मुंबई पुलिस देश की सबसे बेहतर पुलिस फोर्स में शामिल थी, बस एक साल में उसकी छवि बदल गई

सब MVA का कमाल है

हम सभी ने बचपन में सीखा था कि ‘बर्बाद करना बेहद आसान है जबकि निर्माण सबसे कठिन’, लेकिन शायद महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार के सभी नेता और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ये कहावत भूल चुके हैं।इस भूल का नतीजा ये है कि देश की सबसे तेज तर्रार और अनेकों सुपरकॉप्स के लिए मशहूर रही मुंबई पुलिस की छवि धूमिल हो गई है और अब वो देश की सबसे निचले स्तर की पुलिस की सूची में शीर्ष पर आ गई है।

पिछले साल भर में मुंबई पुलिस ने कुछ ऐसे केसों में अपना हाथ डाला है, जहां से उसे केवल बदनामी ही हासिल हुई है। इसका मुख्य कारण सत्ताधारी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस और उसके नेता ही हैं।पिछले एक महीने से हम सभी देश के सबसे बड़े धनाड्य व्यक्ति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर खड़ी विस्फोटक भरी कार के केस के बारे में सुन रहे हैं। इस मुद्दे पर मुंबई पुलिस के ही निलंबित हुए अधिकारी सचिन वाझे का नाम संदिग्ध है, जिनसे NIA पूछताछ कर रही है। संभावनाएं हैं कि इस मुद्दे पर मुंबई पुलिस सत्ता के इशारे पर काम कर रही थी, क्योंकि सचिन वाझे को सीएम उद्धव का करीबी माना जाता है।

यही कारण है कि इस मुद्दे पर ढुलमुल रवैए के चलते फजीहत के बाद मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह को हटा दिया गया है, जिससे मुंबई पुलिस की छवि बुरी तरह धूमिल हुई है, लेकिन ये कोई पहली बार नहीं है।

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मुंबई पुलिस के साल भर के रिकॉर्ड की बात करें तो शुरुआत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या के केस से होती है, जिसमें मुंबई पुलिस महीनों की जांच मे तिनके भर के सबूत नहीं जुटा पाई थी, जिसके बाद सीबीआई के केस ट्रांसफर करने के मुद्दे पर भी मुंबई पुलिस और सीबीआई के बीच काफी टकराव हुआ था। इस पूरे केस का नतीजा ये कि मुंबई पुलिस की फजीहत के बाद केस सीबीआई के पास चला गया।

वहीं बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की सुरक्षा को लेकर भी राज्य में काफी बवाल मचा। कंगना के बयानों पर उनके खिलाफ मुंबई पुलिस का एफआईआर में राजद्रोह लगाना मुंबई पुलिस पर ही भारी पड़ा। वहीं राष्ट्रीय स्तर की सेलीब्रिटी होने के चलते ये मामला भी तूल पकड़ता चला गया और बाद में राजद्रोह लगाने के मुद्दे पर अदालतों ने मुंबई पुलिस जमकर लताड़ा, जिसका नतीजा एक बार फिर मुंबई पुलिस की फजीहत वाला ही निकला।

इसके अलावा एक हाई प्रोफाइल केस देश के बड़े मीडिया चैनल रिपब्लिक से जुड़ा भी था। रिपब्लिक के सीईओ और देश के दिग्गज पत्रकार अर्नब गोस्वामी काफी वक्त से लगातार महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ सवाल उठा रहे थे और ये बात महाराष्ट्र सरकार को पसंद नहीं आई। सत्ता के इशारे पर मुंबई पुलिस ने एक पुराने केस की फाइल बदले की मंशा से खोलकर रातों-रात अर्नब को किसी आतंकवादी की तरह गिरफ्तार कर लिया गया, हालांकि उन्हें बाद में जमानत मिल गई, लेकिन इस पूरे केस केस एक बार फिर साबित हुआ कि मुंबई पुलिस उन्हीं लोगों पर आपत्तिजनक कार्रवाई कर रही है, जिन्हें सत्ता पसंद नहीं करती है। इस केस के बाद भी नतीजा पुलिस की फजीहत का ही निकला।

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इन केसों में हुई मुंबई पुलिस की अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती के बाद उसकी छवि काफी हद तक खराब हो चुकी थी, लेकिन अब सचिन वाझे के केस में भी सत्ता और पुलिस के रवैए पर सवाल खड़े हो गए हैं, और ये केस है जिसके बाद मुंबई पुलिस की साख पर पूर्णतः बट्टा लग चुका है। गैंग्सटर्स के छक्के छुड़ा देने वाली मुंबई पुलिस आज देश की सबसे ढुलमुल पुलिस बन गई है, जिसकी सबसे बड़ी वजह महाविकास अघाड़ी गठबंधन की पार्टियां शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ही हैं।

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