म्यूचुअल फंड इतना भी सही नहीं है
पिछले एक दशक में देश में म्यूचुअल फंड क्षेत्र में तेजी से विकास देखने को मिला है। SBI mutual funds, HDFC mutual funds, ICICI mutual funds, आदित्य बिरला, Nippon, Kotak जैसी टॉप mutual funds कंपनियों के assets में लाखों करोड़ों की बढ़ोतरी देखने को मिली है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में, खासकर कि कोरोना महामारी के बाद इन म्यूचुअल फंड कंपनियों के assets में तेजी से कमी देखने को मिल रही है।
म्यूचुअल फंड के तहत आने वाले Systematic Investment Plans यानि SIP निवेश में पिछले कुछ महीनों में भारी कमी देखने को मिली है। पिछले वर्ष मार्च से तुलना की जाये तो SIP निवेश में 15 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है।
हालांकि, म्यूचुअल फंड SIP निवेश में कमी आने का मतलब यह नहीं है कि लोगों की अब Stock Market में दिलचस्पी कम होती जा रही है। Stock Markets में रिटेल निवेश की बात की जाये तो यह अपने उच्चतम स्तर पर है और पिछले कुछ महीनों में इसमें रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखने को मिली है।
SIP में गिरावट आने का मुख्य कारण
साथ ही, पिछले कुछ महीनों में नए Demat Accounts की संख्या में भी जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है। वित्तीय वर्ष 2011 में, भारत में केवल 2 करोड़ Demat Accounts ही एक्टिव थे। वर्ष 2017 तक यह संख्या सिर्फ 3 करोड़ तक ही पहुँच पाई थी, लेकिन वर्ष 2021 आते आते यह संख्या 5 करोड़ से भी ज़्यादा पहुँच चुकी है। पिछले वर्ष केवल अप्रैल से लेकर दिसंबर तक ही 1 करोड़ नए Demat Accounts खोले गए थे।
एक ही वक्त में म्यूचुअल फंड के SIP निवेश में कमी आना और Demat Accounts की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी होने का अर्थ क्या है? इसका अर्थ यह है कि अब लोग Stock Market में निवेश करने को लेकर बिचौलियों से ज़्यादा खुद पर भरोसा कर रहे हैं और उनकी रिस्क लेने की क्षमता बढ़ी है।
इन्टरनेट के कारण हर किसी के लिए आधार कार्ड की सहायता से online verification अथवा KYC के जरिये नया Demat Account खोलना बेहद आसान हो गया है। Zerodha और Angel Investment जैसी brokerage फर्म्स ने अपने यहाँ पंजीकृत होने वाले रिटेल व्यापारियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की है। महामारी के समय, नौकरियाँ ना खोने वाले लोगों ने ना सिर्फ अपनी savings बढ़ाईं बल्कि उन्हें निवेश के अलग-अलग विकल्पों को परखने का अधिक अवसर भी मिला। ऐसे में उन्होंने अपने Demat Accounts खोलकर खुद ही Stock market में निवेश करने का फैसला लिया।
म्यूचुअल फंड बनाम शेयर मार्केट
लॉकडाउन के कारण निवेश करने के लिए अधिक विकल्प ना होने और अब Apps के जरिये Secondary Market में निवेश की प्रक्रिया बेहद आसान होने के कारण देश के युवा स्टॉक मार्केट में निवेश के रास्ते को अपना रहे हैं। वर्ष 2020 में जिस प्रकार स्टॉक मार्केट में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली थी, उसने भी लोगों को अधिक से अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित किया, ताकि वे भविष्य में रिकवरी के समय अधिक से अधिक रिटर्न कमा सकें।
Motilal Oswal Financial Services के MD मोतीलाल ओस्वाल के मुताबिक “तेजी से ऊंचाई छूते स्टॉक मार्केट निवेश के लिए बढ़िया आकर्षण केंद्र का काम करते हैं। Millennial निवेशक रिस्क लेने में विश्वास रखते हैं। अगर उन्हें फायदा होता है, तो वे और ज़्यादा रिस्क लेते हैं। पहले नए निवेशक सिर्फ IPOs के समय ही आते थे, लेकिन अब आसान तकनीक होने के कारण निवेशक Secondary Market में आसानी से निवेश कर पा रहे हैं।”
यह दर्शाता है कि जब लोगों के पास खुद आसानी से stock market तक पहुँच बनाने का विकल्प मौजूद हो, तो वे ऑनलाइन stock एक्सपर्ट्स के मुक़ाबले खुद पर ज़्यादा भरोसा करते हैं। आगामी सालों में भी हमें रिटेल निवेशकों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।