बैठी रहती है उसे देखते हुए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कच्छ Copper लिमिटेड को उनकी काली नजरों से बचाया जा सके जिससे भारत एक बात फिर से इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके।