BJP का तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में ‘FREE TEMPLE’ का वादा गेमचेंजर साबित होने वाला है

AIADMK-भाजपा ने घोषणा पत्र में मंदिरों को राज्य के शासन से आज़ाद करने का किया वादा

तमिलनाडु में 7 अप्रैल से विधानसभा चुनाव शुरू होने वाले हैं, जिनमें AIADMK- BJP ने अपने चुनावी घोषणापत्र में तमिलनाडु सहित पूरे देश के हिन्दुओं के हित के लिए एक घोषणा की है। इस घोषणा में उन्होंने ऐलान किया है कि, राज्य के सारे मंदिरों को राज्य  के शासन से मुक्त कर देंगे। बता दें कि, तमिलनाडु राज्य में सत्तारूढ़ AIADMK के साथ BJP चुनाव लड़ रही है और दूसरी ओर DMK-कांग्रेस साथ चुनाव लड़ रही हैं ।

चुनावी सरगर्मी को देखते हुए, दोनों पक्ष अपने चुनावी घोषणा पत्र जनता के सामने रख चुके हैं। सबसे पहले DMK-कांग्रेस गठबंधन अपने घोषणा पत्र लेकर आए थे, जिसमें उन्होंने कई चुनावी वादे किए ।  AIADMK-BJP ने अपने घोषणा पत्र में मंदिरों को राज्य के शासन से आज़ाद करने का वादा किया, जो विपक्षी दल को अपनी चुनावी रणनीति के बारे में दोबारा सोचने पर मजबूर कर देगा, क्योंकि यह आज़ादी सदियों पुरानी मांग और लड़ाई के बाद जा कर मिलेगी।

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अगर हम विस्तार में बताएं तो सनातन धर्म में मंदिर राजाओं के शासन से मुक्त होते थे और शासन मंदिर के फैसले या दिनचर्या पर कोई सवाल नहीं उठाता था। फिर देश में मुगलों के राज में मंदिर और मठ मुग़ल द्वारा शासित किया जाने लगा। उसके बाद अंग्रेज़ों ने भी मंदिर और मठों को अपने शासन में ले लिया। जब देश आज़ाद हुआ तो हिंदुओं को उम्मीद थी कि आज़ाद देश मे मंदिरों को भी आज़ाद किया जाएगा, लेकिन नेहरू सरकार ने हिन्दुओं को धोखा देते हुए फिर से मंदिरों को राज्य द्वारा साशित करने के लिए Hindu Religious and Charitable Endowments Act 1951 को भारत के सविधान में जोड़ दिया।

एक तरफ हिंदुओं के मंदिरों पर राज्य द्वारा शासन करने के लिए कानून पारित किया गया, वहीं दूसरी ओर देश के मस्जिद और गिरिजाघरों को राज्य के शासन से बाहर कर दिया गया। हिंदुओं के साथ यह भेद भाव क्यों किया गया था, इसका जवाब कांग्रेस पार्टी ही दे पाएगी। हिंदुओं की भावना के साथ खिलवाड़ के साथ ही यह भारत के सविधान के विरुद्ध भी है। संविधान के आर्टिकल 26 (a) के अनुसार, धार्मिक संस्थानों की स्थापना और देखभाल धार्मिक संस्थान ही करेंगे। आर्टिकल 26 (a) के प्रभाव और हिंदुओं को उनके मंदिरों से दूर रखने के लिए नेहरू ने HRCE Act को संविधान से जोड़ दिया।

आज तकरीबन 9 लाख मंदिरों में से 4 लाख मंदिर राज्य द्वारा शासित किया जाता। वहीं एक भी मस्जिद या गिरिजाघरों के ऊपर राज्य का साशन नहीं है। हिंदुओं के साथ सदियों से चले आ रहे भेद भाव को आज़ाद भारत में भी आज़ाद नहीं किया गया। इसके पीछे कांग्रेस की तुष्टीकरण और मंदिरों के धन के प्रति लालच की राजनीति साफ नज़र आती है।

कोरोना महामारी के दौरान महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता पृथ्वीराज चौहान ने कहा कि, केंद्र सरकार को देश की धार्मिक संस्थाओं का सोना अपने कब्जे में लेना चाहिए और उसका महामारी से बचने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए । गौरतलब है कि केवल हिंदुओं और जैन मंदिरों में सोना भगवान को भेट किया जाता है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि चौहान धार्मिक संस्थाओं के नाम पर केवल हिन्दू ओर जैन धर्म की बात कर रहे थे।

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मंदिर और मठ हिन्दू धर्म के जीवन और आत्मा हैं। मंदिर को अपने नियम खुद तय करने चाहिए और मंदिर के फ़ैसलों से सरकार का कोई लेना देना नहीं होना चाहिए। तमिलनाडु चुनाव के बहाने ही सही BJP देश के हिंदुओं के लिए बहुत बड़ा कदम उठा रही है। इस कदम से केवल तमिलनाडु चुनाव ही नहीं केरल में होने वाले चुनाव पर भी असर पड़ सकता हैं, क्योंकि अगर आज सबरीमाला राज्य द्वारा शासित नहीं किया जाता तो सबरीमाला मंदिर के निजी नियमों के बीच सर्वोच्च न्यायालय कभी हस्तक्षेप नहीं करता।

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