राजनीति का सबसे बड़ा अभिषाप यही है कि नेता कब अपने बयान से पलट जाए कुछ नहीं कहा जा सकता, और जब बात ममता बनर्जी जैसे नेताओं की हो तो कहना ही क्या… पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का रवैया भी कुछ ऐसा ही है। अपनी गलतियों के कारण लगी चोट को बीजेपी की साज़िश बताने वाली ममता अब 24 घंटे के अंदर पलट गईं हैं। ममता का अपने चोट लगने को लेकर आया ताजा बयान इस बात का संकेत है कि बीजेपी की आक्रामक और सधी हुई रणनीति में ममता फंस गईं है। इसके साथ ही उनकी पार्टी को चुनाव आयोग ने भी खरी-खरी सुनाई है और जांच की बात कही है।
ममता बनर्जी जब नंदीग्राम में अपने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से मिल रही थीं तो उनकी गाड़ी का गेट एक खंभे से टकरा गया जिसके कारण उन्हें काफी चोट आईं थी, इसके बाद ममता बनर्जी को कोलकाता के SKML अस्पताल में भेजा गया, जहां उनका इलाज जारी है। इसके इतर ममता बनर्जी ने इस घटना को राजनीतिक रंग देने के लिए बीजेपी से जोड़ दिया। ममता बनर्जी का आरोप था कि बीजेपी के लोगों ने उन पर ये हमला करवाया है, लेकिन अब 24 घंटे बाद ममता अपने ही बयान से पलट गईं हैं।
দলনেত্রীর @MamataOfficial আবেদন pic.twitter.com/SPoD3m7Iu3
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) March 11, 2021
ममता ने अपने बयान को बदलते हुए हाल ही में एक वीडियो जारी किया और कहा कि जब वो चुनाव प्रचार कर रही थीं। उस दौरान वो गाड़ी के बोनट पर बैठीं थी और लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रही थीं। इसी दौरान उन्हें एक जोर का धक्का लगा और फिर गिरने और चोट लगने से वो दर्द से कराह उठीं। अपने इस बयान में उन्होंने बीजेपी का जिक्र कहीं भी नहीं किया। साफ है कि ममता को अपनी गलती का एहसास हो चुका है और इसलिए अब उनके सुर बदल गए हैं।
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दूसरी ओर ममता बनर्जी पहले ये बोल रही थीं कि उनके सामने कोई पुलिस अधिकारी ही नहीं था, जबकि वो पूरी जेड सिक्योरिटी के साथ चलती हैं। वहीं राज्य की पुलिस की रिपोर्ट भी बताती है कि ममता के साथ एक दुर्घटना हुई थी न कि किसी ने हमला किया था। ऐसे में ममता के बदले बयान के पीछे-पीछे बीजेपी की सफल रणनीति को माना जा रहा है। बीजेपी ने आरोपों के बावजूद ममता के साथ हुए इस हादसे की जांच करने की मांग की। बीजेपी ने इस मुद्दे फर ममता को आड़े हाथों भी लिया।
पार्टी ने ममता बनर्जी की चोट के इस मामले पर चुनाव आयोग का रुख किया और ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वो राजनीति में सहानुभूति का कार्ड खेलने और इसके जरिए वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। इसके बाद टीएमसी ने भी चुनाव योग का रुख किया। अब चुनाव आयोग ने टीएमसी के सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी लेकिन यह कहना गलत होगा कि आयोग ने राज्य के कानून एवं व्यवस्था मशीनरी पर कब्जा कर लिया है। इसके साथ ही इस घटना की तत्काल जांच कराने की बात भी कही। वहीं कानूनी कार्रवाई से इतर बीजेपी के लगभग सभी नेताओं ने इस मसले पर दुख जताते हुए कार्रवाई की मांग की। मानवीयता का हवाला देकर बीजेपी नेता तथागत रॉय और शामिक भट्टाचार्य ममता से मिलकर हाल-चाल जानने के लिए अस्पताल पहुंचे लेकिन ममता उनसे नहीं मिलीं।
ममता बनर्जी ने सोचा था कि अपनी चोट को भावनात्मक रंग देकर वो राज्य और नंदीग्राम की जनता से सहानुभूति वोट हासिल कर लेंगी, लेकिन बीजेपी की कुशल रणनीति का अंजाम ये है कि अब ममता ही बीजेपी पर लगाए गए आरोपों पर अपने कदम पीछने लगी हैं और इसीलिए उन्होंने अपने बयान को भी 24 घंटे के अंदर पलट दिया है।