AIUDF को 15 सीट देना असम कांग्रेस की गले की फांस बना, पार्टी दो टुकड़ों में बंटी

सुष्मिता देव असम कांग्रेस में बड़ी फूट डाल सकती हैं...

AIUDF

बीजेपी को हराने के लिए अब कांग्रेस के पास एक ही विकल्प रहता है कि वो राज्य में किसी अन्य क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन कर ले, लेकिन अब गठबंधन में भी उसकी फजीहत अंदरखाने ही हो रही है। पश्चिम बंगाल में कुछ ऐसा ही ISF के साथ गठबंधन को लेकर हो चुका है, लेकिन असम में भी गठबंधन को लेकर पार्टी में फूट पड़ती दिख रही है। असम कांग्रेस की नेत्री सुष्मिता देव ने AIUDF को चुनाव में ज्यादा सीटें देने के पार्टी के फैसले पर आपत्ति जाहिर करते हुए पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी को इस्तीफे की पेशकश कर दी है।

पूरे देश की तरह ही असम में भी कांग्रेस की हालत बहुत पतली है, पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के जाने के बाद सारा काम उनके बेटे गौरव गोगोई ही देख रहे हैं। ऐसे में वो इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टी AIUDF को भी अपने कांग्रेस के गठबंधन में शामिल कर चुके है, और इस गठबंधन की पार्टी AIUDF के साथ सीटों के मुद्दे पर पार्टी में अंदरखाने बिखराव की स्थिति आ गई है, जो पार्टी में नई फूट की वजह बन गई है। सीट बंटवारे के इसी मुद्दे को लेकर ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस्तीफा देते हुए पत्र लिखा है।

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सुष्मिता देव पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहन देव सिंह की बेटी हैं, और पूर्व लोकसभा सांसद भी हैं। सुष्मिता ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि वो पार्टी में एक वरिष्ठ नेत्री हैं, परंतु वो AIUDF के साथ गठबंधन को लेकर नाराज है। उन्होंने इस मुद्दे पर सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है और पार्टी की कई गतिविधियों से अचानक ही खुद को अलग कर लिया है, जो राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पार्टी के लिए झटका है।

इस मुद्दे पर सुष्मिता देव के साथ काम करने वाले नेताओं ने बताया कि वो सिलचर में गठबंधन की साथी AIUDF को दी गईं सीटों से नाराज़ हैं और इसके अलावा वह दक्षिणी असम में बंगाली बहुल इलाके में उम्मीदवारों चयन के मुद्दे पर भी नाराज हैं। उन्होंने गुवाहाटी में होने वाली उम्मीदवारों की चयन कमेटी की बैठक को भी अचानक ही छोड़ दिया था जो कि पार्टी के लिए एक मुश्किलों भरा सबब बन सकती है।

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सुष्मिता देव की बड़ी नाराजगी ये ही है कि AIUDF को कांग्रेस के हिस्से की 15 सीटें क्यों दी जा रही हैं। उनका कहना है कि बरखला से पार्टी विधायक रूमी नाथ को टिकट न दिया जाए और पेपोन देव को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जाए। देव का तर्क है कि रूमी नाथ को पिछले साल ही पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से बाहर किया गया था।  हालांकि, सुष्मिता देव के इस्तीफे से कांग्रेस नेता इंकार कर रहे हैं, उनका कहना है कि ये बात पूर्णतः झूठ है।

पार्टी नेता तो चुनाव से पहले अपनी साख बचाने में लगे हुए हैं, लेकिन सच यही है कि टिकट बंटवारे के मुद्दे पर सुष्मिता देव के इस्तीफे के बाद असम कांग्रेस में पार्टी बिखर चुकी है, और ये कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल हैं, क्योंकि सुष्मिता असम कांग्रेस की एक कद्दावर नेत्री हैं, और वो असम में दो फाड़ भी कर सकती हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति पश्चिम बंगाल के चुनावों में कांग्रेस और ISF के गठबंधन को लेकर भी है, जिसके चलते देश में कांग्रेस के 22 नाराज दिग्गज नेता पार्टी की फजीहत कर रहे हैं। ऐसे में चुनाव के ठीक पहले असम कांग्रेस में फूट पड़ना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका हैऔर ये कांग्रेस को बेहद भारी पड़ने वाला है।

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