लगता है नए आईटी अधिनियमों का असर होने लगा है। ‘तांडव’ जैसी भ्रामक और अपमानजनक वेब सीरीज बनाने के लिए बिना शर्त माफी मांगने के बाद अब एमेजॉन ने यह निर्णय लिया है कि ऐसे प्रकार के किसी भी शो को अब बढ़ावा नहीं दिया जाएगा।
जी हाँ, आपने ठीक सुना। अब एमेजॉन प्राइम इंडिया पर सोच समझके ही कॉन्टेन्ट स्वीकृत किया जाएगा।
ऐसे किसी भी कॉन्टेन्ट को बढ़ावा नहीं दिया जाएगाम जो भ्रामक हो और भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देता हो। इस दिशा में न सिर्फ तांडव के दूसरे सीज़न, बल्कि घोर हिन्दू विरोधी सीरीज ‘पाताल लोक’ के द्वितीय संस्करण लाने की संभावना पर भी पूर्णविराम लगा दिया है।
न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार एमेजॉन प्राइम इंडिया ने यह निर्णय लिया है कि तांडव जैसे किसी भी शो को उनके प्लेटफ़ॉर्म पर बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। एक OTT प्रोड्यूसर ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि अब आगे से राजनीति और धर्म से संबंधित हर प्रकार के सम्बोधन पर लगाम लगाई जाएगी, और ऐसी कोई बात नहीं कही जाएगी, जो किसी को भी आहत करे।
लेकिन तांडव ने ऐसा भी क्या किया कि एमेजॉन प्राइम इंडिया अब कोई भी कॉन्टेन्ट स्ट्रीम करने से पहले इतना फूँक फूँककर कदम रख रहा है? 15 जनवरी को प्रदर्शित हुई तांडव एक राजनीतिक ड्रामा सीरीज थी, जिसमें रचनात्मकता के नाम पर न केवल सनातन संस्कृति को अपमानित किया गया, बल्कि भारत विरोधी तत्वों को भी बढ़ावा दिया गया।
देवी देवताओं का अपमान हो, राजनीतिक तंज कसना हो या फिर जातिवाद को और भड़काना हो, तांडव में सब कुछ हमें देखने को मिला। इसके अलावा ‘अ सूटेबल बॉय’ से लेकर ‘बॉम्बे बेगम्स’ जैसे ना जाने कितने शो हैं, जो रचनात्मकता के नाम पर भारत की संस्कृति का अपमान करना, अश्लीलता एवं असामाजिक तत्वों को निरंतर बढ़ावा देते रहे हैं।
लेकिन इस बार लोग अपने धर्म के निरंतर अपमान पर मौन नहीं रहे। उन्होंने ‘तांडव’ का जमकर विरोध किया, और फलस्वरूप उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, यहाँ तक कि महाराष्ट्र को भी ‘तांडव’ के रचयिताओं के विरुद्ध कार्रवाई करने को विवश होना पड़ा। केंद्र सरकार को भी जनता की इच्छाओं का मान रखते हुए OTT प्लेटफ़ॉर्म के लिए निश्चित गाइडलाइन जारी करने पड़े, ताकि इस प्रकार के भ्रामक कॉन्टेन्ट को दोबारा बढ़ावा न मिले।
तो एमेजॉन प्राइम इंडिया के वर्तमान निर्णयों से क्या संदेश जाता है? यहाँ संदेश स्पष्ट है कि एमेजॉन फूँक फूँक के कदम रख रहा है, और वह ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता जिससे वह केंद्र सरकार की कार्रवाई का शिकार बने। उन्हे भी अब धीरे धीरे समझ में आने लगा है कि एक समुदाय को निरंतर अपमानित करते रहना रचनात्मकता या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नहीं, बल्कि मानसिक दिवालियेपन का परिचायक है।
लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं होती। सरकार और जनता के दबाव में इन OTT प्लेटफ़ॉर्म, विशेषकर एमेजॉन पर कितना असर पड़ा है, ये इस बात से स्पष्ट होता है कि एमेजॉन प्राइम इंडिया ने तांडव के साथ साथ ‘पाताल लोक’ के द्वितीय संस्करण की संभावना पर भी पूर्णविराम लगा दिया है।
‘तांडव’ की भांति ‘पाताल लोक’ भी एक बेहद भड़काऊ और अपमानजनक शो था, जो सनातन संस्कृति का खुलेआम अपमान करने पे तुला हुआ था। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘तांडव’ और ‘पाताल लोक’ के आगामी संस्करण पर रोक लगाकर एमेजॉन ने सदियों पुराने लोकोक्ति को फिर से सिद्ध किया है –
बिनय न मानत जलधि, जड़ गए तीन दिनी बीटी।
बोले राम सकोप तब, भय बिनु होई न प्रीति।।