एक अहम निर्णय में तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने आधिकारिक तौर पर TMC को किनारे कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण की। दिनेश त्रिवेदी के अलावा 10 MLA और 3 सांसद ऐसे भी हैं, जो पीएम मोदी के बंगाल दौरे पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं।
दिनेश त्रिवेदी के भाजपा जॉइन करने की खुशी में BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बताया, “मुझे बहुत खुशी हो रही है कि दिनेश त्रिवेदी जी को हम भाजपा में शामिल कर रहे हैं। दिनेश त्रिवेदी जी का राजनीतिक अनुभव लंबा रहा है और उन्होंने एक वैचारिक यात्रा राजनीति में की है। सत्ता को दरकिनार करते हुए, विचार की लड़ाई लड़ते हुए उन्होंने अपना जीवन गुजारा है। TMC में भ्रष्टाचार, अवसरवादिता, लोकतंत्र की हत्या, संस्थाओं का गला घोंटना, ये सब कुछ विराजमान है। इसीलिए संवेदनशील और विवेकशील व्यक्तित्व के धनी दिनेश त्रिवेदी ने तृणमूल को छोड़कर आज भाजपा को ज्वॉइन किया है।”
दिनेश त्रिवेदी ने महीने भर पहले ही राज्यसभा से त्यागपत्र देकर तहलका मचा दिया। उनके अनुसार, “यह (त्यागपत्र देना) मेरे अंतरात्मा की आवाज़ थी। बंगाल में जो हो रहा है, उस पर मैं संसद में बैठा मूक दर्शक नहीं रह सकता। मैं कहीं और अपनी आवाज़ नहीं उठा सकता था, वरना मैं बंगाल के लोगों के साथ अन्याय करता।”
लेकिन उन्हे पार्टी छोड़ने पर विवश क्यों होना पड़ा? इसका कारण भी स्वयं बताते हुए उन्होंने कहा, “हम इस अपर हाउस में लोगों के प्रतिनिधि के रूप में बैठे हैं, लेकिन कुछ नहीं कर सकते। मैं भीष्म पितामह नहीं बनना चाहता था। महाभारत में भीष्म पितामह को बिना एक शब्द कहे हिंसा और अन्याय को देखने के लिए दोषी ठहराया गया था। पार्टी में भ्रष्टाचार और बंगाल की सड़कों पर हिंसा होने पर मैं चुप नहीं रह सकता। जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला किया गया, तो मैंने उस घटना की निंदा की थी जिसके बाद मुझे भी पार्टी में काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।”
लेकिन दिनेश त्रिवेदी अकेले नहीं है जो अभी BJP में शामिल हुए हैं। सूत्रों की माने तो करीब 10 ऐसे नेता हैं, जो पीएम मोदी की आगामी मेगा रैली के दौरान भाजपा की सदस्यता ग्रहण करना चाहते हैं। अटकलें तो ये भी लगाई जा रही हैं कि इस रैली में प्रख्यात अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भी भाजपा में शामिल होंगे, हालांकि इन दावों की पुष्टि नहीं हुई है।
लेकिन दिनेश त्रिवेदी को जिन कारणों से पार्टी छोड़ने पर विवश होना पड़ा है, उससे स्पष्ट है कि TMC की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। सत्ता में बने रहने के लिए ममता बनर्जी इतनी बेचैन है कि वो अपने भरोसेमंद नेताओं को भी पीछे छोड़ने के लिए तैयार है, चाहे इसके बदले दोयम दर्जे के ही उम्मीदवार क्यों न चुनने पड़े। रही सही कसर तो प्रशांत किशोर और उनकी हेकड़ी ने पूरी कर दी, जिसके कारण शुवेन्दु अधिकारी, राजीब बनर्जी, और अब दिनेश त्रिवेदी जैसे वरिष्ठ नेताओं को पार्टी त्यागनी पड़ी है।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि दिनेश त्रिवेदी के BJP जॉइन करने से TMC के जीतने की जो थोड़ी बहुत भी आशा थी, वो अब धूमिल होती दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि जब आपका जनाधार ही ध्वस्त हो चुका हो, तो आप तुष्टीकरण की बैसाखियों के सहारे कब तक चलेंगे?