दिल्ली का अपना शैक्षिक बोर्ड होना गलत नहीं, लेकिन केजरीवाल के अन्तर्गत होगा ये भयावह है

दिल्ली में CBSE हटा, स्टेट बोर्ड होगा लागू?

हाल ही में अरविन्द केजरीवाल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में दिल्ली क्षेत्र के लिए अलग NCR खोलने की व्यवस्था की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री का मानना है कि दिल्ली के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए अनेक अवसर मिलने चाहिए, जिसके लिए एक अलग स्कूल बोर्ड इस दिशा में पहला कदम होगा।

अरविन्द केजरीवाल द्वारा आयोजित डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया, “अब दिल्ली का अपना शिक्षा बोर्ड होगा। इसके लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। ‘दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन’ की स्थापना होगी और दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में हो रहे क्रांतिकारी परिवर्तन को यह बोर्ड नई ऊंचाइयों की तरफ लेकर जाएगा।”

लेकिन बात यहीं पर नहीं रुकी। अरविन्द केजरीवाल आगे बताते हैं, “पूरा देश देख रहा है कि बीते छह सालों में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। इसके लिए हमने हर वर्ष बजट का 25 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा के लिए रखना शुरू किया। दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन का मकसद स्टूडेंट्स को अच्छा इंसान बनाना, देशभक्त बनाना और स्टूडेंट्स को रोजगार के लिए तैयार करना है। वह बोले कि अब रटने पर नहीं बल्कि सीखने पर जोर होगा।”

अरविन्द केजरीवाल ने आगे यह भी कहा कि प्रारम्भिक तौर पर नए ‘दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन’ के दायरे में इस साल 20 से 25 सरकारी स्कूलों को शामिल किया जाएगा। अब आप भी सोच रहे होंगे, कितना साहसी और क्रांतिकारी निर्णय है, नहीं? लेकिन जो दिखता है, जरूरी नहीं कि वैसा ही हो।

पिछले 6 वर्षों में अरविन्द केजरीवाल के शासन में दिल्ली सरकार ने एक कहावत को स्पष्ट सिद्ध किया – थोथा चना, बाजे घना, यानि जो वास्तविकता है नहीं, उससे बढ़चढ़कर प्रचार करना। दिल्ली को चाहे निजी तौर पर जितना नरक बना के रखा हो, पर केजरीवाल सरकार की एक बात तो अवश्य माननी पड़ेगी, कि वे अपना प्रचार ताबड़तोड़ करते हैं, चाहे धरातल पर उनसे एक भी सुधार न हुआ हो।

अब केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति कितनी कारगर है, इसको आप इस उदाहरण से स्पष्ट समझ सकते हैं। एक वायरल वीडियो में दिल्ली के एक स्कूल में पहुँचे दिल्ली सरकार के शिक्षा सचिव उदित प्रकाश कहते हैं, “आंसर शीट खाली मत छोड़िए, सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए, अगर आप उत्तर नहीं जानते तो उत्तर के जगह पर प्रश्न को ही लिख दीजिए लेकिन स्थान खाली मत छोड़िए ,हम आपको पास कर देंगे फ़ेल नहीं करेंगे। हमारी आपके अध्यापकों से बात हुई है और उन्होंने कहा है कि अगर आपकी उत्तर पुस्तिका में कुछ भी लिखा रहा तो आपको फेल नहीं करेंगे बल्कि, वो आपको अंक दे देंगे। हमने CBSE से भी बात की है कि यदि बच्चे कुछ भी लिखते हैं, तो उन्हें अंक मिलने चाहिए।”

अब जब दिल्ली के शिक्षा सचिव की यह सोच है, तो आप भली भांति समझ सकते हैं कि दिल्ली सरकार के नेतृत्व में शिक्षा नीति का क्या ही हाल होगा। जितने जोर शोर से केजरीवाल सरकार के प्रतिनिधि अपनी कथित शिक्षा नीति का प्रचार करने उत्तर प्रदेश में आ धमकते हैं, उतनी ही सफाई से वो ये भी छुपाते हैं कि कैसे 6 वर्षों में विद्यार्थियों का फेल होना और ड्रॉप आउट होने की गतिविधि में कितनी वृद्धि आई है। पर अगर ये बात सामने आ गई तो जनता से किस आधार पर केजरीवाल सरकार वोट मांगेगी?

बचपन में आपने राजा और बंदर वाली कहानी तो सुनी ही होगी। राजा बंदर की सेवा से इतना प्रसन्न था कि उसे अपना अंगरक्षक बना दिया और उसके हाथ में तलवार भी दे दी। रात में जब बंदर ने एक मक्खी को राजा के मुंह पर मंडराते देखा, तो अपने राजा को ‘बचाने’ के लिए उसने राजा की नाक पर ही वार कर दिया। अब यहाँ समझदार को इशारा काफी है।

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