कनाडा के टोरंटो की एक सामाजिक संस्था CONCO जिसने संघीय फंडिंग के जरिए करीब 160,000 डॉलर कमाए थे, अब उसी संस्था ने चीन के उईगर मुस्लिमों के मुद्दे पर संसद में पारित नरसंहार घोषित करने वाले प्रस्ताव की निंदा की है और एक तरह से चीन का समर्थन कर उसका बचाव किया है। ये दिखाता है कि उदारवादी संगठनों में उईगर के साथ हो रहे अत्याचार को नरसंहार घोषित करने को लेकर भ्रामक स्थितियां हैं। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी उईगर मुस्लिमों के साथ हो रहे अत्याचार को नरसंहार घोषित करने के मुद्दे पर काफी भ्रमित हैं।
पहले कनाडा की संसद ने उईगर मुस्लिमों के साथ हो रहे अत्याचारों को नरसंहार घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था, उस वक्त ट्रूडो ने मना कर दिया था, लेकिन अब टोरंटो के ही लोग शिनझियांग के अत्याचारों को नरसंहार घोषित करने के मुद्दे पर संसद की आलोचना कर रहे हैं। एक पूर्व लिबरल सांसद गैंग टन ने सन् 2019 में एक विज्ञापन जारी किया था, जो कि हॉन्ग कॉन्ग के लोकतंत्र समर्थक लोगों के आंदोलन की निंदा की है, ये दिखाता है कि इन लिबरल लोगों की सोच में विदेशी शक्तियों का बड़ा प्रभाव है।
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पिछले हफ्ते हुई ये घोषणा पिछले दो सालों में दो बार नॉन पॉलिटिकल काउंसिल ऑफ न्यूकमर ऑर्गनाइजेशन द्वारा दिए गए ऐसे राजनीतिक बयान सामने आए हैं जो कि कहीं न कहीं चीन के हित में हैं। टोरंटो स्थित परिषद ने चीनी भाषा की वेबसाइटों को दिए बयानों में कहा है कि हाइस ऑफ कॉमन्स ने नरसंहार को लेकर जो प्रस्ताव पारित किया था वो दुर्भाग्यपूर्ण हैं, और ये दूरगाममी रूप से कनाडा और चीन के द्विपक्षीय रिश्तों के लिए नुकसान हो सकता है।
सबसे दिलचस्प बात ये भी है कि जो संगठन इस मुद्दे पर संसद के प्रस्ताव का विरोध करते हुए चीन के हितों के अनुसार बात कर रहा है, उस संगठन को कनाडा की संघीय सरकार से बड़ी मात्रा में धन प्राप्त होता है। उईगर के हितों की बात करने वाले महमेट टोहती ने कहा कि वो टोरंटो की इस संस्था को मिलने वाले संघीय वित्त पोषण से बेहद ही हैरान हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें केवल अपने और अमेरिका द्वारा मिले वित्त पोषण पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
इस मुद्दे पर आई रिपोर्ट से वो हैरान थे, उनको विश्वास नहीं हो रहा था कि कनाडा के करदाताओं के पैसे से देश में चीन समर्थित एजेंडे का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “ये बेहद ही चौंकाने वाली बात है। उनके पास ये स्वतंत्रता है कि वो किसी मुद्दे पर चीन के विरोध में बात करें, या पक्ष में, लेकिन मुख्य बात ये है कि ये सारे कार्य उनके दिए हुए टैक्स के पैसों से क्यों हो रहा है क्योंकि सरकार इस संस्था का वित्त पोषण कर रही है। मैं अपने टैक्स के पैसों से चल रहे इस एजेंडे का समर्थन क्यों करूं?”
Council of Newcomer Organizations (CONCO) ने इस मुद्दे पर बयान जारी करते हुए कहा है कि वो नए प्रवासियों का स्वागत करने के साथ ही युवाओं के लिए नए अवसरों की मदद के साथ ही बुजुर्गों को अधिक ख्याल रखने के लिए कटिबद्ध है। हालांकि इसी ने 2019 में एक विज्ञापन प्रसारित किया था, जिसमें चीन की सड़कों पर हॉन्ग कॉन्ग की आजादी की बात करने वाले आंदोलन कारियों की निंदा की थी। सुपर लाइफ समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट बताती है कि उस समय (CONCO) के तत्कालीन अध्यक्ष झू झियांग को टोरंटो स्थिति चीनी वाणिज्यिक दूतावास में पीपल्स रिपब्लिक की 70वीं स्थापना वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आमंत्रित किया गया था।
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हाउस ऑफ कॉमन्स ने उईगर नरसंहार के खिलाफ सांसद माइकल चोंग के प्रस्ताव को 266-0 से पारित कर दिया। इसमें सभी लिबरलों ने चोंग के समर्थन में ही वोट दिया था। इस मुद्दे पर ट्रूडो ने वोटिंग में ही हिस्सा नहीं लिया और बाद में बाहर आकर कहा कि वो चीन में हो रहे अराजकता के माहौल को नरसंहार नहीं मानते हैं। कनाडा के 52 प्रतिशत लोग भी ये मानते हैं कि चीन वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
इस मुद्दे पर मौन रखते हुए ट्रूडो न केवल संसद के पहले के प्रस्तावों के विरोध में जा रहे हैं बल्कि उन लोगों का भी विरोध कर रहे हैं जिन्होंने उन्हे चुनावों में वोट दिया था। इसके अलावा चीनी समर्थक एक संगठन को संघीय सरकार के जरिए वित्त पोषण करना भी ट्रूडो के लिए एक बेहद ही आपत्तिजनक बात है, जिस पर कार्रवाई की सख्त आवश्यकता है लेकिन ट्रूडो का रवैया इस बात के संकेत कतई नहीं देता है।