कहते हैं, “जब नाश मनुज पर छाता है, विवेक पहले मर जाता है”। ये बात महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना पर भली भांति लागू होती है, जो मुकेश अंबानी को धमकी दिए जाने और उनके घर के बाहर विस्फोटकों से भरे एसयूवी के मालिक की रहस्यमयी मृत्य की जांच NIA को सौंपे जाने से बेहद असहज हैं।
बता दें कि हाल ही में मुकेश अंबानी के घर Antilia के बाहर जेलेटिन रॉड से भरी एसयूवी पार्क की गई थी, जो आम तौर पर विस्फोटकों में प्रयोग में लाई जाती है। इसके साथ ही मुकेश अंबानी को एक धमकी भरा पत्र भी भेजा गया था। जांच पड़ताल में जब एसयूवी के मालिक का नाम सामने आया, तो उसके कुछ ही दिन बाद उस मालिक मनसुख हिरेन की रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत्यु हो गई।
तो इसका उद्धव सरकार से क्या वास्ता है? दरअसल, मृतक के परिवार ने आरोप लगाया है कि मनसुख से पूछताछ के नाम पर मुंबई पुलिस उन्हें बहुत परेशान कर रही थी, जिसका अनुमोदन सदन में नेता प्रतिपक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने भी किया। महाराष्ट्र सरकार ने औपचारिकता के नाम पर इसकी जांच एटीएस को सौंपने का निर्णय किया, लेकिन जब तक इसे लागू किया जाता, तब तक NIA ने मामले की जांच का जिम्मा अपने सर ले लिया।
अब उद्धव सरकार को भय है कि कहीं जांच पड़ताल में केरल के गोल्ड घोटाले की भांति कुछ ऐसा न निकल आए जिससे उनके सरकार को लेने के देने पड़ जाएँ, और ये उद्धव ठाकरे के व्यक्तित्व में साफ झलक रहा है।
जब उनसे इस विषय पर मीडिया ने कुछ प्रश्न पूछने का प्रयास किया, तो वे भड़क गए, और कहते हैं, “मनसुख हिरेन मामले की जांच एटीएस कर रही थी। सिस्टम सिर्फ एक आदमी के लिए नहीं है। हम एटीएस पर पूरी तरह से भरोसा करते हैं, इसलिए उसकी जांच जारी है लेकिन इसके बावजूद केंद्र अगर मामले को एनआईए को सौंपता है तो इसका मतलब है कि कुछ संदेहास्पद है। हम इसे तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक कि इसका खुलासा नहीं कर देते। विपक्ष कानून व्यवस्था को लेकर महाराष्ट्र की छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है” ।
महाराष्ट्र की छवि की यदि उद्धव को इतनी ही चिंता होती, तो मनसुख हिरेन तो छोड़िए, पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या के बावजूद सीबीआई को जांच करने से रोका नहीं जाता। असल में कहीं न कहीं देवेन्द्र फड़नवीस ने उद्धव ठाकरे के दुखती रग पर हाथ रख दिया है। वैसे भी उद्धव के नेतृत्व में महाराष्ट्र की प्रगति पर मानो फुल स्टॉप लग चुका है, और यदि वे ऐसे ही जवाबदेही से बचते रहें, तो बंगाल के बाद सत्ता परिवर्तन के लिहाज से अगला नंबर महाराष्ट्र का होगा।



























