हाल ही में एक शर्मनाक घटना घटी। पंजाब में एक भाजपा विधायक पर न केवल हमला किया गया, बल्कि उन्हें निर्वस्त्र किया गया और उनकी गाड़ी पर स्याही भी फेंकी गई। ये न केवल पंजाब में कृषि कानून के नाम पर बढ़ती अराजकता का परिचायक है, अपितु भाजपा के लिए एक सख्त संदेश है – इस अराजकता को समय रहते नियंत्रित नहीं किया तो अलगाववाद फिर से पंजाब में दस्तक दे सकता है।
फाजिल्का जिले के अबोहर क्षेत्र से भाजपा विधायक अरुण नारंग मलूट जिले में एक वार्ता के लिए कुछ भाजपा नेताओं के साथ पहुँचने वाले थे। जैसे ही वे पार्टी दफ्तर के निकट पहुंचे, अपने आप को कृषि कानून विरोधी बताने वाले कुछ गुंडों ने उनपर घातक हमला करने का प्रयास किया। पहले अरुण नारंग पर स्याही फेंकी गई और उनकी गाड़ी पर कालिख पोती गई।
लेकिन इसके बाद जो हुआ, उससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी के राज में असामाजिक तत्वों को कितनी खुली छूट मिली हुई है। अरुण नारंग को न सिर्फ बुरी तरह पीटा गया, बल्कि उन्हें निर्वस्त्र किया गया। शरीर पर एक कपड़ा भी नहीं रहने दिया गया। अरुण नारंग को पुलिस सुरक्षा प्राप्त थी, लेकिन वे भी इस पूरे प्रकरण के दौरान मूक दर्शक बने रहे। अरुण नारंग को बचाने में लगे कुछ पुलिस अफसर भी इस प्रकरण में घायल हुए।
इस विषय पर अरुण नारंग ने बाद में प्रेस को सूचित करते हुए कहा, “जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है कि इस हमले के पीछे राज्य सरकार का हाथ है, जिसके पीछे गहन जांच होनी चाहिए। मुझे पंजाब पुलिस पर अब कोई भरोसा नहीं। मैं राज्य इकाई और मोदी जी के दिशा निर्देश अनुसार कार्रवाई करूंगा। यदि राज्य सरकार एक विधायक को नहीं बचा सकती, तो फिर राज्य की कानून व्यवस्था का भगवान ही मालिक है। जिन्होंने मुझ पर हमला किया वो किसान हो ही नहीं सकते। ये सरासर गुंडागर्दी है। आज मेरे साथ हुआ है, कल किसी के साथ भी हो सकता है”।
अरुण नारंग अपने विश्लेषण में गलत भी नहीं है। जो पंजाब में उनके साथ हुआ है, वो कल किसी के साथ भी हो सकता है। जिस प्रकार से उनपर सिर्फ इसलिए हमला किया गया, क्योंकि वह भाजपा नेता हैं, और उसके ऊपर से हिन्दू हैं, उससे स्पष्ट होता है कि पंजाब में खालिस्तानी तत्व फिर से सर उठाने लगे हैं, और यदि भाजपा ने समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की तो आगे चलके यह समस्या और विकराल रूप धारण कर सकती है।