हमारे देश की पत्रकारिता का एक अघोषित नियम है – मोदी को अपशब्द चाहे जितने कहो, यदि 10 जनपथ के एक भी सदस्य को कुछ बोला, तो कहीं के नहीं रहोगे। कुछ ऐसा ही अभी शेखर गुप्ता को देखने को मिला, जब उन्होंने अपने एक वीडियो में राहुल गांधी के चुनावी प्रपंचों को नौटंकी बताया, जिसके कारण कांग्रेस अपना जनाधार खोती जा रही है।
अपने साप्ताहिक शो ‘नेशनल इन्टरेस्ट’ में शेखर गुप्ता ने हमेशा की तरह मोदी सरकार को उनकी नीतियों के लिए आड़े हाथों लेने का प्रयास किया। लेकिन वे केवल मोदी सरकार की आलोचना तक सीमित नहीं रहे। उसी वीडियो में शेखर गुप्ता ने कांग्रेस पार्टी की भी आलोचना की थी।
शेखर गुप्ता के अनुसार, “नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल में एक अच्छे विपक्ष का अभाव है। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी राष्ट्र की नीतियों में अपनी रुचि खो चुकी है और उन्हें सत्ताधारी सरकार पर दबाव बनाने में नाकामयाबी हाथ लगी है। विपक्ष ज्यादा से ज्यादा सक्रिय हों और मोदी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरें। दुर्भाग्य तो यह है कि पार्टी का इकोसिस्टम आक्रामक रूप से पीएम मोदी का विरोध नहीं कर रहा है”।
इसके अलावा राहुल गांधी के केरल यात्रा और उनके करतबों को नौटंकी बताते हुए शेखर गुप्ता ने कांग्रेस पार्टी और उसके नेतृत्व पर तंज कसने के लिए मजरूह सुल्तानपुरी की ये कविता पढ़ी:
आग लगी हमारी झोपड़िया में हम गावें मल्हार
देख भाई कितनी तमाशे की ज़िंदगानी हमार
राहुल गांधी के चुनावी स्टंट की आलोचना करते हुए शेखर गुप्ता कहते हैं, “उन्होंने कहा कि जब बड़े-बड़े राज्यों में चुनाव हैं और पार्टी की साख दाँव पर है, राहुल गाँधी केरल में अपनी फिटनेस दिखा रहे थे, जो कि एक ‘फालतू स्टंट’ है। उन्होंने पूछा कि 50 साल का एक व्यक्ति स्कूली बच्चों को क्यों मसल पावर दिखा रहा था? उन्होंने मजरूह सुल्तानपुरी की ऊपर वाली पंक्तियों को लेकर कहा, “क्षमा करें, मैंने ये पंक्तियाँ चुरा ली हैं। राहुल गांधी, ये आपके लिए ही लिखा गया है।”
लेकिन इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि वो कांग्रेस और राहुल गाँधी की आलोचना करने से भी डरते रहे हैं, और इसीलिए उन्होंने पूछा कि क्या सरकारी संस्थाओं को नीचे गिराने वाले मुद्दे पर हम बातें ही करते रह जाएँगे? अब शेखर गुप्ता अपने विश्लेषण में गलत भी नहीं थे, क्योंकि उनके इस वीडियो के सामने आते ही कांग्रेसी झपट्टा मारके उनपर टूट पड़े।
अपने ऊटपटाँग दलीलों के लिए सुर्खियों में रहने वाले कांग्रेसी प्रवक्ता पवन खेड़ा के अनुसार, “अगर आज के सरकार द्वारा कुछ पत्रकारों के शुद्धिकरण को उन्होंने देखा होता, तो मजरूह सुल्तानपुरी कहते, ‘आग लगी हमरी झोंपड़िया में, हम गावें राग दरबारी, देख भई कितनी सरकारी भई हमरी पत्रकारी”।
If he had seen yesterday’s journalists getting ‘white’-washed by today’s government, Majrooh Sultanpuri would have changed his lyrics : ‘आग लगी हम री झोपड़िया में, हम गाँवें राग दरबारी…देख भाई कितनी सरकारी भई हमरी पत्रकारी’ https://t.co/nMfe8ViL52
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) March 6, 2021
इसके अलावा गुजरात कांग्रेस से संबंधित सरल पटेल ने अपने जवाब से सबको सर खुजाने पर विवश कर दिया। महोदय के ट्वीट के अनुसार, “विपक्ष की आलोचना करना ठीक है। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा भी है। लेकिन यदि आपका ध्येय केवल विपक्ष की आलोचना करना है और सरकार के पापों का हिसाब मांगना नहीं, तो यह न विपक्ष के लिए सही है, न लोकतंत्र के लिए और न ही पत्रकारिता के लिए नहीं”।
अब ऐसे में स्वाती चतुर्वेदी कैसे पीछे रहती? वे भी शेखर गुप्ता को खरी खोटी सुनाते हुए ट्वीट करती हैं, “अगर आपको लगता है कि विपक्ष मोदी और शाह के विरुद्ध बस यूं ही लड़ रहे हैं, तो आप गलत है। राहुल गांधी पर मज़ाक उड़ाना बहुत आसान है, और मोदी द्वारा लोकतंत्र पर हमले पे चुप रहना भी। शायद आपको चौथे एस्टेट [मीडिया] से ज्यादा अपने रियल एस्टेट की चिंता है”।
जब शेखर गुप्ता ने अंदेशा जताया था कि उन्हे राहुल गांधी की आलोचना करने के लिए बहुत उलाहने मिल सकते हैं, तो वे गलत नहीं थे। ये वही वामपंथी मीडिया है, जो राहुल गांधी द्वारा स्मिता प्रकाश को सिर्फ पीएम मोदी का एक निष्पक्ष इंटरव्यू लेने के लिए बिकाऊ कहने पर मौन रहते हैं, लेकिन राजदीप सरदेसाई द्वारा भड़काऊ खबरें फैलाने के पीछे किये गए कार्रवाई पे ऐसे भड़कते हैं, मानो राजदीप को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई हो। यदि अब भी ये लोग नहीं चेते, तो एक दिन ऐसा आएगा जब देश में मीडिया सिर्फ नाम के लिए होगा, क्योंकि उसकी विश्वसनीयता तो जाने कबकी खत्म हो चुकी होगी।