जिनको भी लगा था कि सचिन वाझे के हिरासत में लिए जाने से एंटीलिया मामला जल्द ही ठंडा पड़ जाएगा, वो बहुत बड़ी गलतफहमी में जी रहे हैं। सचिन वाझे तो केवल चेहरा था, क्योंकि उसके जरिए महा विकास अघाड़ी जो खेल खेल रही थी, वो अपने आप में काफी खतरनाक है, और इसके उजागर होने के ख्याल से ही अब शरद पवार के हाथ पाँव फूलने लगे हैं।
परमवीर के पत्र के सामने आने के बाद शरद पवार ने राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और राज्य के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को दिल्ली बुलाया है। जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, “शरद पवार दिल्ली में हैं, और उन्होंने एनसीपी के दो बड़े नेताओं को यहीं तलब किया है। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एनसीपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल शामिल होंगे। वो महाराष्ट्र से दिल्ली आएंगे। बताया जा रहा है कि एनसीपी नेताओं के बीच अनिल देशमुख पर लगे आरोपों को लेकर चर्चा की जाएगी। अनिल देशमुख का नाम आने के बाद राज्य की उद्धव सरकार दबाव में आ गई है। विपक्ष की तरफ से अनिल देशमुख के खिलाफ जांच करने और उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है”।
लेकिन अनिल देशमुख ने ऐसा भी क्या किया जिसके कारण अब शरद पवार तक के हाथ पाँव फूलने लगे हैं? दरअसल, जब सचिन वाझे के हिरासत में लिए जाने के पश्चात परमवीर सिंह को स्थानांतरित किया गया, तो अनिल देशमुख ने कहा था कि परमवीर सिंह का तबादला नॉर्मल नहीं है, बल्कि उन्होंने ऐसी गलतियाँ की है, जिसके पीछे उन्हें यह पद मिला है।
लेकिन परमवीर सिंह भी चुप नहीं रहे। उन्होंने उल्टा अनिल देशमुख पर आरोप लगाया है कि वे सचिन वाझे जैसे अफसरों का इस्तेमाल कर विभिन्न क्लबों, रेस्टोरेंट इत्यादि से 100 करोड़ रुपये प्रतिमाह की वसूली कराना चाहते थे। उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र के अनुसार परमवीर लिखते हैं, “महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख सचिन वाझे से 100 करोड़ रुपये हर महीने वसूली करने को कहते थे। अनिल देशमुख ने फरवरी मध्य में एक दिन क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के एपीआइ सचिन वझे को अपने सरकारी आवास ज्ञानेश्वरी पर बुलाया। कक्ष में उनके निजी सचिव पलांडे सहित स्टाफ के एक-दो लोग और मौजूद थे। उनके सामने देशमुख ने वाझे से कहा कि आपको एक महीने में 100 करोड़ रुपये इकट्ठे करने होंगे”।
परमवीर सिंह ने पोल खोलते हुए आगे अपने पत्र में बताया, “100 करोड़ प्रति माह की उगाही के लिए गृह मंत्री ने खुद इसका रास्ता भी बताते हुए कहा कि मुंबई में करीब 1,750 बार एवं रेस्टोरेंट्स जैसे प्रतिष्ठान हैं। इनसे हर महीने दो-तीन लाख रुपये लिए जाएं तो 40-50 करोड़ रुपये आसानी से जमा हो सकते हैं। शेष राशि अन्य स्त्रोतों से जुटानी होगी। इसके दो दिन बाद ही देशमुख ने बार इत्यादि पर नजर रखने वाली सोशल सर्विस ब्रांच के एसीपी संजय पाटिल और डीसीपी भुजबल को अपने सरकारी आवास पर बुलाया। गृह मंत्री ने उनसे मुंबई के हुक्का पार्लरों के बारे में चर्चा की और वसूली का वही तरीका उन्हें भी बताया, जो उन्होंने सचिन वाझे को बताया था”।
परमवीर सिंह की यह चिट्ठी क्या सामने आई, पूरे महा विकास अघाड़ी में हड़कंप मच चुका है। भाजपा के नेतृत्व में विपक्ष के पास यह खुलासा किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं है। भाजपा के प्रमुख नेताओं में से एक किरीट सोमैया ने कहा कि सचिन वाझे की वसूली गैंग महाराष्ट्र के गृहमंत्री के लिए हर महीने 100 करोड़ की वसूली करती थी। उद्धव सरकार को पंद्रह महीने हो गए इसलिए सरकार को पंद्रह सौ करोड़ के भ्रष्टाचार का हिसाब देना होगा। वहीं भाजपा के राजकीय प्रवक्ता राम कदम ने महाराष्ट्र के सीएम और गृहमंत्री का नार्को टेस्ट कराते हुए तुरंत इस्तीफे की मांग की।
आम जनता से लेकर विपक्षी नेता तक सरकार से जवाब मांग रहे है। ऐसे में जिस प्रकार से अब शरद पवार हड़बड़ी में पार्टी हाइकमान को दिल्ली बुला रहे हैं, उससे स्पष्ट होता है कि अब स्थिति उनके नियंत्रण से भी बाहर जा रही है। यदि बात यहां तक आ चुकी है, तो केवल अनिल देशमुख ही नहीं, महा विकास अघाड़ी ही सत्ता से बाहर हो सकती है, और अब शायद शरद पवार चाहकर भी इसे रोक नहीं पाएंगे।