साल 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है। विराट जनसमर्थन के जरिए लगातार चुनाव जीतने वाली बीजेपी से टक्कर लेने में अब विपक्षी पार्टियां पूर्णतः विफल रही हैं। इन विपक्षी पार्टियों की हताशा का स्तर इतना अधिक गिर गया हैं कि अब ये प्रत्येक चुनावों से पहले EVM के तरीके और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाती रहती हैं। पहले चुनाव आयोग इन सवालों पर केवल बयान जारी करके सफाई दे देता था, लेकिन पश्चिम बंगाल के संवेदनशील चुनावों को देखते हुए अब जब फिर ईवीएम के नाम पर फेक न्यूज फैलाई जा रही है, तो चुनाव आयोग इस मुद्दे पर सख्त एक्शन लेते हुए FIR तक दर्ज कराने लगा है क्योंकि ये मुद्दा चुनावों में विश्वसनीयता से जुड़ा है।
पिछले 6 सालों में जितनी बार भी देश में विधानसभा या लोकसभा चुनाव हुए हैं, उन चुनावों से पहले और नतीजों में हार के बाद विपक्षी पार्टियों ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि इससे विपक्ष को कोई खास लाभ नहीं हुआ है। ऐसे में 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के पहले एक बार फिर ईवीएम पर बहानेबाजी वाला जिन्न सामने आ गया है। इस बार विपक्षी पार्टियों की तरफ से तो बयान सामने आए ही हैं लेकिन उनके समर्थक और शरारती तत्वों ने भी इस मुद्दे पर फेक न्यूझ फैलाना शुरु कर दिया है, लेकिन आयोग सख्त हो गया है।
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इंटरनेट पर कुछ शरारती तत्वों और विपक्ष के सुर में सुर मिलाने वाले लोगों ने पूर्व चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति के एक पुराने बयान के जरिए फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की है और देश की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं, जिसके बाद मुख्य चुनाव अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस के पास एक एफआईआर दर्ज कराई है। खास बात ये है कि पूर्व चुनाव आयुक्त पहले ही हैकिंग की बातों का खंडन कर चुके हैं। सफाई के बावजूद इस तरह की फेक न्यूज का फैलना साबित करता है कि ये सब बंगाल जैसे संवेदनशील राज्य में चुनाव होने से पहले किसी साजिश के तौर पर किया जा रहा है।
इस पूरे मामले में अब आयोग की तरफ से भी बयान सामने आया है, जिसमें इस मुद्दे पर विस्तृत जवाब और कार्रवाई का ब्यौरा दिया गया है। आयोग ने कहा, “इस मामले में जांच शुरू हो चुकी है। ऐसे शरारती तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने चुनावी प्रक्रिया की छवि खराब करने के लिए फेक न्यूज फैलाई है।” बयान में कहा गया, “हमारे संज्ञान में आया कि कुछ सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर ईवीएम हैक करने संबंधी ‘एक पुरानी फेक न्यूज’ प्रसारित की जा रही थी, जिसके खिलाफ हमने एफआईआर दर्ज करा दी है क्योंकि टीएस कृष्णमूर्ति अपने बयान का पहले ही खंडन कर चुके हैं।”
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चुनाव आयोग का इतना सख्त रवैया पहली बार सामने आया है। ऐसा नहीं है कि राजनीतिक पार्टियों और कुछ खास वर्ग के लोगों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। ये एक साधारण बात बन गई थी।दिल्ली सरकार ने तो विधानसभा के पटल पर सौरभ भारद्वाज के नेतृत्व में EVM हैकिंग की फेक पटकथा भी लिखी थी, लेकिन तब आयोग इस मुद्दे पर सफाई देकर पीछे हट जाता था, लेकिन इस बार आयोग ने सख्त रुख अपनाया जिसके संकेत काफी गहन हैं।
चुनाव आयोग की लगातार EVM के कारण साख गिर रही है जो कि एक झूठे प्रोपेगैंडा के कारण हुआ है। वहीं पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हैं, जिनमें से एक पश्चिम बंगाल भी है जो कि काफी संवेदनशील है। इस तरह के माहौल और अपनी गिरती साख को लेकर अब चुनाव आयोग सख्त हो गया है जिसका नतीजा ईवीएम को लेकर फेक न्यूज फैलाने वालों के खिलाफ एफआईआर का दर्ज होना हैं। हालांकि ये कार्रवाई पहले ही हो जानी चाहिए थी।