महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार पर जब भी गंभीर सवाल उठते हैं, तो शिवसेना सांसद संजय राउत सबसे पहले आक्रामक होकर बयानबाजी करते हैं। मशहूर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर मनसुख हिरेन नामक शख्स की कार में विस्फोटक मिलने और उसकी मौत के केस में मुंबई पुलिस के अफसर सचिन वाझे की संलिप्तता को लेकर संजय राउत के बयान बदल गए हैं। पहले उन्होंने सवाल उठाने वालों की आलोचना की थी, लेकिन एनआईए की जांच के दौरान गिरफ्तार हुए सचिन वाझे से मिले महत्वपूर्ण बिंदुओं के बाद जब मुंबई के पुलिस कमिश्नर की कुर्सी छिनी है, तो संजय राउत को अपनी सरकार और पुलिस की गलतियों का एहसास हो रहा है। अब उन्होंने कहा है कि गलतियां हो गईं हैं, दोबारा नहीं होंगी, लेकिन ये सब अचानक होना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है क्योंकि शिवसेना पर पिछले दो हफ्तों में सवालो की बैछार हो चुकी है।
गठबंधन टूटने समेत सरकार गिरने के डर के कारण संजय राउत के सुर बदल गए हैं, और इस मुद्दे पर उन्होंने स्वीकार किया है कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार समेत मुंबई पुलिस से गलतियां हुई हैं। इंडिया टुडे को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “जो हुआ है वो गलत था, हमारे नए पुलिस कमिश्नर ने भी इस बात को माना है कि गलतियां हुईं हैं और अब भविष्य में ये गलती नहीं होंगी। पुलिस सरकार का ही हिस्सा है। ऐसे में पुलिस की गलतियों की जिम्मेदार भी सरकार ही है। इसीलिए महाराष्ट्र सरकार ने इस मुद्दे पर अधिकारियों की तैनाती में बड़े बदलाव किए हैं।”
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सचिन वाझे के शिवसेना में शामिल होने के मामले में उन्होंने शिवसेना का बचाव किया और कहा, “किसी भी पार्टी में किसी अपराधी का होना पार्टी की गलती कैसे हो सकती है। वाझे पर आरोप हैं उनकी जांच एनआईए कर रही है, जो दोषी होगा उसे सख्त सजा मिलनी चाहिए।” उन्होंने इस मुद्दे शिवसेना पर उठ रहे सवालों पर कहा कि शिवसेना का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है।
बता दें कि सचिन वाझे पर जब पहली बार मनसुख हिरेन की मौत और मुकेश अंबानी के घर के बाहर खड़ी कार को लेकर सवाल खड़े हुए थे, तो संजय राउत ने सबसे पहले सचिन वाझे को एक ईमानदार अफसर घोषित करते हुए ये कहा था कि उनकी छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। वहीं, अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। सचिन वाझे से केन्द्रीय जांच एजेंसी एनआईए गिरफ्त में लेकर पूछताछ कर रही है, और अब जांच की आग मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह तक पहुंच चुकी हैं, जिसके चलते उन्हें महत्वपूर्ण पद से हटाकर होमगार्ड विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया है। अचानक ये सारे फैसले केवल इसलिए लिए गए, क्योंकि गठबंधन के मुख्य सूत्रधार एनसीपी प्रमुख शरद पवार इस केस को लेकर महाराष्ट्र सरकार के रवैए से नाराज थे।
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दिल्चस्प बात ये है कि संजय राउत अब शिवसेना समेत अपनी सरकार के बचाव में एक बार फिर बेतुकी दलीलें देते हुए केन्द्रीय जांच एजेंसियों ईडी, सीबीआई, एनआईए औऱ इनकम टैक्स पर ही निशाना साधने लगे हैं। उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि ये जांच एजेंसियां किसके इशारों पर काम कर रही है। साफ है कि वो अपनी सरकार और पुलिस पर उठे सवालों से ध्यान भटकाने के लिए जांच एजेंसियों पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं, लेकिन खास बात ये है कि वो अब मान चुके हैं कि राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार और मुंबई पुलिस ने सचिन वाझे के केस में कई गलतियां की हैं, जिसे कहीं न कहीं गलतियां कर मुंबई के पुलिस कमिश्नर संरक्षण दे रहे थे।
संजय राउत के सुर अचानक ही बदल गए हैं, दो दिन पहले तक यही संजय राउत संपादक के तौर पर शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में सचिन वाझे का बचाव किया था, और इस मुद्दे पर आरोप लगाने वाले बीजेपी नेताओं को ही निशाने पर लिया था। इस मुद्दे पर एक बार फिर एनसीपी प्रमुख शरद पवार सीएम उद्धव ठाकरे से नाराज थे, उन्होंने उद्धव से मुलाकात भी की थी और गठबंधन में दरार पड़ने लगी थी। ऐसे में मुंबई पुलिस कमिश्नर का ट्रांसफर और सचिन वाझे को निलंबित करके उद्धव ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है।
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वहीं, इस मुद्दे पर संजय राउत के बयान में महाराष्ट्र सरकार की गलतियों की स्वीकृति इस बात का उदाहरण हैं कि शिवसेना इस मुद्दे पर चौतरफा घिर चुकी है। इसीलिए सरकार बचाने से लेकर अपनी पार्टी की छवि पर पड़ी धूल मिटाने के लिए संजय राउत जांच में सहयोग देने के साथ ही मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की गलतियां स्वीकार कर रहे हैं।