अभी हरियाणा सरकार द्वारा निजी कंपनियों में अधिवास आधारित 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले बिल का विरोध हो ही रहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भी ऐसा ही एक कदम उठाने का फैसला लिया है। बीते बुधवार को ग्रेटर Noida इंडस्ट्रियल डेव्लपमेंट अथॉरिटी ने यह ऐलान किया कि Noida क्षेत्र में स्थापित उद्योगों को क्षेत्रीय लोगों को कम से कम 40 प्रतिशत तक का रोजगार देना होगा। ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेव्लपमेंट अथॉरिटी ने यह फैसला उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश अनुसार लिया।
उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिली है। एक तरफ जहां स्थानीय विधायक ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की है तो वहीं दूसरी तरफ मल्टीनेशनल कंपनियों, बीपीओ के मालिकों के अलावा निजी कंपनियों ने कड़े शब्दों में इस कदम की निंदा की है। भाजपा विधायक धीरेन्द्र सिंह ने अपने ट्वीट्स में कहा, “प्रयास रंग लाया, ग्रेटर Noida अथॉरिटी ने भी यमुना अथॉरिटी की तरह क्षेत्र के नौजवानों को अधिकतम योग्यतानुसार 40 फीसदी रोजगार की व्यवस्था पर सहमति प्रदान करने हेतु आदेश किये जारी। स्थानीय नौजवानों के हित मे बड़ा फैसला”
दादरी से भाजपा विधायक तेजपाल सिंह नागर ने भी इस फैसले का स्वागत किया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार प्रकट किया और अपने ट्वीट में लिखा, “विगत विधानसभा में उठाए गए प्रश्न के संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानीय निवासियों का सभी औधोगिक इकाइयों में आरक्षण का निर्णय लिया है। रोज़गार के मुद्दे पर सरकार का निर्णय मील का पत्थर साबित होगा।”
आभार
माननीय मुख्यमंत्री @myogiaadityanath जी एवं @Satishmahanaup जी,विगत विधानसभा में उठाए गए प्रश्न के संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानीय निवासियो का सभी औधोगिक इकाइयों में आरक्षण का निर्णय लिया है। रोज़गार के मुद्दे पर सरकार का निर्णय मील का पत्थर साबित होगा।#MLADadri pic.twitter.com/JvNFGnUfAz— Tejpal Nagar (@tejpalnagarMLA) March 17, 2021
हालांकि, इस फैसले से निजी इंडस्ट्रीज़ के मालिक नाखुश हैं। उनका मानना है कि इस फैसले से प्रदेश में हो रहे विकास की रफ्तार फ़ीकी पड़ सकती है और आरक्षण की वजह से कंपनियों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से प्रतिभावान और योग्य कर्मचारी ढूँढने में मुश्किले पैदा होंगी।
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समीर सक्सेना, जो कि ग्लोबल एसोसिएशन फॉर कॉर्पोरेट सर्विसेज (जीएसीएस) के फाउंडर मेंबर हैं, उनका कहना है कि ‘यह आदेश निजी कंपनियों के लिए मुसीबत बढ़ाने वाला आदेश है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि आदेश स्पष्ट नहीं है ,सरकार को यह भी बताना चाहिए कि लोकल लोग कौन है, जो Noida में कुछ सालों से रह रहे हैं, वो हैं, या जिनका इस क्षेत्र में गाँव हैं, वो हैं।’
राहुल लाल एक कॉर्पोरेट फर्म में बड़े अधिकारी हैं और जीएसीएस के सदस्य भी हैं। उनका मानना है कि “इस फैसले से देश ओर शहर के विकास को धक्का लगेगा। सरकार का निजी कंपनियों के कर्मचारी चुनने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए आरक्षण देने के अलावा भी कई अन्य रास्ते उपलब्ध हैं।”
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बता दें कि, अभी हाल ही में हरियाणा और झारखंड द्वारा अधिवास आधारित आरक्षण लागू हुआ था जिसमे स्थानीय लोगों के लिए निजी कंपनियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान शामिल किया गया था। हरियाणा सरकार के इस फैसले का इंडस्ट्रीज़ के मालिक और कॉर्पोरेट जगत के लोगों ने पुरजोर विरोध किया और अपने कारोबार को Noida की तरफ ले जाने का संकेत दिया था। हालांकि, अब अगर हरियाणा में लागू हुए विघटनकारी फैसले जैसा फैसला Noida में लागू किया जाता है तो इससे गुरुग्राम की तरह ही नोएडा से भी कंपनियाँ बाहर भागना शुरू कर देंगी, जिससे UP की विकास दर और अर्थव्यवस्था पर बेहद नकारात्मक असर पड़ेगा।
जैसे की TFI ने पहले भी कहा है कि अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है। यदि हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार चाहें तो अपने विवादित कानून में संशोधन कर उसे थोड़ा और व्यवहारिक बना सकती है। अन्यथा इस आदेश का देश की निजी कंपनियों के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ेगा।