DBT स्कीम के तहत नकली ID बनाकर लुटेरे अपनी जेब भर रहे हैं, सरकार को जल्द कुछ करना चाहिए

सरकार को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी होगी!

DBT

24 मार्च 2021 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DHFL), इसके प्रमोटरों कपिल वधावन और धीरज वधावन एवं अज्ञात लोक सेवकों के खिलाफ प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर हजारों करोड़ रुपये गबन करने का मामला दर्ज किया है।  आरोपों के मुताबिक 260,000 फर्जी होम लोन खाते बनाकर और ब्याज सब्सिडी का दावा करके DHFL ने PMAY से 14,046 करोड़ रुपए का गबन किया है। लेकिन, क्या DBT में धांधली से जुड़ा यह ऐसा मामला है? नहीं, इस जैसे और भी कई मामले सामने आ चुके हैं, जो दर्शाता है कि सरकार द्वारा इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करने की जरूरत है!

अगर हम विस्तार में बताएं तो भारत सरकार ने 2013 में  Direct Benefit Transfer (DBT) स्कीम को प्रारंभ किया था। DBT के पीछे नेक इरादा था, और वो यह था कि सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि जैसे कि आर्थिक सहायता, सब्सिडी, और कई अन्य स्कीमों के तहत भारत सरकार द्वारा किए जाने वाले भुगतान का लाभ सीधे खाताधारक तक पहुंचाया जाए। इस स्कीम का मुख्य मकसद बिचौलियों की बजाय धन को सीधे लाभार्थी के हाथों में पहुंचाना था। अब DBT तंत्र में बदलाव हेतु सरकार ने आदेश दिया है कि लाभार्थी के बैंक खातों को उनके आधार कार्ड से जोड़ दिया जाए। यहां तक तो सब ठीक था लेकिन धोखेबाजों ने फर्जी आधार कार्ड बनना अथवा फर्जी बैंक खाता बनाने का काम शुरू कर दिया। इसके कारण सरकार को प्रति वर्ष बहुत नुकसान झेलना पड़ता है। सबसे अहम बात यह है कि असल लाभार्थी तक मदद ही नहीं पहुंच पाती है।

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बता दें कि अभी तक ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जैसे कि The Indian Express की एक रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में आधार -DBT सिस्टम के माध्यम से 8वीं तक के बच्चों के स्कॉलरशिप में घपलेबाजी का मामला सामने आया था। ऐसे ही घपलेबाजी असम, पंजाब, और बिहार में भी देखने को मिली थी। रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के मुश्किल दौर में LPG सब्सिडी के तहत मिलने वाले पैसे भी गबन किए गए थे। साथ ही पीएम किसान स्कीम में भी घपेलबाज़ी सामने आई थी।

The Hindu की रिपोर्ट के मुताबिक Public Distribution Scheme(PDS)  में भी घोटालों की खबर सामने आई थी। PDS भी आधार कार्ड के साथ जोड़कर चलने वाली स्कीम है। आधार कार्ड की इन परेशानियों को सामने लाने और उन्हें सुलझाने के लिए एक मुहिम चलाई गई थी “Rethink Aadhar”! Rethink Aadhar ने एक रिपोर्ट छापी है जिसमें Aadhar Payments Bridge System(APBS) का जिक्र किया गया है। यह सिस्टम आधार- DBT लाभार्थी के बैंक खातों में पैसों का भुगतान हेतु काम आता है। रिपोर्ट के अनुसार APBS, DBT को और ज्यादा मजबूत और सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी है।

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भारत सरकार को अब आगे आना चाहिए और इस समस्या पर चिंतन करना चाहिए। घपलेबाज़ों और धोखेबाजों से सरकारी धन का बहुत नुकसान होता है। भारत जैसे देश में, जहां अभी भी गरीबी है, यहां के लोग सरकारी मदद पर बहुत निर्भर रहते हैं। सरकार उनकी सहायता करने की भरपूर कोशिश भी करती है, लेकिन अगर भ्रष्ट लोग सरकार की इन कोशिशों पर पानी फेरते हैं तो सरकार को इन लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की ज़रूरत है!

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