वसीम रिजवी अपने धर्म में सुधार करने चले हैं, अब उनके समुदाय ने ही उनका साथ छोड़ दिया है

चारों तरफ से बहिष्कार का सामना कर रहे हैं रिज़वी!

वसीम रिजवी

अपने धर्म में सुधार की पहल करना आसान नहीं, लेकिन इस्लाम में ऐसा सोचना भी पाप माना जाता है। जो इस्लाम के रूढ़ियों के विरुद्ध जरा भी मुखर होने का प्रयास करता है, उसके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है, जिससे या तो वो इस्लाम छोड़ दे या फिर दुनिया ही छोड़ दे। कुछ ऐसा ही अभी सैयद वसीम रिजवी के साथ देखने को मिल रहा है।

हाल ही में वसीम रिजवी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में कुरान की विवादास्पद आयतों को हटाने की मांग को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। लखनऊ में शिया मौलवी लखनऊ में आज मौलाना कल्बे जव्वाद के आह्वान पर हुए सम्मेलन में शिया और सुन्नी दोनों फ़िरक़ों के मौलाना शामिल हुए। इस सम्मेलन  को संबोधित करते हुए मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा, “वसीम रिज़वी का क़ुरान के बारे में ऐसी याचिका दाखिल करने का मक़सद हिन्दू लोगों की नज़रों में मुसलमानों को घृणा का पात्र बनाना है, ताकि समाज में हिन्दू-मुस्लिम नफरत और बड़ी हो सके। वसीम इस ध्रुवीकरण से अपने राजनीतिक आकाओं को चुनावी फायदा पहुंचना चाहते हैं”।

लेकिन वसीम रिजवी ने ऐसा भी क्या कहा जिसके कारण सारे मुसलमान आज उनके विरुद्ध खड़े हो गए हैं? दरअसल, अभी हाल ही में वसीम रिज़वी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा है कि कुरान की 26 आयतें आतंकवाद सिखाती हैं, इसलिए उन्हें क़ुरान से निकाल दिया जाए। इसके पीछे उन्हें काफी खरी खोटी सुनाई जा चुकी है, और कुछ मुसलमान ने उनका सिर कलम करने पर 20000 रुपये का इनाम भी प्रस्तावित किया है।

लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं होती। इसी सम्मेलन में ये भी ऐलान किया गया कि उन्हें इस्लाम से बाहर किया जाए। इसके अलावा यह भी ऐलान किया गया कि मुल्क के किसी भी क़ब्रिस्तान में न तो उन्हें दफन होने दिया जायेगा और न ही मुल्क का कोई मौलाना उनके जनाज़े की नमाज़ पढ़ायेगा।

वसीम रिजवी ने इस मुद्दे को अब आर या पार की लड़ाई बना दी है। एक वीडियो मैसेज में उन्होंने कहा है, “हम अकेले एक तरफ हैं और पूरा इस्लामी वर्ल्ड एक तरफ है। हमारे रिश्तेदार, हमारे भाई यहां तक कि हमारे बीवी-बच्चे भी हमें छोड़ कर चले गए हैं, लेकिन मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है। मेरे दोस्त भी क़ुरान से आयतें हटाने के मुद्दे पर हमसे इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते, लेकिन हमें यकीन है कि हमारे मरने पर वो हमें कंधा ज़रूर देंगे। हम इस लड़ाई को आखिरी दम तक अकेले लडेंगे और अगर लगेगा कि हम हार रहे हैं तो उसी वक़्त खुदकुशी कर लेंगे”।

सच कहें तो वसीम रिजवी ने वो काम किया है जिसके बारे में कई मुसलमान सोचकर ही सिहर उठते हैं। अपने धर्म की रूढ़ियों के विरुद्ध काम करना आसान नहीं होता, लेकिन इस्लामिक रूढ़ियों के विरुद्ध आवाज उठाना भी मुसलमानों द्वारा ईश निंदा करार दी जाती है, जिसका दुष्परिणाम वसीम रिजवी को भुगतना पड़ा है।

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