भारत के स्पेस पॉवर का कभी NYT ने मजाक बनाया था, आज वही भारत दूसरे देशों के सैटेलाइट स्पेस में भेज रहा है

भारत का अब स्पेस में नया कीर्तिमान स्थापित

सैटेलाइट

पिछले कई वर्षों में अगर कुछ निरंतर बढ़ता रहा है, तो वह है भारत का स्पेस प्रोग्राम। चाहे एंटी सैटेलाइट मिसाइल विकसित करना हो, या फिर चांद के दक्षिणी छोर पर लैंड रोवर भेजने का जोखिम उठाना, ISRO ने भारतीय स्पेस प्रोग्राम में चार चांद लगाए हैं। अब भारत दूसरे देशों की सैटेलाइट को भी अपने प्रोग्राम के अंतर्गत प्रक्षेपित करता है।

हाल ही में ISRO ने इस साल के अपने पहले मिशन को सफलतापूर्वक लांच किया। श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अमोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों को लेकर जाने वाले PSLV-C51 को ISRO द्वारा सफलतापूर्वक लांच किया गया है।  2021 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ([ISRO)] का यह पहला लांच है। यह अब तक के सबसे लंबे स्पेस आ़परेशन में शामिल है। इसरो के मुताबिक, सतीश धवन स्पेस सेंटर ([SDSC)] SHAR, श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी51/एमाजोनिया-1 मिशन का लांच शनिवार सुबह 10.24 बजे हुआ।

तो इसमें खास क्या है? इसरो के मुताबिक, ब्राजील के एमाजोनिया-1 प्राइमरी सैटेलाइट के साथ ही पीएसएलवी–सी51 से 18 और सैटेलाइट लांच किए जाएंगे। यह PSLV का 53वां मिशन है। PSLV -C51/ एमाजोनिया–1 अंतरिक्ष विभाग के तहत सरकारी कंपनी न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड ([NSIL)] का पहला समर्पित वाणिज्यिक मिशन है। NSIL इस मिशन को अमेरिका की स्पेसफ्लाइट इंक के साथ वाणिज्यिक अनुबंध के तहत पूरा कर रही है।

यही नहीं,  C51/अमेजोनिया-1 इसरो की वाणिज्य इकाई न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का पहला समर्पित वाणिज्यिक मिशन है। अमेजोनिया-1 के बारे में बयान में बताया गया है कि यह उपग्रह अमेज़न क्षेत्र में जंगलों की कटाई की निगरानी और ब्राजील के क्षेत्र में विविध कृषि के विश्लेषण के लिए उपयोगकर्ताओं को दूरस्थ संवेदी आंकड़े मुहैया कराएगा तथा मौजूदा ढांचे को और मजबूत बनाएगा।

अब ये न सिर्फ भारत के लिए एक और विशिष्ट उपलब्धि है, बल्कि अमेरिका के एलीट पर घमंडी विश्लेषकों के लिए एक करारा तमाचा भी। जब भारत ने मंगलयान को पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया, तो न्यू यॉर्क टाइम्स जैसे पोर्टल्स ने भारत का मजाक उड़ाते हुए एक भद्दा कार्टून प्रकाशित किया, जिसके पीछे इस पोर्टल को काफी आलोचना का सामना भी करना पड़ा।

लेकिन भारतीयों ने अपने अभियान में कोई कमी नहीं छोड़ी और आज इसरो नासा तक को टक्कर दे सकता है। इसी कारण से जो भारत ने हाल ही में विदेशी सैटेलाइट भेजे हैं, उससे स्पष्ट हो जाता है की भारत अपने पुराने संस्कार भूला नहीं है।

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