सत्ता में आने के बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीन को एक “प्रतिद्वंदी” बताया था। स्टेट डिपार्टमेन्ट के मंच से भाषण देते हुए बाइडन ने कहा था “अब अमेरिका वापस आ गया है। हम अपनी समृद्धि, सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने के लिए अपने सबसे घोर प्रतिद्वंदी चीन का डटकर मुक़ाबला करेंगे।” इससे स्पष्ट हो गया था कि बाइडन प्रशासन चीन को अपनी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं मानते हैं, बल्कि उसे एक प्रतिद्वंदी मानते हैं। हालांकि, अमेरिका को लेकर चीन की सोच ऐसे नहीं है। New York Times के एक लेख के मुताबिक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने हालिया भाषण में अमेरिका को चीन के लिए “सबसे बड़ा खतरा” बताया है।
बाइडन ने आने के बाद अपनी Cold War मानसिकता के तहत रूस को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। विपक्षी नेता Alexei Navalny को जहर देने के मामले में अमेरिका ने बीते मंगलवार को 7 रूसी अधिकारियों समेत दर्जन भर सरकारी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा डाला। हालांकि, जब बात चीन की आती है तो इसी बाइडन प्रशासन के हाथ-पैर फूलने लग जाते हैं। बीते दिनों बाइडन चीन और राष्ट्रपति जिनपिंग की जमकर तारीफ़ भी कर चुके हैं। एक हालिया इंटरव्यू के दौरान बाइडन ने जिनपिंग की प्रशंसा करते हुए कहा था कि, “वह बहुत ब्राइट और टफ़ हैं। उनके शरीर में “डेमोक्रेसी” का “डी” भी नहीं है और मैं इसे आलोचना के तौर पर नहीं कह रहा हूँ बल्कि यह वास्तविकता है।”
इतना ही नहीं, बाइडन ने शी जिनपिंग के साथ अपने संबंधों और दर्जनों बार निजी बैठकों पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि, “मैं शी को बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ। चीन के साथ संपर्क स्थापित करने में अमेरिकी राष्ट्रपति को कोई समस्या नहीं है”। बाइडन सत्ता में आने के बाद अपने एक के बाद एक फैसलों से चीन की कई मुश्किलों को हल करने का काम कर चुके हैं। हालांकि, यहाँ सबसे बड़ा प्रश्न यह खड़ा होता है कि अमेरिका के इस नर्म रुख पर चीन का रवैया कैसा है?
ज़ाहिर है कि चीन अब अमेरिका पर हावी होने लगा है और यह बात जिनपिंग के भाषण से स्पष्ट भी होती है। पिछले हफ्ते सार्वजनिक किए गए एक भाषण में जिनपिंग कहते हैं “पश्चिम अस्त हो रहा है और पूर्व का उदय हो रहा है। आज की दुनिया में उठा-पठक का सबसे बड़ा कारण अमेरिका ही है। अमेरिका चीन की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा है।” कुल मिलाकर बाइडन के नेतृत्व वाला अमेरिका तो चीन के लिए सबसे बड़ा खतरा है, लेकिन अमेरिका के लिए चीन सिर्फ एक “प्रतिद्वंदी” है, जिसके साथ बाइडन सभी “अंतर्राष्ट्रीय नियमों” का पालन करते हुए ही निपटेंगे। बाइडन की यह नीति ना सिर्फ ट्रम्प प्रशासन की नीति के एकदम उलट है, बल्कि अमेरिका के लिए घातक है। ट्रम्प प्रशासन ने चीनी खतरे को भाँपते हुए चीनी कंपनियों की tech चोरी पर लगाम लगाई और Huawei और WeChat जैसे CCP tools को बाहर करने का काम किया। ट्रम्प प्रशासन का पूरा ध्यान चीन पर केन्द्रित था, जिसके चलते अमेरिका ने Quad जैसे संगठनों को मजबूत किया। हालांकि, बाइडन एक के बाद ट्रम्प की नीतियों को पलटते जा रहे हैं, जिसका चीन भरपूर फायदा उठा रहा है। आने वाले समय में यह चीन को ही फायदा पहुंचाएगा।
Bank of America के एक Economist के मुताबिक वर्ष 2035 तक चीन अपनी अर्थव्यवस्था को दोगुना कर सकता है। इसके लिए अगले 15 वर्षों तक चीन को औसतन 4.7 प्रतिशत की दर से विकास करना होगा, जिसे कुछ आर्थिक सुधारों की सहायता से हासिल भी किया जा सकता है। जिस प्रकार बाइडन चीन को एक खतरे के रूप में ना देखकर एक प्रतिद्वंदी के रूप में देख रहे हैं, उससे वे आने वाले दिनों में चीन को इन मुश्किल चुनौतियों का सामना करने में सहायता प्रदान कर रहे होंगे।