BPF ने थामा कांग्रेस पार्टी का हाथ ,BJP के लिए अब भी फायदा ही फायदा

सत्ता की चाह में BPF कभी इधर तो कभी उधर!

BPF

पूर्वोत्तर भारत में बीजेपी के लिए अहम कड़ी माने जाने वाले असम में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले गठबंधन को लेकर राजनीति शुरु हो गई है, जिसकी भी मांगें पूरी नहीं हो रहीं, वो गठबंधन का साथ छोड़ दूसरे पक्ष में अपनी संभावनाएं तलाश रहा है। ऐसे में अब असम में सत्ताधारी बीजेपी की साथी  बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) ने भी बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया है। ये देखने में तो बीजेपी के लिए झटका प्रतीत होता है, लेकिन असल में बीजेपी के लिए फायदा ही है क्योंकि बीजेपी ने पहले ही UPPL से गठबंधन कर लिया था इसमें सीधा नुकसान BPF का ही है।

BPF बीजेपी पार्टी के साथ केवल सत्ता के लिए ही गठबंधन में रही है। पिछले चुनावों के दौरान 126 में से BPF ने मात्र 12 सीटें जीतीं थीं। इसके अलावा हाल के निकाय चुनाव में बीजेपी ने 9 सीटें जीतीं थीं और UPPL ने 12 सीटें जीती थी। साफ है कि इन दोनों ने मिलकर BPF के पुरानी पार्टी होने के भ्रम को तोड़ दिया था। ऐसे में बीजेपी पार्टी BPF के साथ पहले ही गठबंधन तोड़ने की तैयारी में थी, लेकिन  BPF ने पहले ही अपनी भद्द पिटवा ली।

BPF ने बीजेपी के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए एनडीए से अपना गठबंधन तोड़ लिया है, और खास बात ये है कि इसके तुरंत बाद ही पार्टी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। BPF के इस कदम के साथ ही माना जा रहा है कि इस गठबंधन का टूटना बीजेपी के लिए घातक होने वाला है लेकिन असल में ऐसा कुछ है ही नहीं क्योंकि बीजेपी का UPPL के साथ गठबंधन काफी मजबूत है। वहीं हाल के हुए विधानसभा चुनाव को लेकर आए ओपिनियन पोल्स बीजेपी की क्लियर जीत दिखा रहे हैं।

और पढ़ें- असम के BTC चुनावों में लहराया भगवा, विधानसभा चुनाव से पहले BJP ने जीत से की शुरुआत

असम विधानसभा चुनाव को लेकर आए लगभग ओपिनियन पोल्स में बीजेपी शासित एनडीए के गठबंधन को ज्यादा सीटें मिलने की संभावनाएं हैं। वहीं पांच साल विपक्ष में होने के बावजूद वहां कांग्रेस नेतृत्व वाले UPA को कुछ खास नहीं मिलता दिख रहा है। साफ है कि BPF के जाने से बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होगा। वहीं BPF के जाने से बीजेपी को फायदा ही होता दिख रहा है क्योंकि ये असम की एक पुरानी राजनीतिक पार्टी है और इसके खिलाफ जनता में भी काफी विरोध की स्थिति है।

BPF को लगता है कि राज्य में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की स्थिति है, इसलिए राज्य में बीजेपी की सरकार चली जाएगी और कांग्रेस की 2016  के बाद फिर वापसी होगी। ओपिनियन पोल्स के सटीक आंकड़ों के बावजूद BPF अपने गणित के अनुसार एक बार फिर सत्ता की मलाई खाने के लिए कांग्रेस का रुख कर रही है। कुछ इसी तरह 2016 के विधानसभा चुनाव के बाद भी BPF ने केवल सत्ता के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन किया था।

बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट एक ऐसी पार्टी है जो कि सत्ता के करीब दिखने वाले गठबंधन के साथ ही शामिल हो जाती है, इसलिए BPF के जाने पर बीजेपी को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि असम में बीजेपी की सरकार का आना तय है और ठीक इससे पहले गठबंधन तोड़कर बीपीएफ ने ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है।

 

Exit mobile version