हाल ही में मुंबई पुलिस के चर्चित अधिकारी सचिन वाझे मनसुख हिरेन की रहस्यमयी मृत्यु के सिलसिले में NIA द्वारा हिरासत में लिए गए हैं। उन्हें स्थानीय न्यायालय ने 25 मार्च तक NIA को सौंप दिया है। इससे सत्ताधारी शिवसेना के हाथ पाँव फूल रहे हैं, क्योंकि यदि सचिन का मुंह खुला, तो शिवसेना की खिचड़ी सरकार भरभरा के कुछ ही महीनों में ध्वस्त हो सकती है।
दरअसल, उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के सामने जो विस्फोटकों से भरी SUV पार्क की गई थी, वो मनसुख हिरेन नामक व्यक्ति द्वारा रजिस्टर कराई गई थी। पूछताछ को शुरू हुए एक हफ्ता भी नहीं हुआ था कि मनसुख की लाश रहस्यमयी परिस्थितियों में बरामद हुई। परिजनों ने वरिष्ठ इंस्पेक्टर सचिन वाझे पर मनसुख की रहस्यमयी मृत्यु के पीछे होने का आरोप लगाया, और हाल ही में अग्रिम जमानत याचिका रद्द होने पर सचिन वाझे को NIA द्वारा हिरासत में लिया गया।
अब शिवसेना सचिन वाझे की गिरफ़्तारी से परेशान हो गयी है। दरअसल सचिन वाझे ने 2008 में शिवसेना जॉइन की थी, और वे उद्धव के खास माने जाते हैं। इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट्स में ये सामने आ रहा है कि पूछताछ के दौरान सचिन वाझे ने शिवसेना की पूरी पोल खोल दी है।
ABP न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, “ताज़ा अपडेट ये है कि सचिन वाझे ने कबूल कर लिया है कि वो मुकेश अंबानी को दी गई बम वाली धमकी के षड्यंत्र का हिस्सा थे। इसी खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि वो इस पूरे षड्यंत्र का एक बहुत छोटा सा हिस्सा थे और बड़े खिलाड़ी शिवसेना के वो नेता हैं, जिनका उन्होंने नाम लिया है”।
अब सचिन वाझे का कथित तौर पर यह कहना कि इस खेल में वह तो मात्र मोहरा ही थे वो कई नेताओं को बेचैन करने के लिए काफी है। जब मनसुख हिरेन की मृत्यु के पश्चात सचिन वाझे का नाम उछलकर सामने आया था, तो शिवसेना के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी सरकार ने सचिन का ट्रांसफर क्राइम ब्रांच से गुपचुप दूसरी जगह कर दिया। उद्धव ठाकरे स्वयं सचिन के बचाव में सामने आए, और उन्होंने कहा कि विपक्ष सचिन के साथ ओसामा बिन लादेन जैसा व्यवहार कर रहा है, जो सही नहीं है।
लेकिन सचिन के पास ऐसी भी क्या जानकारी है, जिसके सामने आने से शिवसेना को काफी नुकसान हो सकता है? सूत्रों के अनुसार यह भी सामने आया है कि मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर खड़ी स्कॉर्पियो वही थी, जिसका इस्तेमाल अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के दौरान सचिन वाझे ने किया था। ‘रिपब्लिक टीवी’ के संस्थापक को गिरफ्तार करने के लिए अलीबाग पुलिस गई थी, जिसका नेतृत्व सचिन वाझे ने ही किया था।
ATS को अब वो CCTV फुटेज भी मिल गया है, जिसमें अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी से उसका कनेक्शन सामने आ रहा है। ये भी पता चला है कि उस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर फेक है। इसके अलावा स्कॉर्पियो के साथ जो संदिग्ध इनोवा कार मिली थी, वो आश्चर्यजनक रूप से मुंबई पुलिस प्रमुख, परमबीर सिंह के कार्यालय से बरामद हुई है। अब ये सभी जानते हैं कि किस प्रकार से शिवसेना ने एक फर्जी केस के अंतर्गत अर्नब को जेल में ठूँसने का भरसक प्रयास किया था। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि सचिन वाझे का NIA की हिरासत में जाना महा विकास अघाड़ी के अंत का सूचक है।