नांदेड़ में होला मोहल्ला हिंसा, सिखों को सार्वजनिक जगहों पर तलवार लेकर चलने की छूट क्यों ?

सिखों के साथ Special Treatment क्यों?

कल तक जो सिख कौम देश में एकता और शांति के साथ ही सुरक्षा कवच का प्रतीक मानी जाती थी, उसी के कुछ लोग न जाने क्यों आक्रामकता की सीमाएं लांघने पर उतारू हो गए है। ताजा मामला महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले का है, जहां होली के दिन होला मोहल्ला के आयोजन को लेकर कुछ सिखों ने कोरोना वायरस की गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाईं।

साथ ही पुलिसकर्मियों पर हमला किया, जिसमें उन्हें गंभीर चोटे आईं हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि इन हमलावर सिखों ने पुलिसकर्मियों पर सभी वार अपनी तलवारों से ही किए थे। ऐसे में इस आक्रामकता को देखते हुए ये सवाल उठने लगे हैं कि इन्हें सार्वजानिक स्थानों पर तलवारें चलाने की इजाजत क्यों दी जाए?

महाराष्ट्र में कोरोना वायरस फैलने की रफ्तार एक बार तेज हो गई है। ऐसे में वहां नांदेड़ जिले की पुलिस ने होली के अवसर पर एक बैठक बुलाई और उसमें कोरोना वायरस के नियमों का पालन करने की बात कही। ऐसे में अत्यधिक भीड़ न हो इसलिए गुरुद्वारों पर ताला लगा दिया गया। खास बात यह है कि ये सभी नियम दोपहर तक तो कारगर रहे, लेकिन फिर कुछ लोग आक्रामक हो गए। उन्होंने पुलिसकर्मियों पर ही हमला करना शुरू कर दिया, जिससे वहां पर हालात बेकाबू हो गए।

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दोपहर के बाद नांदेड़ के ही सचखंड के हजूर साहिब गुरुद्वारे में लोगों ने अपना अलग ही एक रूप दिखा दिया। होला मोहल्ला प्रतीकात्मक रूप से निकालते समय भारी भीड़ गुरुद्वारा परिसर में जमा हो गई। कुछ लोगों ने गुरुद्वारे के गेट के ताले तोड़ दिए, जिस वजह से जुलूस रास्ते पर आ गया। पुलिस को सूचना मिलते ही भारी फोर्स भेजी गई। खबरों के मुताबिक भीड़ ने पुलिस अधीक्षक पर तलवार से जानलेवा हमला किया और कई पुलिसकर्मी भीड़ का शिकार हुए। इस घटना में चार पुलिसकर्मियों के घायल होने की खबर है।

इस घटना को लेकर जो भी वीडियो वायरल हो रहे हैं, उनमें साफ दिख रहा है कि सिख हाथों में तलवारों से पुलिसकर्मियों को निशाना बना रहे हैं। पुलिस ने इस पूरे मामले में 18 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। पुलिस मामले में कार्रवाई भी कर रही है, लेकिन इस घटना के बाद एक बार फिर ये सवाल उठने लगे हैं कि सिखों को तलवार साथ रखने ही क्यों दी जाए और ये सवाल अचानक नहीं उठा इसके पीछे काफी ऐसे वाकिए हैं जो कि इस प्रश्न को बल देते हैं।

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बता दें कि किसान आंदोलन को लेकर 26 जनवरी को इन्हीं तथाकथित सिख किसानों ने आंदोलन के नाम पर अराजकता फैलाई थी और जब इस पुलिस ने इन्हें रोकना चाहा तो इन सामान्य और निहंग सिखों ने अपनी तलावऱों से वार किए और पुलिसकर्मियों को घायल तक कर दिया था। इससे पहले भी कुछ सिखों ने पंजाब में अराजकता मचाई और पुलिसकर्मियों पर तलवारों से हमला किया, जिसमें मुख्य आरोपी निहंग सिख थे। जो अपने पास रखी तलवारों का प्रयोग करने लगते हैं।

ये सभी ऐसे वाकिए हैं, जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि कुछ आक्रामक सिख धार्मिक स्वतंत्रता के  कारण मिली तलवार रखने की इजाजत का गलत फायदा उठाते हैं, जो कि सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा है।

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