पिछले एक हफ्ते में स्वीडन से भारत की छवि को धूमिल करने वाली दो बड़ी खबरें देखने को मिली हैं। उत्तरी यूरोप में स्थित भारत से कई गुना छोटे इस देश को यूं तो भारतीय मीडिया में कोई खास तवज्जो नहीं मिलती है, लेकिन इस हफ्ते स्वीडन से आई कुछ अहम खबरों ने सबका ध्यान खींचा है।
हाल ही में स्वीडन के V-Dem Institute ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत से “दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र” होने का दर्जा छीन लिया। Varieties of Democracy नाम की इस संस्था ने दावा किया है कि जिस प्रकार भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में मानहानि और देशद्रोह से जुड़े क़ानूनों का दुरुपयोग किया है, उसके कारण भारत में लोकतन्त्र पर खतरा पैदा हो गया है और अब भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे इस्लामिक देशों जितना लोकतन्त्र ही बचा है।
इसी प्रकार स्वीडन की मीडिया ने भारतीय केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं। स्वीडिश मीडिया नेटवर्क SVT और ZDF ने अपनी रिपोर्ट्स में यह दावा किया था कि स्वीडन की Scania कंपनी ने Metrolink HD नाम से एक लग्ज़री बस को वर्ष 2016 में नितिन गडकरी से जुड़ी कंपनी को बेचा था, जिसे उन्होंने अपनी बेटी की शादी में इस्तेमाल भी किया था। Scania कंपनी ने अपनी एक आंतरिक रिपोर्ट में यह दावा किया है कि उनके कुछ कर्मचारियों को रिश्वत देकर भारत के कुछ राज्यों में ठेके पाने की कोशिश करने का दोषी पाया गया है, जिसमें केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का नाम भी शामिल है। हालांकि, गडकरी ने अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को दोषी बताते हुए उल्टा SVT और ZDF मीडिया कंपनियों पर मानहानि का मुकदमा ठोका है और Metrolink HD बस की खरीद-फरोख्त में शामिल किसी भी कंपनी ने कोई जुड़ाव ना होने का दावा किया है।
यहाँ बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर स्वीडन अचानक भारत को बदनाम करने वाली खबरों का केंद्र बनकर क्यों उभरा है? इसका एक कारण भारत की शानदार और दुनिया का ध्यान आकर्षित करती Vaccine Diplomacy हो सकता है। दरअसल, AstraZeneca और Oxford द्वारा विकसित Covidshield वैक्सीन को दुनियाभर में एक्सपोर्ट कर भारत WHO समेत दुनियाभर के देशों की वाहवाही बटोर चुका है। जिस प्रकार अपनी सफल वैक्सीन कूटनीति के तहत भारत दुनिया की फार्मेसी बनकर उभरा है, उसने स्वीडन से उसके मुंह का निवाला छीन लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्वीडन की Astra कंपनी का इस वैक्सीन को विकसित करने में बड़ा योगदान है। ब्रिटिश कंपनी Zeneca के साथ मिलकर वर्ष 1999 में AstraZeneca बनने वाली स्वीडिश कंपनी के लिए यह दुनिया के नक्शे पर अपना नाम स्थापित करने का बढ़िया और सुनहरा मौका था। हालांकि, स्वीडन की प्लेट से यह अवसर भारत ने छीन लिया।
हालांकि, यह भी सच है कि AstraZeneca की अपार सफलता का श्रेय भारत को ही मिलना चाहिए। दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माताओं में से एक Serum Institute of India ही AstraZeneca का उत्पादन कर रहा है, जिसके चलते यह वैक्सीन दुनियाभर के देशों को इतनी आसानी से उपलब्ध हो पा रही है। Covidshield के नाम से बन रही इस वैक्सीन की लोगों तक पहुँच आसान बनाने का श्रेय भारत को ही जाता है और ऐसे में अगर किसी देश को वैक्सीन डिप्लोमेसी के लिए बधाई मिलनी चाहिए तो वह भारत ही है।