हमारे देश के चिकित्सक निस्संदेह काफी गुणवान और प्रतिभाशाली हैं, लेकिन ममता बनर्जी के डॉक्टर्स के तो क्या ही कहने। यह लोग इतने गुणवान और प्रतिभाशाली हैं कि टूटी हुई हड्डी को 48 घंटे से भी कम समय में सफलतापूर्वक जोड़ देते हैं और साथ ही साथ टूटे हुए पैर पर लगा प्लास्टर 48 घंटों में ही क्रेप बैंडेज से बदल दिया जाता है।
ऐसा ही कुछ ममता बनर्जी के साथ हुआ है, जब नंदीग्राम में एक रैली में हिस्सा लेने गई ममता बनर्जी का एक्सीडेंट हुआ, और उनके पैर में कथित रूप से जबरदस्त चोट लगी। कुछ लोगों ने तो यहाँ तक अफवाह फैला दी कि ममता बनर्जी पर भाजपाइयों की फौज ने हमला कर दिया, जिसका बंगाल पुलिस ने खंडन भी किया। इलाज के दौरान सामने आया कि ममता के बाएँ पैर में बहुत बुरी चोट लगी है, और प्लास्टर तक चढ़ाना पड़ा था।
लेकिन कुदरत का करिश्मा देखिए, ममता के चिकित्सकों ने ऐसा खेला कि 48 घंटे से भी कम समय में ममता बनर्जी की सारी हड्डियाँ जुड़ गई और उनका प्लास्टर हटवाकर क्रेप बैंडेज चढ़ा दिया गया। इस करिश्माई ऑपरेशन से पूरा देश अभिभूत हो गया है। कोई ममता के डॉक्टर का गुणगान कर रहा है, तो कोई ममता बनर्जी की तारीफ़ों के पुल बांध रहा है।
@BefittingFacts नामक ट्विटर अकाउंट ने ममता बनर्जी को वुलवरीन की पदवी देते हुए कहा, “कल प्लास्टर था, आज क्रेप बैंडेज। इसका मतलब समझे दया? दीदी ही वुलवरीन है” –
https://twitter.com/BefittingFacts/status/1370412839513432065
एक अन्य अकाउंट ‘Farrago Abdullah’ ने ट्वीट किया, “ममता बनर्जी ने गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में अपनी जगह बना ली है। सबसे कम समय में प्लास्टर हटाने का विश्व रिकॉर्ड उन्होंने तोड़ दिया है” –
BREAKING: Mamata Banerjee gets into the book of "Guinness World Records" for removing plaster in such quick time.
— Farrago Abdullah Parody (@abdullah_0mar) March 12, 2021
अब ऐसे में TFI के संपादक कैसे पीछे रहते? ममता के राज में ऐसे करिश्माई डॉक्टर की करामात पे आश्चर्यचकित होते हुए हमारे प्रमुख संपादक अजीत दत्ता ने ट्वीट किया, “एक दिन में प्लास्टर से सीधा क्रेप बैंडेज। यही तो है ओशॉल पोरीबर्तन, यही तो हैं अच्छे दिन” –
Plaster to crape bandage in a day. Ashol Poriborton, Acchhe Din. pic.twitter.com/IVRQngyibh
— Ajit Datta (@ajitdatta) March 12, 2021
सच कहें तो यदि बनर्जी ने इतना नाटक करने से ज्यादा अपने पार्टी को दुरुस्त करने पर ध्यान दिया होता, तो आज ये नौबत न आती। लेकिन जब बुरा समय आता है, तो अक्ल भी घास चरने चली जाती है। अब उनका भाग्य और बंगाल की व्यवस्था दोनों भगवान भरोसे हैं।